,, जमीन की उपजाऊ शक्ति कम होने के कारण रासायनिक खादों का इस्तेमाल बढ़ रहा है जिससे सारा विश्व चिंतित है ,,   

,,आइये जानते है गणतन्त्र दिवस के शुभ अवसर पर किसानों को जैविक खेती से कैसे समृध्दि किया जा सकता है,,    ..जे एस यादव ब्यूरो चीफ औरैया ..

आज लगभग हर भारतीय किसान अपनी कम हो रही है उपज एवं कम हो रही जमीन की उपजाऊ शक्ति और बढ़ रहे खर्चों से चिंतित ही नहीं अपितु परेशान भी है प्रत्येक किसान चाहता है कि खर्च कम हो और मुनाफा अधिक हो पर ऐसा नहीं हो पा रहा है क्यों कि जितनी हमारी जमीन उपजाऊ होंगी, उतनी ही बढ़िया उपज होगी विकसित देश अपनी जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए बहुत ध्यान देते हैं क्यों कि उनको मालूम है कि उपजाऊ जमीन के कम खर्चे हैं और उपज अधिक होती है पर हमारा किसान सिर्फ रासायनिक खादों को इस्तेमाल करके अपनी उपज को बढ़ाने में लगा है जो कि नहीं हो रहा है और उपज कम हो रही है क्यों कि जमीन की उपजाऊ शक्ति कम होने के कारण खादों का इस्तेमाल बढ़ रहा है जिससे सारा विश्व चिंतित है क्यों कि रासायनिक खादों जैसे यूरिया, डी.ए.पी.के प्रयोग से उर्वराशक्ति घटती जा रही है और अनेक प्रकार की हजारों बीमारियां फैल चुकी है यदि यही क्रम जारी रहा तो 1 दिन सारी पृथ्वी बंजर (ऊसर) हो जाएगी इसका कारण है, Hidden Hunger Syndrome (छिपी हुई भूंख)आज हम अपना पेट तो भर लेते हैं लेकिन शरीर की जरूरतें पूरी नही कर पातें ठीक उसी प्रकार खेतों में रासायनिक खादें और कीटनाशक का प्रयोग करके हम फसल तो प्राप्त कर लेते हैं लेकिन सारे आवश्यक तत्व जब खेतों को ही नहीं प्राप्त हुये तो फसल में कहाँ से आएंगे जिसका कारण तरह तरह की बीमारियों का पैदा होना आज हमें अपनी सोंच को बदलना होगा और रासायनिक खादों को कम करने के साथ साथ जमीन को उपजाऊ बनाने के लिये और अधिक उपज लेने के लिये जीवाणु मित्र कीट और छोटे छोटे तत्वों की फसल के अनुसार जरूरत है अगर हम इन बातों का ध्यान में रखेंगे तो यह कोई बड़ी बात नहीं कि अपने कम खर्चे पर और अधिक उपज ले सकते हैं क्यों कि जैविक खाद में जीवाणुओं की संख्या करोडों में होती है जो हमारे खेतों में लगातार क्रिया शील रहकर जमीन की उपजाऊ शक्ति को तेजी से बढ़ाते हैं फसलों को बड़े तत्व डी.ए.पी.और यूरिया के साथ साथ छोटे तत्वों की बहुत जरूरत होती है पर हमारे किसान इन तत्वों को ना जानने के कारण इस्तेमाल नहीं कर रहा है जिसके कारण उपज हर साल कम हो रही है इन तत्वों को हमारी फसलों के लिये उतनी ही जरूरत है जितने की बड़े तत्वों की कनाडा में हुए वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन (डब्लू.एच.ओ.)के सर्वेझण से पता लगा है कि दुनिया मे लगभग 80 प्रतिशत बीमारियाँ हमारे खाने की खुराकी तत्वों की कमी से होती है जिनमें दिमागी बीमारियाँ, अंधापन,एनीमिया,जन्म के समय जच्चा-बच्चे का मरना,नींद न आना,पागलपन,कैंसर, एच.आई. बी.एड्स,दिल की बीमारियाँ आदि तत्वों की कमी के ही परिणाम हैं भारत के कृषि वैज्ञानिकों की ओर से भी जोरदार अपील में कहा गया है कि हमारा किसान रासायनिक खादों और जहरीले कीटनाशकों जैसे डी.ए.पी.यूरिया के इस्तेमाल को बिल्कुल बंद करे नहीं तो हमारा मनुष्य जीवन खतरे में पड़ सकता है जैविक खाद का इस्तेमाल करके किसान कुछ ही समय में जमीन की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाकर रासायनिक खादों के इस्तेमाल को कम करके और कम खर्चे में ज्यादा उपज लेने में कामयाब हो सकते हैं किसानों की उन्नति और खुशहाली में सिर्फ जैविक खाद ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है जो कि भूमि में किसान के मित्र जीवाणुओं को प्रफुल्लित करता है और साथ में छोटे तत्वों की कमी को पूरा करता है जैविक तरीके से तैयार खाद के प्रयोग से तैयार किया उत्पात छोटे तत्व जिंक,आयरन,क्रोमियम,बोरोन मैंगनीज, आयोडीन और विटामिन से भरपूर होता है जो हमारे सेहत के लिए अत्यधिक जरूरी है बायो प्रोडक्ट्स में उपलब्ध माइक्रोबायोलॉजिकल सल्यूशन फॉर एग्रीकल्चर सिस्टम किसानों को उर्वरकों एवं कीटनाशकों से हमेशा के लिए मुक्ति दिलाएगा इसलिए किसानों को अब जैविक खाद का प्रयोग बढ़ा देना चाहिए और रासायनिक खादों का प्रयोग पूरी तरह बन्द कर देना चाहिए। 

-: जब सिक्किम जैसा राज्य देश का पहला पूर्ण जैविक राज्य बन सकता है तो हम सब भारतीय किसान क्यों नहीं आत्मनिर्भर भारत में आने वाले समय में सिर्फ जैविक का बोल वाला होगा इसलिए जैविक अपनाये और अपना देश बचाएँ :- 

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