अयोध्या,
             राममंदिर की मजबूत नींव की ड्राइंग फाइनल करने के काम में देशभर के विशेषज्ञ जुटे हैं। एनजीआरआई हैदराबाद की आठ सदस्यीय टीम भी अयोध्या पहुंच गई है। टीम रामजन्मभूमि परिसर में जमीन की 200 फीट तलहटी तक अध्ययन कर रही है। मकर संक्रांति तक राममंदिर की मजबूत नींव की ड्राइंग फाइनल हो जाएगी। इसके तुरंत बाद राममंदिर के नींव का काम भी प्रारंभ कर दिया जाएगा।

श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सूत्रों ने बताया कि राममंदिर की नींव बहुत मजबूत हो, इसके लिए भारत के वैज्ञानिक, प्रोफेसर जुटे हुए हैं। साथ ही आईआईटी दिल्ली, आईआईटी रुड़की, आईआईटी गुवाहाटी, आईआईटी चेन्नई, आईआईटी मुंबई, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी सूरत, एसबीआरआई रुड़की, टाटा और लार्सन टुब्रो के इंजीनियर्स सामूहिक विचार में लगे हैं। नेशनल जियो टेक्नालॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनजीआरआई) हैदराबाद की टीम अयोध्या पहुंच चुकी है।

उसकी टीम के आठ इंजीनियर जमी के 200 फीट भीतर तक जांच कर रही है। भूकंप के झटके और सरयू नदी की जलप्रवाह की धरती के अंदर तलहटी का गहन अध्ययन हो रहा है। बहुत जल्द यानी मकर संक्रांति तक एक मजबूत नींव की डिजाइन फाइनल हो जाने की पूर्ण आशा है। अध्ययन करने पर पता चला कि मंदिर स्थान पर 70 मीटर तक बलुई मिट्टी है। सीमेंट की आयु थोड़ी होती है, लगभग 150 वर्ष इसलिए सीमेंट की आयु बढ़कर करीब 300-400 वर्ष हो जाए इस पर काम चल रहा है। बताया गया कि मंदिर का परकोटा पांच एकड़ के आस-पास होगा। शेष 65 एकड़ जमीन में क्या-क्या बने इसकी बात तय हो चुकी है। मंदिर निर्माण में चार लाख घन फीट पत्थर लगेेंगे।

इसरो की फोटोग्राफी ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि कभी राममंदिर के पास सरयू का जलप्रवाह था। ट्रस्ट के एक इंजीनियर ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया, हम कहा करते थे कि भगवान श्रीराम का मंदिर अनेक बार तोड़ा गया। उसका प्रमाण अब मिल रहा है कि आज के वर्तमान धरातल से नीचे 50 फीट तक मलबा भरा है। ये 50 फीट का मलबा कहां से आ गया। इसके साथ प्रमाण मिले कि सरयू का जलप्रवाह यहां कभी न कभी था, ऐसा इसरो के फोटोग्राफ बताते हैं, इसलिए इसरो और अन्य तकनीकी बातों को मिलाकर नींव की डिजाइन बन रही है।

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