IND Vs AUS: ऑस्ट्रेलियाई टीम के पास पिछले पांच साल से डे-नाइट टेस्ट खेलने का अनुभव है. टीम इंडिया ने पिंक बॉल के साथ सिर्फ एक टेस्ट ही खेला है. ऑस्ट्रेलियाई और इंडिया के बीच 17 दिसंबर से शुरू होने जा रही टेस्ट सीरीज का आगाज एडिलेड ओवल मैदान पर खेले जाने वाले डे-नाइट मैच से होगा. यह टीम इंडिया का विदेशी धरती पर पहला डे-नाइट मुकाबला होगा, इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि पहले टेस्ट में भारतीय बल्लेबाज संघर्ष करते हुए नज़र आ सकते हैं. टीम इंडिया के पास घर में भी सिर्फ एक डे-नाइट टेस्ट खेलने का अनुभव है जो कि उसने पिछले साल बांग्लादेश के खिलाफ खेला था.


बीसीसीआई पहले तो दिन-रात टेस्ट मैच खेलने से कतरा रही थी. पिछले आस्ट्रेलिया दौरे पर भी उसने इस प्रारूप का टेस्ट मैच खेलने से मना कर दिया था. जब भारत ने अपना पहला पिंक बॉल टेस्ट खेला तब तक आस्ट्रेलिया को इस प्रारूप में खेलते हुए चार साल हो गए थे.


आस्ट्रेलिया के स्टीव स्मिथ ने कुछ दिन पहले कहा था कि उनके पास दिन-रात प्रारूप में खेलने का अनुभव भारत की तुलना में ज्यादा है जो आने वाली सीरीज में उसके लिए फायदेमंद रहेगा. इस मैदान पर आस्ट्रेलिया ने चार दिन-रात प्रारूप के टेस्ट मैच खेले हैं और सभी में जीत हासिल की है. भारत के लिए यह एक चिंता का विषय हो सकता है.


अनुभव काम नहीं आएगा


भारत ने अपने घरेलू क्रिकेट में दलीप ट्रॉफी में दिन-रात प्रारूप में गुलाबी गेंद से खेला है लेकिन कुछ समय बाद वह दोबारा लाल गेंद पर लौट आई थी. मयंक अग्रवाल, चेतेश्वर पुजारा, जसप्रीत बुमराह, रोहित शर्मा, रवींद्र जडेजा, ऋषभ पंत, मोहम्मद सिराज, नवदीप सैनी और पृथ्वी शॉ उस दलीप ट्रॉफी का हिस्सा थे जो दिन-रात प्रारूप मे खेली गई थी.


एक कॉमेंटेटर के तौर पर उस दलीप ट्रॉफी को कवर करने वाले भारत के पूर्व विकेटकीपर विजय दहिया ने हालांकि कहा है कि ज्यादा टेस्ट खेलने का अनुभव ज्यादा काम नहीं आएगा. उन्होंने कहा कि भारत के पास अभ्यास और घरेलू स्तर पर गुलाबी गेंद से खेलने का अच्छा अनुभव है.


भारतीय पिचों की तुलना में ऑस्ट्रेलियाई पिच बिल्कुल अलग हैं. ऑस्ट्रेलिया की पिचों पर तेज गेंदबाजों को ना सिर्फ मदद मिलती है, बल्कि उन्हें अतिरिक्त उछाल भी हासिल होता है. इसलिए पिंक गेंद के साथ ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज और भी खतरनाक हो जाते हैं.

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