गोंडा। श्रम विभाग अब श्रमिकों के बेटे- बेटियों को बेहतर शिक्षा हासिल करने के लिए प्रेरक की भूमिका में नजर आएगा। विभाग की ओर से जिले के पंजीकृत एक लाख आठ हजार के करीब श्रमिकों के बेटे-बेटियों को शिक्षा हासिल करने पर छात्रवृत्ति भी देगा। इससे बच्चे आगे पढ़ाई के लिए जहां प्रेरित होंगे, वहीं उन्हें आर्थिक मदद भी मिल सकेगी। इसके लिए श्रम विभाग ने श्रमिकों को योजना से जोड़ने का काम शुरू किया। यही नहीं श्रमिकों के लिए साइकिल योजना के साथ ही उनके बच्चों को भी स्कूल जाने के लिए साइकिल देने की तैयारी हो रही है। जिलाधिकारी डॉ. नितिन बसंल ने बताया कि श्रमिकों के विकास की योजना प्राथमिकता से संचालित की जा रही है।
कामगारों के बेटे-बेटियों के लिए अच्छा अवसर है। कामगारों के कक्षा एक से लेकर मेडिकल की पढ़ाई करने वाले बेटे-बेटियों को सौ से पांच हजार रुपये तक छात्रवृत्ति मिलेगी। इसके लिए श्रम विभाग में ऑनलाइन और ऑफलाइन आवेदन किए जा सकते हैं। लेकिन, छात्रवृत्ति उन्हीं छात्र-छात्रओं को मिलेगी, जिनकी कक्षा में उपस्थिति 70 फीसदी होगी। संत रविदास शिक्षा सहायता योजना के तहत कक्षा एक से इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई करने वाले पंजीकृत निर्माण श्रमिकों के बेटे-बेटियों को हर महीने सौ से पांच हजार रुपये छात्रवृत्ति दिए जाने का प्रावधान है। यह लाभ उनके दो बच्चों के लिए है। आवेदन करने पर पंजीयन संख्या, बैंक खाता नंबर, पिछली कक्षा उत्तीर्ण होने की मार्क्स शीट, अगली कक्षा में प्रवेश लेने का प्रमाण पत्र लगाना होगा। श्रम विभाग के निरीक्षक योगेश दीक्षित ने बताया कि योजना से श्रमिकों को जोड़ने के लिए उन्हें जागरूक किया जा रहा है। शिक्षा के लिए श्रमिकों को लिए सबसे अच्छी योजना है।
कक्षावार तय हैं छात्रवृत्ति की राशि
एक से पांच तक- 100 रुपये
छह से आठ तक- 150 रुपये
नौवीं-दसवीं - 200 रुपये
11वीं-12वीं- 250 रुपये
आइटीआई प्रशिक्षण पर- 500 रुपये
राजकीय संस्थान से पॉलीटेक्निक करने पर- 800 रुपये
स्नातक - 1000 रुपये
स्नातकोत्तर- 2000 रुपये
राजकीय संस्थान से इंजीनियरिंग करने पर-3000 रुपये
मेडिकल की पढ़ाई करने पर- 5000 रुपये
16 हजार का था लक्ष्य, 26 हजार कराया पंजीकरण
श्रम विभाग को शासन ने 16 हजार श्रमिकों के पंजीकरण का लक्ष्य मिला था। विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों ने प्रयास किया और परिणाम यह रहा कि 26 श्रमिकों का पंजीकरण करा दिया। निरीक्षक योगेश दीक्षित ने कहा कि श्रमिकों को योजनाओं से जोड़ने की मुहिम से यह संभव हो सका है। यही नही कोरोना संकट के दौरान विभाग की ओर से श्रमिकों को एक- एक हजार रूपए की मदद दी गई। घर बैठे ही लोगों को सहायता मिली, ऐसे में पंजीकरण के लिए लोगों में उत्साह दिखा। ऐसा पहली बार हुआ कि पंजीकरण के लिए इतनी बड़ी संख्या में श्रमिक आगे आए।
श्रम विभाग की योजनाओं से अधिक से अधिक श्रमिकों को जोड़ने के लिए अभियान चलाया जा रहा है। इससे श्रमिकों को बेहतर लाभ मिल रहा है।
-शशांक त्रिपाठी, सीडीओ

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