संस्कृत देववाणी है-श्री पवन कुमार
संस्कृत संस्थान में आयोजित किया गया 45वां स्थापना दिवस कार्यक्रम
लखनऊ: 31 दिसम्बर, 2020
उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा आज यहां इन्दिरा नगर स्थित अध्यक्ष कार्यालय में संस्थान 45 वां स्थापना दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया। समारोह में संस्थान के मा0 अध्यक्ष डाॅ0 वाचस्पति मिश्र, उपाध्यक्ष श्री शोभन लाल उकिल, निदेशक पवन कुमार, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी श्री दिनेश कुमार मिश्र एवं समस्त सेवानिवृत्त एवं कार्यरत कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में वक्ताओं ने संस्थान के स्थापना काल से अब तक हुए कार्यों पर प्रकाश डाला। संस्थान के अध्यक्ष डाॅ0 वाचस्पति मिश्र, संस्थान द्वारा संचालित गतिविधियों से प्रभावित होकर अन्य राज्य भी संस्कतृ एकेडमी स्थापित करना चाहते है, जिसके क्रम में गुजरात राज्य में संस्कृत एकेडमी की स्थापना हो चुकी है। शिक्षा दो प्रकार की होती है-एक औपचारिक, एक अनौपचारिक शिक्षा। औपचारिक शिक्षा विद्यालय विशेष में प्रदान की जाती है तथा अनौपचारिक शिक्षा के माध्यम से सामान्य व्यक्ति भी अपनी रुचि के अनुरूप शिक्षा ग्रहण कर सकता है।
संस्थान के निदेशक श्री पवन कुमार ने स्थापना दिवस के अवसर पर अपने उद्बोधन में कहा कि संस्कृत देववाणी है जितने भी पौराणिक ग्रन्थ लिखे गये हैं, इसी भाषा में लिखे गये हैं। वर्तमान समय में जो लोग समझते हैं कि इसकी उपादेयता नहीं उनको यह बताना है कि संस्कृत मृतभाषा नहीं है। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। दोपहर 02ः00 बजे से व्याख्यान गोष्ठी एवं संस्कृत, पालि, प्राकृत एवं हिन्दी आनलाईन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें संस्कृत कवि/वक्ता प्रो0 अभिराज राजेन्द्र मिश्र, शिमला, प्रो0 रामसुमेर यादव, यादव, लखनऊ, डाॅ0 सुरचना त्रिवेदी, लखीमपुर, डाॅ0 वागीश दिनकर, हापुड़, डाॅ0 अरूण निषाद, सुल्तानपुर, प्राकृत कवि डाॅ0 अनेकान्त जैन, दिल्ली, डाॅ0 दीनानाथ शर्मा, डाॅ0 बलराम शुक्ला, दिल्ली पालि कवि, डाॅ0 प्रफुल्ल गडवाल, प्रो0 हरप्रसाद दीक्षित, वाराणसी द्वारा कार्यक्रम में प्रतिभाग किया गया।
संस्कृत संस्थान में आयोजित किया गया 45वां स्थापना दिवस कार्यक्रम
लखनऊ: 31 दिसम्बर, 2020
उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा आज यहां इन्दिरा नगर स्थित अध्यक्ष कार्यालय में संस्थान 45 वां स्थापना दिवस कार्यक्रम आयोजित किया गया। समारोह में संस्थान के मा0 अध्यक्ष डाॅ0 वाचस्पति मिश्र, उपाध्यक्ष श्री शोभन लाल उकिल, निदेशक पवन कुमार, वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी श्री दिनेश कुमार मिश्र एवं समस्त सेवानिवृत्त एवं कार्यरत कर्मचारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में वक्ताओं ने संस्थान के स्थापना काल से अब तक हुए कार्यों पर प्रकाश डाला। संस्थान के अध्यक्ष डाॅ0 वाचस्पति मिश्र, संस्थान द्वारा संचालित गतिविधियों से प्रभावित होकर अन्य राज्य भी संस्कतृ एकेडमी स्थापित करना चाहते है, जिसके क्रम में गुजरात राज्य में संस्कृत एकेडमी की स्थापना हो चुकी है। शिक्षा दो प्रकार की होती है-एक औपचारिक, एक अनौपचारिक शिक्षा। औपचारिक शिक्षा विद्यालय विशेष में प्रदान की जाती है तथा अनौपचारिक शिक्षा के माध्यम से सामान्य व्यक्ति भी अपनी रुचि के अनुरूप शिक्षा ग्रहण कर सकता है।
संस्थान के निदेशक श्री पवन कुमार ने स्थापना दिवस के अवसर पर अपने उद्बोधन में कहा कि संस्कृत देववाणी है जितने भी पौराणिक ग्रन्थ लिखे गये हैं, इसी भाषा में लिखे गये हैं। वर्तमान समय में जो लोग समझते हैं कि इसकी उपादेयता नहीं उनको यह बताना है कि संस्कृत मृतभाषा नहीं है। संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। दोपहर 02ः00 बजे से व्याख्यान गोष्ठी एवं संस्कृत, पालि, प्राकृत एवं हिन्दी आनलाईन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें संस्कृत कवि/वक्ता प्रो0 अभिराज राजेन्द्र मिश्र, शिमला, प्रो0 रामसुमेर यादव, यादव, लखनऊ, डाॅ0 सुरचना त्रिवेदी, लखीमपुर, डाॅ0 वागीश दिनकर, हापुड़, डाॅ0 अरूण निषाद, सुल्तानपुर, प्राकृत कवि डाॅ0 अनेकान्त जैन, दिल्ली, डाॅ0 दीनानाथ शर्मा, डाॅ0 बलराम शुक्ला, दिल्ली पालि कवि, डाॅ0 प्रफुल्ल गडवाल, प्रो0 हरप्रसाद दीक्षित, वाराणसी द्वारा कार्यक्रम में प्रतिभाग किया गया।
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