किसान आंदोलन की भूमि पर वोट बैंक की
खेती करने की कोशिश कर रही सपा: सिद्धार्थ नाथ
अखिलेश बताएं सरकार से विदाई के वक्त
गन्ना किसानों का 15 हजार करोड़ बकाया क्यों था?
लखनऊ: 07 दिसम्बर, 2020: किसान आंदोलन को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे समाजवादी पार्टी पर कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने तीखा प्रहार किया है। उन्होंने कहा है कि जनता की नजरों से गिर चुकी समाजवादी पार्टी इन दिनों किसान आंदोलन की भूमि पर वोट बैंक की खेती करने की कोशिश कर रही है। राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ ने सोमवार को कहा को किसान आंदोलन के समर्थन में यात्रा करने की घोषणा करने वाले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव जब तक सत्ता में रहे, बाॅलीवुड के हीरो-हिरोइनों के नृत्य का आनंद लेते रहे, किसान कभी भी उसकी प्राथमिकता में नहीं रहा। किसानों हितों पर कुठाराघात करने का एक भी अवसर नहीं छोड़ा और आज जबकि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और प्रदेश की योगी सरकार किसानों की मेहनत की पाई-पाई दिलवाने के लिए लगातार काम कर रही है तो सपा को किसानों की सुध हो आई है।
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि किसानों के परम हितैषी बनने का स्वांग रच रहे अखिलेश से यह पूछा जाना चाहिए कि आखिर क्या कारण रहा कि 2016-17 में प्रदेश में मक्के की खरीद नहीं हुई। योगी सरकार ने आने के साथ ही पहला फोकस बकाये के भुगतान पर किया। तीन साल के दौरान योगी सरकार अब तक 1 लाख 12 हजार करोड़ रुपये से अधिक का गन्ना किसानों का भुगतान कर चुकी है। यह योगी सरकार की किसान हितों के प्रति प्रतिबद्धता का ही नतीजा है कि अब तक किसानों से 277.29 लाख क्विंटल धान की खरीद की जा चुकी है। यह खरीद पिछले वर्ष से डेढ़ गुना से भी अधिक है, पिछली सरकार की तुलना में योगी सरकार ने छह गुना अधिक धान की खरीद सुनिश्चित की है। यही नहीं, प्रदेश में 102 मक्का क्रय केंद्रों से अब तक किसानों से 3 लाख 52 हजार क्विंटल मक्का की खरीद की जा चुकी है।
सूबे में धान खरीद ऐतिहासिक, बनाये नए रिकाॅर्ड:
सरकार के प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर निरन्तर धान खरीद की समीक्षा की जा रही है। धान और मक्का की खरीद का भुगतान 72 घंटे के अन्दर सुनिश्चित किया जा रहा है। धान खरीद में लापरवाही बरतने पर पीसीएफ के अधिकारियों को निलम्बित भी किया गया। पिछले तीन सालों में गन्ना किसानों को 1 लाख 10 हजार करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। वहीं, विभिन्न विपक्षी दलों पर एमएसपी को लेकर भ्रम फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बार-बार कहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्रणाली सतत जारी रहेगी। बावजूद इसके, कुछ अराजक तत्व, नए कृषि कानून को लेकर किसानों को भ्रमित कर रहे हैं। सिद्धार्थ नाथ ने कहा कि अखिलेश यादव ने मंडियों को खत्म करने की आशंका जताकर किसानों को बरगलाने की कुत्सित कोशिश की है। शायद उन्हें यह नहीं पता की योगी सरकार ने पिछले दिनों मंडी शुल्क घटाकर एक फीसदी कर दिया है। योगी सरकार उत्तर प्रदेश की सत्ता संभालने के पहले दिन से ही किसानों के हित को सर्वोपरि मानते हुए काम कर रही है। अपने पहले ही कैबिनेट में चुनावी संकल्पपत्र के अनुसार 86 लाख लघु-सीमांत किसानों का एक लाख रुपये तक का ऋण माफ कर सरकार ने अपनी प्रतिबद्धता जता दी थी। इसके लिए सरकार ने अपने संसाधनों से 36 हजार करोड़ रुपये खर्च किए।
किसानों को बर्बाद करने वालों की किसान हितैषी बातें हास्यास्पद:
कैबिनेट मंत्री ने कहा कि, किसानों को बर्बाद करने वालों को किसान हित मे आंदोलन करना हास्यास्पद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा के अनुसार मुख्यमंत्री के लिए 2022 तक किसानों की आय दोगुना करना सिर्फ वायदा नहीं संकल्प है। सरकार किसानों की आय बढ़ाने के साथ उनको आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा भी दे रही है। पीएम किसान सम्मान योजना के तहत अब तक दो करोड़ से अधिक किसानों को लाभान्वित किया जा चुका है। बीमा योजना के दायरे में पहली बार बंटाईदारों को शामिल किया गया है। इसके तहत किसी किसान को अधिकतम पांच लाख रुपये तक की बीमा सुरक्षा मिलेगी। उन्होंने कहा कि हमारे लिए किसानों का हित सिर्फ नारा नहीं संकल्प है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में योगी सरकार लगातार यह काम कर रही है। किसानों को उनके उपज का वाजिब दाम मिले इसके लिए एमएसपी पर खरीद हमारी प्रतिबद्धता है। यही वजह है कि न केवल लागत के अनुसार हमने फसलों की एमएसपी बढ़ाने के साथ खरीद का दायरा भी बढ़ा दिया। खरीद और इसके भुगतान के हर फसली सीजन में बनते रिकार्ड हमारी प्रतिबद्धता के सबूत हैं। एमएसपी को लेकर भ्रम वही फैला रहे हैं जिनके लिए किसान अब तक सिर्फ वोट बैंक रहे हैं।
खेती को मिल रहा तकनीक का लाभ:
सिद्धार्थ नाथ ने कहा कि खेत को उसकी जरूरत के अनुसार खाद और सूक्ष्म पोषक तत्व मिले इसके लिए सरकार ने मिट्टी की जांच को मुहिम के तौर पर लिया। सिद्धार्थ नाथ ने बताया कि अब तक चार करोड़ से अधिक किसानों के पास मृदा कार्ड हैं। कृषि यंत्रीकरण के जरिए श्रम पर होने वाली लागत घटे इसके लिए सरकार कृषि यंत्रों पर भारी अनुदान दे रही है। यही नहीं, मौजूदा वित्तीय में कृषि मशीनरी बैंक और कस्टम हायरिंग सेंटर के जरिए सरकार का लक्ष्य 22000 से अधिक किसान समूहों को 40 हजार से अधिक उन्नत कृषि यंत्र उपलब्ध कराएगी। यंत्रीकरण के जरिए कम लागत में अधिक उपज मिलने से किसानों की आय बढ़ जाएगी। खेतीबाड़ी के क्षेत्र में देश-दुनिया के शोध संस्थानों में जो हो रहा है, किसानों को इनका लाभ तब होगा जब वह इनके बारे में जानेंगे और उनका प्रयोग करेंगे। सरकार ने अपने इस तंत्र के जरिए किसानों तक पहुचने के लिए ‘द मिलियन फार्मर्स स्कूल’ के नाम से अभिनव प्रयोग शुरु किया। दोनों फसली सीजन के शुरुआत में होने वाले अपने तरह की इस अभिनव योजना को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहा जा चुका है। प्रसार के इस तंत्र को सरकार और मजबूत कर रही है। इसके लिए अब तक 20 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) की स्थापना की जा रही है। अधिकांश स्थापना के बाद संचलन में हैं। बाकी पर काम चल रहा है। अब हर बड़े जिले में दो और छोटे जिलों में एक-एक कृषि विज्ञान केंद्र स्थापित हो जाएंगे। आजमगढ़ और लखीमपुर खीरी में कृषि महाविद्यालय की स्थापना, भदोही और गोरखपुर में पशुचिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना से भी खेतीबाड़ी की बेहतरी होगी।
उन्होंने कहा कि किसान परंपरागत खेती की जगह बाजार की मांग के अनुसार खेती करें इसके लिए विविधीकरण और प्रसंस्करण पर भी सरकार का खासा जोर है। किसान को उसकी उपज का वाजिब दाम मिले, इसके लिए सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने के साथ-साथ फसलों के खरीद के दायरे और क्रय केंद्रों की संख्या को भी बढ़ाया। नतीजतन, हर फसली सत्र में एमएसपी पर खरीद और इसके एवज में किसानों को भुगतान का नया रिकार्ड बन रहा है। धान खरीद के मौजूदा सत्र में पिछले साल की तुलना में अब तक करीब डेढ़ गुना खरीद हो चुकी है। नई मंडियों की स्थापना, इन मंडियों को ई-नैम पोर्टल से जोड़ना, बुनियादी सुविधाओं का विकास और मंडी शुल्क में एक फीसद की कमी के पीछे भी एक मात्र मकसद किसानों का अधिकतम हित है।
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