*हिंदी संवाद न्यूज़*:  बड़ा खुलासा  सच का सामना
#किसानआंदोलन
हिन्दुस्तान का तो भगवान ही मालिक है...

किसान-किसान लगा रखा है..किसान अन्न का उत्पादन लोगों का पेट भरने के लिए करता है या अपने घर वालों का पेट भर सके इसलिए करता है??

किसान किसका पेट भरता है?? अगर किसान पेट भरता है तो पिछले 9 महीने से फ़्री राशन सरकार क्यों बांट रही है? अन्नदाता तो किसान है ना? वो क्यों नहीं बांट रहा?

किसान होना एक पेशा है कोई समाजसेवा नहीं है, किसान अन्नदाता है इसलिए उसका धन्यवाद करना चाहिए!

मैं पूछता हूँ क्यों?
जिसने कपड़े बनाए उसका धन्यवाद क्यों नहीं करना चाहिए? अगर कपड़े ना होते तो सब लोग नंगे घूमते वनमानुष की तरह!

जिसने वर्तन बनाए, बिजली बनाई, मोबाइल बनाया, सडकें बनाईं, पेन, पेन्सिल कागज बनाए उनका क्यों नहीं?

जो पढाकर किसी लायक बनाता है उसका क्यों नहीं? जो इलाज करता है उसका क्यों नहीं? जो बाल काटता है उसका क्यों नहीं? जो सफ़ाई कर्मचारी हैं उनका क्यों नहीं?

#क्या_सिर्फ़_पेट_भरने_से_ज़िन्दगी_चल_जाती_है? कुत्ता हो क्या?

ज़िन्दगी में हर काम का अपना महत्व है और हर काम करने वाला उतना ही महत्वपूर्ण।

जब धरती पर खेती-बाडी़ नहीं होती थी तब भी लोग थे, ज़िंदा थे शिकार करके खाते थे। पेट भरना भगवान का काम है, 84 लाख योनियों का पेट कैसे भरना है ये ज़िम्मेदारी परमपिता परमेश्वर की है।

हमारे देश में जिसे भगवान का दर्जा दे दो वही सिर पर से मूतने लगता है। पहले डॉक्टर, न्यायाधीश को भगवान बोलते थे आज के समय में सबसे भ्रष्ट, धंधे खोर यही हैं।

मैं नहीं मानता ईश्वर के सिवा किसी को भाग्य विधाता सब अपना अपना कर्म कर रहे हैं। जिस काम के बदले हमें धन मिलता हो वो व्यापार है समाजसेवा नहीं। ये ढकोसले बन्द होने चाहिए। 

MSP की गारंटी दो, मंडी की गारंटी दो अगर फ़िर भी ना मानें तो शाहीन बाग की शेरनी बना दो। भगाओ वहां से खदेड़कर, जीने का अधिकार सभी लोगों को है, हर महीने कोई ना कोई सड़कें बन्द करके बैठ जाता है।

जमीन को अम्बानी ले जाएगा इस बात की कोई तुक नहीं है, किसी के बाप-दादा कहकर नहीं मर गए हैं कि किसी कम्पनी के साथ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करना।

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