अंबेडकर नगर जनपद में ठंड ने दस्तक देनी शुरू कर दी है लेकिन जनपद अंबेडकर नगर में नगर पालिका और नगर पंचायत द्वारा अभी तक अलाव की कोई भी व्यवस्था नहीं की गई है।
 गलन और ठंड लगातार बढ़ती जा रही है। नगर पालिकाओं, नगर पंचायतों को अब पता नहीं किसके फरमान की जरूरत है जब अलाव जलने शुरू होंगे। रात में जब हाड़ कंपाती ठंड में गरीबी के कारण सड़कों पर निकलने वाले रिक्शा, आटो चालक अलाव जलता हुआ नहीं पा रहे हैं तो उन्हें समझ में आ जाता है कि उनकी ¨चता करने वाला कोई नहीं है। जो भी उपाय करना होगा खुद के भरोसे ही जाड़े की कठिन रातों को काटने के लिए करना होगा। चिकित्सालयों में मरीजों के तीमारदार खुद को ठंड लगने के जोखिम में डालकर अपने प्रियजनों का इलाज कराने को मजबूर हैं। गांवों में लोग अपने संसाधनों से कौड़ जलाकर सर्द सुबह शामों को काटने में जुटे हुए हैं।
स्थानीय व अन्य लोग शाम के समय गत्ते जलाकर ठंड से बचाव कर रहे हैं।

शीतलहर की वजह से शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में गलन काफी बढ़ गई है। आम लोग मंगलवार दिन में भी कांपते नजर आए। इसके बावजूद जिला प्रशासन द्वारा अलाव की व्यवस्था सामान्य नहीं हो पाई। वहीं कस्बे में लोग आग तापकर बचाव करते देखे जा रहे हैं। गलन में अलाव जलाने की सरकारी व्यवस्था पूरी तरह से फेल दिख रही है और लोग खुद से ही सूखी लकड़ियों, गत्ते आदि जलाकर ठंड भगाने की कोशिश कर रहे हैं।
 भीषण ठंड आ जाने के बावजूद अभी तक सरकारी अमला पहल तक नहीं कर पाया है। कहीं अलाव जलाने की व्यवस्था नहीं की गई है। जबकि निराश्रित और गरीब व्यक्ति ठंड में रहने को मजबूर हैं। अभी तक अलाव की व्यवस्था ना होने के कारण आम जन मानस में शासन प्रशासन के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है। क्षेत्र में लोग कार्टून के टुकड़े और चंदे का पैसा इकट्ठा कर लकड़ी खरीदकर अलाव जलाने को विवश हैं। 
अलाव ना जलने से लोग घरों में रहना बेहतर समझ रहे हैं। मंगलवार को गलन ज्यादा होने से केवल कामकाज के लिए बाहर निकल रहे हैं। धूप निकली इसके बावजूद लोग ठंड की वजह से घरों में ही कैद रहे।

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