सिविल लाइंस में जीटी रोड पर स्वामी विवेकानंद मूर्ति वाले चौराहे से कुछ आगे बढ़ते ही बाईं तरफ लाल रंग का एक भवन दिखाई देता है। हरियाली से घिरे इस भवन को ही शहरवासी लाल गिरजा के नाम से जानते और पुकारते हैं जबकि इसका असल नाम सेंट्रल मेथोडिस्ट चर्च है। एक तरफ जीटी रोड और दूसरी ओर ताशकंद मार्ग के बीच बने इस चर्च में वर्तमान में ईसाई धर्म मानने वालों के साथ अन्य धर्मावलंबी भी प्रवेश पा लेते हैं लेकिन ब्रिटिश शासन काल में यहां प्रार्थना के लिए केवल रविवार को ही भारतीय ईसाई प्रवेश कर पाते थे।

गौथिक और इटालियन वास्तुकला का शानदार नमूना है यह चर्च

लाल गिरजा के वर्तमान पादरी रेवरेन डा.अमिताभ रॉय बताते हैं कि 1877 में निर्मित इस चर्च में गौथिक-इटालियन वास्तुकला का मिश्रण है। इसकी नींव जमीन के काफी नीचे तक गई है और बहुत ही चौड़ी है जिस पर खड़ी इसकी दीवारें 50 फिट से भी अधिक ऊंचाई तक घटते क्रम में गई है। इतनी ऊंची दीवार में कोई बीम या सपोर्ट नहीं है।  

शहर का दूसरा सबसे पुराना चर्च, सामाजिक समरसता का भी प्रतीक

लाल गिरजा यानी सेंट्रल मेथोडिस्ट चर्च शहर के सबसे पुराने चर्चों में से एक है। सिविल लाइंस में हाईकोर्ट के समीप स्थित ऑल सेंट्स कैथेड्रल यानी पत्थर गिरजा के बाद यह दूसरा पुराना चर्च है। रेवरेन फादर अमिताभ रॉय का कहना है कि लाल गिरजाघर सामाजिक समरसता का भी प्रतीक है क्योंकि जब भारत में अंग्रेजी हुकूमत थी तो यहां पर प्रार्थना के लिए केवल अंग्रेज ही प्रवेश कर सकते थे। लेकिन चर्च के पादरियों के प्रयास से यहां भारतीय ईसाईयों को रविवार को प्रार्थना के लिए प्रवेश देने पर सहमति बनी।

मुख्य हाल में चार सौ लोग एक साथ बैठ कर सकते हैं प्रार्थना

तकरीबन तीन सौ फिट लंबे और 80 फिट चौड़े इस चर्च के मुख्य हाल की क्षमता तकरीबन चार सौ है। यानी चार सौ लोग बैठकर यहां प्रार्थना कर सकते हैं। वर्तमान फादर रेवरेन डा. अमिताभ रॉय यहां के 33वें पुजारी यानी पादरी हैं जबकि रेवरेन डेनिस आसबोन पहले पादरी थे। ईसाई धर्म की प्रोटेस्टेंट शाखा से जुड़े इस चर्च के चारो तरफ हरियाली है। परिसर में बड़े पेड़ों के बीच विभिन्न किस्म के फूल और पौधे लगे हैं जो चर्च परिसर की शोभा बढ़ाते हैं।  

मेथोडिस्ट जूनियर हाईस्कूल भी होता है चर्च से संचालित

काफी लंबे-चौड़े क्षेत्रफल में बने चर्च के बगल में ही मेथोडिस्ट जू. हाईस्कूल का संचालन होता है जिसको हाईस्कूल तक बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। चर्च परिसर में पादरी निवास के साथ ही कुछ क्वार्टर भी बने में जिसमें चर्च और फूल-पौधों की देखरेख करने वाले कर्मचारी रहते हैं।

इस बार क्रिसमस पर नहीं होगी धूम, सामान्य समारोह ही होंगे

रेवरेन अमिताभ रॉय ने बताया कि इस बार क्रिसमस की खुशियों पर कोरोना का पहरा रहेगा। हम कोविड-19 के प्रोटोकाल को कड़ाई से पालन करेंगे। कोई बड़ा आयोजन नहीं होगा, सभी आयोजन सामान्य तरीके से ही होंगे। पूजा भी प्रतीकात्मक ही होगी। बताया कि क्रिसमस पर रात की पूजा जिसमें कैंडल लाइट, क्रिसमस ट्री जुलूस आदि काफी महत्वपूर्ण होता है, इस बार यह आयोजन नहीं होंगे। इसमें समाज का सहयोग भी हमें मिल रहा है। बोले कि इससे सर्व समाज को संदेश जाएगा कि जान है तो जहान है।

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