मिर्जापुर। जिले में ड्रैगन फ्रूट से किसान न केवल परंपरागत खेती की तसवीर बल्कि खुद की तकदीर बदल रह हैं। जिले में एक साल पहले कुछ किसानों से शुरू हुआ यह सिलसिला आज 125 किसानों तक पहुंच गया है। 15 बड़े किसान और 110 छोटे किसान परंपरागत खेती छोड़कर ड्रैगन फ्रूट की खेती से जुड़े हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 22 नवंबर को जब मिर्जापुर आए थे तो कुछ किसानों ने उन्हें ड्रैगन फ्रूट भेंट किया था। यह फल देखकर मुख्यमंत्री भी चौंक गए। उन्होंने इसके बारे में जानकारी भी मांगी। मिर्जापुर में ड्रैगन फ्रूट की खेती एक साल पहले शुरू हुई थी। शहर के आस-पास के इलाकों के साथ ही राजगढ़, सक्तेशगढ़, चुनार आदि क्षेत्रों में ड्रैगन फ्रूट की खेती की जा रही है। खेती से जुड़े किसानों आशा राम दूबे नुआव, रामजी दूबे, नुआव, प्रमोद राजगढ़ और अजय सिंह सक्तेशगढ़ की मानें तो एक बीघे की खेती में हर साल कम से कम तीन लाख रुपये का मुनाफा है। पहले साल खेती पर तीन लाख रुपये के लगभग खर्च आता है। फिर अगले 25 से 30 साल तक रखवाली व देखभाल बस करनी होती है। प्रत्येक साल तीन लाख रुपये का लाभ है।
ड्रैगन फ्रूट का आकार ड्रैगन की तरह ही होता है। वहीं यह पोषण से भरपूर तथा एंटी एलर्जी सहित कई गुणों से युक्त है। बड़े शहरों में इसकी सबसे ज्यादा मांग होती है।
सहायता समूह की महिलाओं केे दिए जाएंगे पौधे
- स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को पौधे वितरित किए जाने की योजना है। शुरुआत हलिया की समूह की महिलाओं से होने जा रहा है। प्रशासन की योजना है कि पौधे लगाकर महिलाएं पहले खुद और परिवार का सेहत बेहतर बनाएं फिर इसे आर्थिक लाभ का साधन भी बनाएं।
ड्रैगन फ्रूट की खेती को लेकर किसानों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है। विभाग टेक्निकल सपोर्ट करता है बाकी किसानों के एक बार के खर्च के बाद उनको सालों तक आर्थिक लाभ होता है।-मेवा राम, जिला उद्यान अधिकारी

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