प्रथम सर्जिकल स्ट्राइक के नायक शहीद उधम सिंह 
राष्ट्र के प्रति समर्पण का भाव देश भक्ति।   डॉ रवि शास्त्री आर्य समाज सूर्य नगर बड़ौत में यज्ञ के द्वारा शहीद उधम सिंह का जन्म दिवस मनाया गया।
डॉ रवि शास्त्री ने कहां दुनिया में सर्वप्रथम सर्जिकल स्ट्राइक महान क्रांतिकारी शहीद उधम सिंह के द्वारा की गई थी।
हम देशभक्तों के बताए मार्ग पर चलने का प्रयास करें। नौजवान पीढ़ी को समय-समय पर क्रांतिकारियों के इतिहास से रूबरू कराएं। ताकि देश की नौजवान पीढ़ी सही दिशा में जा सके। यदि क्रांतिकारी आजादी की बलिवेदी पर अपने प्राणों की आहुति ना देते तो क्या यह चंद लोग आए दिन आजादी का नारा लगा पाते ऐसे लोग क्रांतिकारियों की शहादत का अपमान कर रहे हैं। महान क्रांतिकारी उधम सिंह का आज जन्म दिवस है। उन्होंने  जलियांवाला बाग नरसंहार 13 अप्रैल 1919 के अपराधी दोषी अंग्रेज जनरल डायर को उसी के देश में जाकर मौत के घाट उतार दिया था मां भारती के ऐसे वीर सपूत कोअनंत प्रणाम जिसने 21 वर्षों तक असहनीय पीड़ा यातनाएं व कष्ट झेलते हुए अपने निरंतर संघर्ष से 13 मार्च 1940 को जलियांवाला बाग पंजाब नरसंहार का बदला लिया था। शहीद उधम सिंह 13 अप्रैल 1919 को घटित जलियांवाला बाग नरसंहार के प्रत्यक्ष दर्शी थे ।राजनीतिक कारणों से जलियांवाला बाग में मारे गए लोगों की सही संख्या कभी सामने नहीं आ पाई। इस घटना से वीर उधम सिंह दुखी और तिलमिला गए उन्होंने जलियांवाला बाग की मिट्टी हाथ में लेकर माइकल ओ डायर को सबक सिखाने की प्रतिज्ञा ली । अपने मिशन को अंजाम देने के लिए उधम सिंह ने विभिन्न नामों से अफ्रीका नैरोबी ब्राजील और अमेरिका की यात्रा की सन 1934 में उधम सिंह लंदन पहुंचे और वहां नो एल्डर स्ट्रीट कमर्शियल रोड पर रहने लगे वहां उन्होंने यात्रा के उद्देश्य एक कार ली और साथ में अपना मिशन पूरा करने के लिए 6 गोलियों वाली एक रिवाल्वर भी खरीद ली भारत माता का यह क्रांतिकारी वीर माइकल ओ डायर को ठिकाने लगाने के लिए उचित वक्त का इंतजार करने लगा। उधम सिंह को अपने सैकड़ों भाइयों बहनों की मौत का बदला लेने का मौका 1940 में मिला जलियांवाला बाग हत्याकांड के 21 साल बाद 13 मार्च 1940 को रॉयल सेंट्रल एशियन सोसाइटी की लंदन के कॉक्सटन हाल में बैठक थी। जहां माइकल ओ डायर मुख्य अतिथि थे उधम सिंह उस दिन बैठक में समय से अपनी रिवाल्वर एक मोटी किताब में छिपाकर पहुंच गए थे। उन्होंने किताब के बीच को रिवाल्वर के आकार में उस तरह काट लिया था। जिससे आसानी से छिपाया जा सके। बैठक में भारत मां के लाल शहीद उधम सिंह ने माइकल ओ डायर पर गोलियां दाग दी दो गोलियां डायर को लगी, जिससे तत्काल उसकी मौत हो गई। उधम सिंह ने वहां से भागने की  कोशिश नहीं की और अपनी गिरफ्तारी दे दी उन पर मुकदमा चला 4 जून 1940 को उधम सिंह को हत्या का दोषी ठहराया गया और 31 जुलाई 1940 को उन्हें पेटनविले जेल में फांसी दे दी गई। 
महान देशभक्त उधम सिंह ने भारत माता की आजादी के लिए जलियांवाला बाग में नरसंहार के बदला लेने हेतु  अपने प्राणों की आहुति दे दी ।इस अवसर पर पूर्व प्रधानाचार्य रामपाल सिंह तोमर, कपिल आर्य, मीना ,सतीश, रवि आदि उपस्थित रहे।

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