संकट मोचन मंदिर में चल रहे नौ दिवसीय श्रीरामचरितमानस व्यास सम्मेलन के अंतिम दिन मानस वक्ता ने शास्त्र और शस्त्र के बारे में बताया। मानस वक्ता डॉ. उमाशंकर व्यास ने कहा कि शस्त्र के सामने कभी मत झुकना और शास्त्र के सामने सदैव झुकना ही हमारी संस्कृति की पहचान है। गुरु विश्वामित्र ने भी यही शिक्षा प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण को दी थी।

मध्यप्रदेश के जबलपुर से पधारे डॉ. बृजेश दीक्षित ने कहा कि प्रभु श्रीराम के प्राकट्य से संतदेव के साथ ही महादेव भी अत्यंत प्रसन्न रहे। अंतिम दिन पंडित श्यामनारायण त्रिपाठी, राममिलन पाठक, पारसनाथ पांडेय, रामकृष्ण त्रिपाठी, विपिन पाठक आदि ने भी मानस पर चर्चा की। उधर, मंदिर में चल रहे रामचरितमानस नवाह्न परायण का भी समापन हुआ। इस दौरान संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभर नाथ मिश्र ने व्यासपीठ का पूजन कर उसकी आरती उतारी। इसके बाद समस्त भूदेवों को वरण, दक्षिणा प्रदान कर विदाई दी गईं। इस दौरान प्रेमचंद मेहरा एडवोकेट, विजय बहादुर सिंह, हरिराम द्विवेदी, विश्वनाथ यादव आदि लोग मौजूद रहे।

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