विंध्याचल। कोरोना काल में छोटे बच्चों के स्कूल अब भी बंद है। ऐसे में उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए भरसक प्रयास स्कूल और शिक्षकों की ओर से किया जा रहा। ऐसा ही प्रयास कर रहे हैं गोपालपुर ग्राम पंचायत में प्राथमिक विद्यालय मड़गुड़ा के प्रधानाध्यापक डॉ. विजय शंकर। स्कूल बंद होने के कारण बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए वे खुद तो गांव में जाते ही हैं, विद्यालय के अन्य शिक्षकों को भी घर घर भेजकर पठन पाठन करवा रहे। उन्होंने इसके लिए बकायदा रोस्टर बनाया हुआ है। गांव वाले भी उनके इस प्रयास से काफी खुश हैं। कोरोना महामारी से लड़ते हुए बड़े बच्चों के लिए स्कूल तो खुल गए लेकिन आठवीं तक स्कूल अब भी बंद हैं। बच्चों की शिक्षा दीक्षा प्रभावित हो रही है। आमतौर पर हर स्कूल आनलाइन कक्षाओं का संचालन कर रहा है। पर एक बड़ी समस्या यह है कि ज्यादातर बच्चों के पास स्मार्ट मोबाइल नहीं है। शहरों में तो फिर भी ठीक है लेकिन कस्बों और गांव में जहां पर खेती-किसानी और मजदूरी ही जीवकोपार्जन का सहारा है, ऐसे लोग स्मार्ट फोन कहां से रख पाएंगे। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित ने हो इस लिए छानबे विकास खंड के गोपालपुर ग्राम पंचायत में प्राथमिक विद्यालय मड़गुड़ा के प्रधानाध्यापक डॉ. विजय शंकर बच्चों को घर घर जाकर पढ़ाने का निर्णय लिया। कोरोना संकट के बीच जब से शिक्षकों का स्कूल आना जाना तय हुआ वे गांव में जाने लगे। सोशल डिस्टेंसिंग के बीच छह सात बच्चों का ग्रुप बनाया। और पठन पाठन शुरू कर दिया। प्राथमिक विद्यालय मड़गुड़ा में 186 बच्चे पंजीकृत हैं। ऐसे में उन्होंने स्कूल के अन्य शिक्षकों को भी जिम्मेदारी और विभिन्न कक्षाओं के हिसाब से बच्चों के समूह बनाए। 6-7 बच्चों को मास्क व एक -एक मीटर की दूरी पर बैठा कर सुरक्षित ढंग से शिक्षण कार्य कराना शुरू किया। उन्होंने बताया कि पढ़ाई लिखाई के साथ-साथ गृहकार्य भी दिया जा रहा है। जिसका अगले दिन निरीक्षण भी किया जाता है। शिक्षक के इस कार्य को पूरे क्षेत्र में सराहा जा रहा है तथा अन्य शिक्षकों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बने हैं। पढ़ाई-लिखाई का यह कार्य किसी भी स्थिति में रुकना नहीं चाहिए, इस ध्येय से बच्चों की टोली बनाकर उनके मोहल्ले में ही शिक्षण का कार्य कर रहे हैं।इस दौरान बच्चों को पुस्तकें और अन्य जरूरी स्कूल सामग्री भी प्रदान की गई है।
186 बच्चे पढ़ते हैं स्कूल में
- विद्यालय में कुल 186 बच्चे पढ़ रहे हैं। अलग-अलग पुरवा व मजरे में रहने वालों बच्चों का रोस्टर बनाकर प्रधानाचार्य खुद की और अन्य दो शिक्षकों की ड्यूटी लगाते हैं। ऑनलाइन क्लास के बाद शिक्षक ऐसे मजरों, पुरवे में जाकर बच्चों को पढ़ाते है। विद्यालय पर विनोद कुमार त्रिपाठी, राजकुमार शिक्षक के रूप में तैनात हैं।
ताकि कोई अशिक्षित न रह जाए
- प्रधानाचार्य बताते हैँ कि स्कूल में कुछ बच्चे और परिजन आए जिन्होंने बताया कि उनके पास एंड्राएड फोन नहीं है। हैं भी तो वह काम पर जाने वाले बड़े अपने साथ ले जाते हैं। ऐसे में बच्चों की शिक्षा नहीं हो पाती है। तभी उनके मन में घर-घर जाकर शिक्षा देने की योजना आई। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन क्लास के बाद हम घर पर जाकर शिक्षा देते हैं।

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