मुख्यमंत्री ने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार व संगोष्ठी
‘पूर्वांचल का सतत विकास-मुद्दे, रणनीति और भावी दिशा’ के समापन सत्र को सम्बोधित किया
किसी भी राष्ट्र की प्रगति में क्षेत्रीय विषमता प्रमुख बाधक तत्व: मुख्यमंत्री
क्षेत्रीय विषमता को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार ने पूर्वांचल और बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लिए विकास बोर्ड का गठन किया
इन दोनों क्षेत्रों के लोगांे को भगवान बुद्ध के ‘अप दीपो भवः’ से प्रेरित होकर विकास की प्रक्रिया में सहभागी बनना चाहिए
पूर्वांचल के सतत विकास के सम्बन्ध में गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा वेबिनार व संगोष्ठी के निष्कर्षाें के सम्बन्ध में एक मंत्रिमण्डलीय उप समिति बनायी जाएगी, उप समिति 03 महीने में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को उपलब्ध कराएगी
इन्सेफेलाइटिस पर नियंत्रण के लिए अपनायी गयी नीति को कोविड-19 के नियंत्रण एवं उपचार में भी लागू किया गया, प्रदेश में कोविड-19 के संक्रमण पर नियंत्रण की सराहना डब्ल्यू0एच0ओ0 द्वारा की गयी
पूर्वी उ0प्र0 में समग्र विकास के लिए ऐसी ही कार्ययोजना लागू करके उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की जा सकती है
पूर्वांचल के विकास के लिए सभी संस्थाओं को पारस्परिक समन्वय के साथ कार्य करना होगा, नियोजन विभाग और पूर्वांचल विकास बोर्ड को प्रत्येक संस्था के साथ जुड़कर कार्य करना पड़ेगा
अकादमिक संस्थाओं को स्थानीय, सामाजिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक परिस्थितियों का अध्ययन कर कार्यक्रम तय करने होंगे
प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में तैयार राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन का आधार बनने जा रही
सभी शैक्षिक संस्थाएं राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अध्ययन एवं क्रियान्वयन के सम्बन्ध में एक कमेटी का गठन कर कार्ययोजना तैयार करें
पूर्वी उत्तर प्रदेश में अध्यात्मिक, पर्यटन के क्षेत्र में अपार सम्भावनाएं
‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना आत्मनिर्भर भारत का आधार बन रही
वर्तमान सरकार पूर्वांचल क्षेत्र की कनेक्टिविटी को निरन्तर सुदृढ़ कर रही
लखनऊ: 12 दिसम्बर, 2020उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति में क्षेत्रीय विषमता प्रमुख बाधक तत्व है। उत्तर प्रदेश में 04 आर्थिक जोन पूर्वांचल, पश्चिमांचल, मध्य और बुन्देलखण्ड हैं। क्षेत्रीय विषमता को समाप्त करने के लिए राज्य सरकार ने पूर्वांचल और बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लिए विकास बोर्ड का गठन किया है। उन्होंने कहा कि इन दोनों क्षेत्रों के लोगांे को भगवान बुद्ध के ‘अप दीपो भवः’ से प्रेरित होकर विकास की प्रक्रिया में सहभागी बनना चाहिए।
मुख्यमंत्री जी आज वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जनपद मुरादाबाद में गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार व संगोष्ठी ‘पूर्वांचल का सतत विकास-मुद्दे, रणनीति और भावी दिशा’ के समापन सत्र में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पूर्वांचल के सतत विकास के सम्बन्ध में गोरखपुर विश्वविद्यालय द्वारा वेबिनार व संगोष्ठी के आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि पिछले 03 दिनों से पूर्वी उत्तर प्रदेश के विकास के सम्बन्ध में जो मन्थन हो रहा है, यह निश्चित रूप से उपयोगी है। उन्होंने कहा कि इस मन्थन से जो निष्कर्ष सामने आये हैं, उनके सम्बन्ध में एक मंत्रिमण्डलीय उप समिति बनायी जाएगी। यह उप समिति आगामी 03 महीने के अन्दर अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को उपलब्ध कराएगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने पूर्वांचल में विगत कई दशकों से अभिशाप बनी, इन्सेफेलाइटिस की बीमारी पर प्रभावी नियंत्रण लगाया। यह कार्य अन्तर्विभागीय समन्वय और विभागीय बजट के माध्यम से किया गया। इसके लिए अतिरिक्त बजट की आवश्यकता नहीं पड़ी। प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वांचल की चिकित्सा व्यवस्था को सुदृढ़ करके, इन्सेफेलाइटिस से संक्रमित रोगियों के बेहतर सर्विलान्स, चिकित्सकों तथा चिकित्साकर्मियों के प्रशिक्षण एवं मरीजों के बेहतर उपचार की व्यवस्था की। ग्राम्य विकास व पंचायतीराज तथा नगर विकास विभाग को उनके क्षेत्रों में शुद्ध एवं स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता एवं सैनिटाइजेशन की जिम्मेदारी दी गयी। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग को पुष्टाहार उपलब्ध कराने तथा बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा को बीमारी के प्रति जागरूकता पैदा करने का दायित्व दिया गया। पूरी कार्यवाही की निरन्तर निगरानी सुनिश्चित की गयी। इससे प्रदेश के इन्सेफेलाइटिस से प्रभावित क्षेत्रों में इस बीमारी पर नियंत्रण में मदद मिली।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इन्सेफेलाइटिस पर नियंत्रण के लिए अपनायी गयी नीति को कोविड-19 के नियंत्रण एवं उपचार के लिए भी लागू किया गया। इसके परिणाम भी बहुत ही प्रभावी रहे। प्रदेश में कोविड-19 के संक्रमण पर नियंत्रण की सराहना डब्ल्यू0एच0ओ0 द्वारा भी की गयी। उन्होंने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में समग्र विकास के लिए भी ऐसी ही कार्ययोजना लागू करके उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की जा सकती है। इसके लिए सभी संस्थाओं को पारस्परिक समन्वय के साथ कार्य करना होगा। गोरखपुर विश्वविद्यालय की भांति अन्य अकादमिक सस्थाओं को भी आगे आना होगा। नियोजन विभाग और पूर्वांचल विकास बोर्ड को प्रत्येक संस्था के साथ जुड़कर कार्य करना पड़ेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूर्वांचल की समस्याओं का समाधान स्थानीय संस्थाओं को स्थानीय स्तर पर करना होगा। अकादमिक संस्थाओं को स्थानीय, सामाजिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक परिस्थितियों का अध्ययन कर कार्यक्रम तय करने होंगे। प्रकृति की कृपा कहीं अधिक, कहीं कम रही है, किन्तु दुनिया में हर क्षेत्र के लोगों ने अपनी चुनौतियों के समाधान का मार्ग स्वयं निकाला है। प्रकृति की कृपा के दृष्टि से पूर्वांचल का क्षेत्र अत्यन्त समृद्धशाली है। दुनिया की सर्वाधिक उर्वरा भूमि पर्याप्त मात्रा में जल संसाधन सहित मानव सभ्यता के लिए आवश्यक हर कारक प्रकृति और परमात्मा की कृपा से पूर्वी उत्तर प्रदेश में उपलब्ध हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में हर क्षेत्र में विकास की व्यापक सम्भावनाएं हैं। संगोष्ठी में कृषि विविधीकरण पर हुई चर्चा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक जनपद में कम से कम एक कृषि विज्ञान केन्द्र स्थापित किया गया है। इन केन्द्रों को कृषि विश्वविद्यालयों से जोड़ा गया है। हर विकास खण्ड में एफ0पी0ओ0 का गठन कर खेती के विविधीकरण, खेती की लागत कम करने, उत्पादन में वृद्धि तथा उत्पाद को बाजार तक पहुंचाने तथा उसके निर्यात की सम्भावनाओं को आगे बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए राज्य सरकार ने नीति बनायी है। उन्होंने कहा कि विकास प्रक्रिया से जुड़कर हम सभी को पूर्वी उत्तर प्रदेश सहित पूरी प्रदेश तथा देश के लिए सम्बल बनना होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में अध्यात्मिक, पर्यटन के क्षेत्र में अपार सम्भावनाएं हैं। प्रयागराज कुम्भ-2019, भगवान श्रीराम जी की जन्मस्थली अयोध्या का पुनर्विकास, पूर्वी उत्तर प्रदेश में 05 प्रमुख बौद्ध तीर्थस्थलों के होने की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इन प्रमुख आध्यात्मिक स्थलों पर बड़ी संख्या में पर्यटक पूरी दुनिया से आकर्षित किये जा सकते हैं। इसके लिए गाइडों को प्रशिक्षित करना होगा। रेस्टोरेंट, होटल, टैक्सी सेवाओं, पब्लिक ट्रांसपोर्ट को सुदृढ़ करना होगा। यह कार्य स्थानीय स्तर पर और स्थानीय लोगों द्वारा करना होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार द्वारा पूर्वांचल क्षेत्र की कनेक्टिविटी निरन्तर सुदृढ़ की जा रही है। गोरखपुर में अब कई उड़ानें आती हैं। यहां से दिल्ली, कोलकाता, मुम्बई, बंगलौर, हैदराबाद, प्रयागराज, लखनऊ आदि के लिए फ्लाइट हैं। इनकी मांग भी निरन्तर बढ़ रही हैं। पूर्वांचल के कुशीनगर, अयोध्या में अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे बनाये जा रहे हैं। वाराणसी एवं प्रयागराज में एयरपोर्ट कार्यशल हैं। श्रावस्ती, सोनभद्र में नये एयरपोर्ट बनाये जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पूर्वी उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था की बैकबोन बनने जा रहा है। प्रत्येक जनपद में अवस्थापना विकास के साथ ही औद्योगिक क्लस्टर विकसित करने के लिए कार्य हो रहा है। जनपद गोरखपुर, अम्बेडकरनगर व आजमगढ़ को जोड़ने वाले गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे की इसमें बड़ी भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश के नौजवानों को स्थानीय तौर पर रोजगार मिलने पर उनकी क्षमता और प्रतिभा का लाभ स्थानीय के साथ ही पूरे प्रदेश को मिलेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अकादमिक संस्थाओं को शासन की विभिन्न रोजगारपरक नीतियों, कार्यक्रमों, योजनाओं आदि से विद्यार्थियों से परिचित कराना चाहिए। इससे उन्हें अपना उद्यम प्रारम्भ करने में सुविधा होगी। शिक्षण संस्थाओं में सैद्धान्तिक ज्ञान के साथ ही व्यावहारिक पक्ष की जानकारी भी दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 तैयार की गयी है। यह नीति शिक्षा व्यवस्था में परिवर्तन का आधार बनने जा रही है। सभी शैक्षिक संस्थाएं राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अध्ययन एवं क्रियान्वयन के सम्बन्ध में एक कमेटी का गठन कर कार्ययोजना तैयार करें।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि शासन की योजनाओं से छात्र-छात्राओं के जुड़ने से प्रधानमंत्री जी की आत्मनिर्भर भारत की योजना को साकार किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना भी आत्मनिर्भर भारत का आधार बन रही है। उन्होंने कहा कि ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना के तहत प्रत्येक जनपद के परम्परागत उत्पाद चिन्हित किये गये हैं। इन उत्पादों को निरन्तर प्रोत्साहित करने से हम आत्मनिर्भर होते जाएंगे। ‘एक जनपद, एक उत्पाद’ योजना के अन्तर्गत माटी कला को प्रोत्साहित किया गया। इस वर्ष दीपोत्सव में अयोध्या में 7.5 लाख से अधिक मिट्टी के दीप प्रज्ज्वलित किये गये। ये सभी दीपक अयोध्या में ही बने हुए थे। जबकि दीपोत्सव के आयोजन के पहले वर्ष में अयोध्या में मिट्टी के 51 हजार दीपक भी नहीं प्राप्त हो सके थे।
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