संस्थान अपने रचनात्मक दायित्वोंके प्रति सजग है - डाॅ. सदानन्दप्रसाद गुप्त
लखनऊ: 30 दिसम्बर, 2020
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा संस्थान के 44वें स्थापना दिवस 30 दिसम्बर, 2020 के अवसर पर व्याख्यान एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता डाॅ. सदानन्दप्रसाद गुप्त, मा. कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने की। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में डाॅ. सूर्यप्रसाद दीक्षित, वरिष्ठ साहित्यकार, लखनऊ उपस्थित थे।
मुख्य अतिथि के रूप में पधारे डाॅ. सूर्यप्रसाद दीक्षित ने महामना मालवीय, डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद एवं श्री अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति को नमन करते हुए कहा - इन महान विभूतियों के चरित्र के विभिन्न उज्ज्वल पक्ष हैं, जिनका अनुसरण हमें करना चाहिए। मालवीय जी प्रखर वक्ता, शिक्षा शास्त्रीय, सुधारवादी समाज कल्याण के लिए समर्पित रहे। वे कुशल सम्पादक होने के साथ-साथ स्वनिर्मित नैतिक मापदण्डों को आदर्श बनाकर उनका निर्वाह जीवन भर करते रहे। वे मकरंद नाम से ब्रजभाषा में कविता करते थे। राजेन्द्र प्रसाद जी ने भारतीय गणतंत्र को वर्तमान रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका का निवर्हन किया। उनकी ख्याति जनसेवा के रूप में चहुंओर थी। श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति में अपना अलग आदर्श रखा। उन्होंने किसी दबाव में कार्य नहीं किया। वे सफल सांसद थे। राष्ट्रहित की बात आने पर पहले भारतीय थे, फिर किसी पार्टी के सदस्य।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅ. सदानन्द प्रसाद गुप्त ने डाॅ. हजारी प्रसाद द्विवेदी, ठाकुर प्रसाद सिंह प्रभृति विद्वानों की स्मृति को नमन करते हुए संस्थान में योगदान उल्लेख किया। साथ ही उन्होंने राजेन्द्र प्रसाद महामना मदन मोहन मालवीय व अटल बिहारी वाजपेयी जी के व्यक्तित्व के महत्वपूर्ण पक्षों की चर्चा की। उन्होंने की संस्थान अपने रचनात्मक दायित्वों को सजगता से पूर्ण कर रहा है।
अभ्यागतों का श्रीकांत मिश्रा, निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने करते हुए कहा - साहित्य और हिन्दी भाषा को समर्पित उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के 44वें स्थापना दिवस की शुभकामनाएं। उत्तर प्रदेश भारत एवं भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है। जहां भारत के विभिन्न क्षेत्रों से आये जनसमुदाय की भाषाओं, चिंतन तथा चेतना का संगम सहजता से देखा जा सकता है। उत्तर प्रदेश भारत की गरिमामयी संस्कृति एवं चेतना को न केवल भारत में अपितु भारत के बाहर भी संचार करने एवं परस्पर आदान-प्रदान करने के लिए हृदय स्थली की भांति कार्य करता है। राजभाषा हिन्दी उत्तर प्रदेश की मुख्य भाषा तो है ही साथ ही सभी भारतीय भाषाओं से सम्पर्क सूत्र के रूप में विश्ेाष भूमिका का निर्वहन करती है। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान हिन्दी भाषा के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं के उन्नयन एवं विकास हेतु निरंतर सक्रिय रहता है।
44वें स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे डाॅ सूर्यप्रसाद दीक्षित जी का उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान परिवार स्वागत एवं अभिनन्दन करता है। इस अवसर पर पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी की अध्यक्षता में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन हो रहा है, उनका भी स्वागत और अभिनन्दन है। काव्य पाठ करने हेतु पधारे गोरखपुर से श्री अनन्त मिश्र, मऊ से श्री कमलेश राय, प्रयागराज से श्री जयकृष्ण राय ‘तुषार’ एवं डाॅ. विनम्रसेन सिंह, बलरामपुर से श्री प्रकाश चन्द्र गिरि एवं लखनऊ से वरिष्ठ कवि श्री मधुकर अष्ठाना, श्री विनय वाजपेयी एवं श्री कुमार तरल का भी स्वागत एवं अभिनन्दन करते हुए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान परिवार गौरवान्वित है। आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आज इस मंच से काव्य के सभी रसों की गंगा में हम सबको आनन्दित होने का अवसर प्राप्त होगा। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के माननीय कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ. सदानन्दप्रसाद गुप्त जी के प्रति भी हम कृतज्ञ हैं, जिनकी अध्यक्षता में आज यह आयोजन हो रहा है। कोरोना काल की विसंगति के मध्य हम यह आयोजन करने का साहस इस विश्वास के साथ कर रहे हैं कि आप सबके द्वारा सुरक्षात्मक उपाय करते हुए इस काव्य गोष्ठी का आनंद लिया जायेगा।
काव्य गोष्ठी में की अध्यक्षता श्री उदय प्रताप सिंह, पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा की गयी। स्थापना दिवस के अवसर आयोजित काष्ठ गोष्ठी में डाॅ. अनन्त मिश्र, गोरखपुर, श्री मधुकर अष्ठाना, लखनऊ, श्री कमलेश राय, मऊ, श्री जयकृष्ण राय तुषार, प्रयागराज, डाॅ. विनम्रसेन सिंह, प्रयागराज, श्री प्रकाशचन्द्र गिरि, बलरामपुर, श्री विनय वाजपेयी, लखनऊ एवं श्री कुमार तरल, लखनऊ ने कवियों का सस्वर पाठ किया।
डाॅ. विनम्रसेन सिंह ने कविता का पाठ करते हुए कहा - चिराग आज हर एक ओर जलाने वालो/ऐसा लगता नहीं कि तुम भी कोई कम होंगे/सुता था जितना भी सोचा जरा सा नम होंगे/न था मालूम कि तुम इतने बेशरम होंगे/बाते ऊँची है मगर जेहत बहुत छोटा है/जरूर तुम भी किसी तख़्त ये कायम होंगे।
कुमार तरल ने कविता का पाठ करते हुए कहा - गीत भी मौन थे इस मुये साल में/कितने स्वर सो गये काल के गाल में/आइये मिलके हमस ब करें कामना/सब खुशी से जिये अब नये साल में।
मधुकर अष्ठाना ने कविता का पाठ करते हुए कहा - जिस सूरज से हुआ प्रकाशित/पूरा भारत देश/वही बाँध सकता है/अग्निसुता के बिखरे केश।
डाॅ. कमलेश राय ने कविता का पाठ करते हुए कहा - वो अपने वास्ते कोई तराना ढूंढ लेता है/हमेशा अपने मकसरद का बहाना ढूंढ लेता है/बड़े अरमान से चारा चुगाती है/जिसे चिड़िया/वो बच्चा जब बड़ा होता ठिकाना ढूंढ लेता है।
डाॅ. प्रकाश चन्द्र गिरि ने कविता का पाठ करते हुए कहा - मेरा दिल है जैसे धरती/सब कुछ इसके अंदर है/पर्वत समतल, हरियाली बंजर/खाई और समंदर है/ऐसे ही कवि नहीं हुआ है/उसने पीड़ा झेली है/कभी अनल है कभी सजल है/इसीलिए मन उर्वर है।
श्री जयकृष्ण राय ‘तुषार’ ने कविता का पाठ करते हुए कहा - तहजीब और अदब के हैं किससे जहां तमाम/कितनी हसीन हैं ये मियां लखनऊ की शाम/नौशाद की मौसीकी और बेगम की गायकी/इसके बिना कहां हैं मुकम्मल यहां की शाम।
श्री विनय वाजपेयी ने कविता का पाठ करते हुए कहा - आती है आवाज हिमालय की चोेटी से/मत कर देना मेरा सौदा/घी चुपड़ी की रोटी से।
डाॅ. अमिता दुबे ने कविता पाठक करते हुए कहा - सब कुछ पहले सा हो जाए/ऐसा मन करता है/सूरज पश्चिम से उग आए ऐसा मन करता है।
डाॅ. अनन्त मिश्र ने कविता का पाठ करते हुए कहा - न नौ मन तेल होगा/न राधा नाचेगी खैर/मुहावरे में कभी नहीं नाचेंगी/जब भी मेरे गीतों में मोहन होगा/तब राधा जरूर नाचेंगी/मेरे गीतों के लिए नहीं/अपने मोहन के लिए/राधा जरूर नाचेगी।
श्री उदय प्रताप सिंह ने कविता का पाठ करते हुए कहा - मेरी सारी विपदाओं की/केवल यही कहानी है/लाभ अलाभ बुद्धि के बदले/बात हृदय की मानी है। उन्होंने आगे पढ़ा - मैं धन से निर्धन हूं/पर मन का राजा हूं/तुम जितना चाहो प्यार तुम्हें दे सकता हूं।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा युवा रचनाकारों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित कहानी, कविता एवं निबन्ध प्रतियोगिता 2020 में निम्नलिखित युवा रचनाकारों का चयन किया गया। पुरस्कार वितरण समारोह बाद में आयोजित किया जायेगा:-
कहानी प्रतियोगिता का परिणाम वर्ष 2020-21
क्र. स्थान नाम पुरस्कार धनराशि
1. प्रथम श्री कृष्ण कुमार ‘कनक’, फिरोजाबाद रु. 7,000=00
2. द्वितीय श्री राजेश कुमार, बरेली रु. 5,000=00
श्री कुशिक अग्रवाल, मेरठ रु. 5,000=00
3. तृतीय सुश्री अनुश्री ‘श्री’, गाजीपुर रु. 4,000=00
4. सांत्वना श्री गौरव शर्मा, प्रयागराज रु. 2,000=00
5. सांत्वना सुश्री रुद्राणी घोष, कानपुर रु. 2,000=00
कविता प्रतियोगिता का परिणाम वर्ष 2020-21
क्र. स्थान नाम पुरस्कार धनराशि
1. प्रथम सुश्री शिवांगी तिवारी, चित्राकूट रु. 7,000=00
2. द्वितीय श्री प्रखर पाण्डेय, हरदोई रु. 5,000=00
3. तृतीय श्री अर्पित मदनावत, हाथरस रु. 4,000=00
4. सांत्वना श्री प्रवीन कुमार पाण्डेय ‘प्रज्ञार्थ’, फिरोजाबाद रु. 2,000=00
5. सांत्वना सुश्री आराधना शुक्ला, कानपुर रु. 2,000=00
निबन्ध प्रतियोगिता का परिणाम वर्ष 2020-21
क्र. स्थान नाम पुरस्कार धनराशि
1. प्रथम सुश्री अंकिता श्रीवास्तव, कानपुर रु. 7,000=00
2. द्वितीय सुश्री सृष्टि पाण्डेय, प्रतापगढ़ रु. 5000=00
सुश्री काजल चैधरी, कानपुर नगर रु. 5000=00
सुश्री सुकर्णा कटियार, कानपुर नगर रु. 5000=00
3. तृतीय सुश्री अनुकृति पाण्डेय, लखनऊ रु. 4,000=00
श्री सुमित कुमार, पीलीभीत रु. 4,000=00
सुश्री मोनिका वर्मा, आगरा रु. 4,000=00
श्री ललित हरि मिश्रा, शाहजहाँपुर रु. 4,000=00
4.
सांत्वना सुश्री सुधांशु पाण्डेय, प्रतापगढ़ रु. 2,000=00
सुश्री श्वेता सोनकर, लखनऊ रु. 2,000=00
समारोह का संचालन डाॅ. अमिता दुबे, सम्पादक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने किया।
लखनऊ: 30 दिसम्बर, 2020
उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा संस्थान के 44वें स्थापना दिवस 30 दिसम्बर, 2020 के अवसर पर व्याख्यान एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता डाॅ. सदानन्दप्रसाद गुप्त, मा. कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने की। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में डाॅ. सूर्यप्रसाद दीक्षित, वरिष्ठ साहित्यकार, लखनऊ उपस्थित थे।
मुख्य अतिथि के रूप में पधारे डाॅ. सूर्यप्रसाद दीक्षित ने महामना मालवीय, डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद एवं श्री अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति को नमन करते हुए कहा - इन महान विभूतियों के चरित्र के विभिन्न उज्ज्वल पक्ष हैं, जिनका अनुसरण हमें करना चाहिए। मालवीय जी प्रखर वक्ता, शिक्षा शास्त्रीय, सुधारवादी समाज कल्याण के लिए समर्पित रहे। वे कुशल सम्पादक होने के साथ-साथ स्वनिर्मित नैतिक मापदण्डों को आदर्श बनाकर उनका निर्वाह जीवन भर करते रहे। वे मकरंद नाम से ब्रजभाषा में कविता करते थे। राजेन्द्र प्रसाद जी ने भारतीय गणतंत्र को वर्तमान रूप देने में महत्वपूर्ण भूमिका का निवर्हन किया। उनकी ख्याति जनसेवा के रूप में चहुंओर थी। श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने राजनीति में अपना अलग आदर्श रखा। उन्होंने किसी दबाव में कार्य नहीं किया। वे सफल सांसद थे। राष्ट्रहित की बात आने पर पहले भारतीय थे, फिर किसी पार्टी के सदस्य।
अध्यक्षीय उद्बोधन में डाॅ. सदानन्द प्रसाद गुप्त ने डाॅ. हजारी प्रसाद द्विवेदी, ठाकुर प्रसाद सिंह प्रभृति विद्वानों की स्मृति को नमन करते हुए संस्थान में योगदान उल्लेख किया। साथ ही उन्होंने राजेन्द्र प्रसाद महामना मदन मोहन मालवीय व अटल बिहारी वाजपेयी जी के व्यक्तित्व के महत्वपूर्ण पक्षों की चर्चा की। उन्होंने की संस्थान अपने रचनात्मक दायित्वों को सजगता से पूर्ण कर रहा है।
अभ्यागतों का श्रीकांत मिश्रा, निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने करते हुए कहा - साहित्य और हिन्दी भाषा को समर्पित उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के 44वें स्थापना दिवस की शुभकामनाएं। उत्तर प्रदेश भारत एवं भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है। जहां भारत के विभिन्न क्षेत्रों से आये जनसमुदाय की भाषाओं, चिंतन तथा चेतना का संगम सहजता से देखा जा सकता है। उत्तर प्रदेश भारत की गरिमामयी संस्कृति एवं चेतना को न केवल भारत में अपितु भारत के बाहर भी संचार करने एवं परस्पर आदान-प्रदान करने के लिए हृदय स्थली की भांति कार्य करता है। राजभाषा हिन्दी उत्तर प्रदेश की मुख्य भाषा तो है ही साथ ही सभी भारतीय भाषाओं से सम्पर्क सूत्र के रूप में विश्ेाष भूमिका का निर्वहन करती है। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान हिन्दी भाषा के साथ-साथ अन्य भारतीय भाषाओं के उन्नयन एवं विकास हेतु निरंतर सक्रिय रहता है।
44वें स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे डाॅ सूर्यप्रसाद दीक्षित जी का उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान परिवार स्वागत एवं अभिनन्दन करता है। इस अवसर पर पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष श्री उदय प्रताप सिंह जी की अध्यक्षता में एक काव्य गोष्ठी का आयोजन हो रहा है, उनका भी स्वागत और अभिनन्दन है। काव्य पाठ करने हेतु पधारे गोरखपुर से श्री अनन्त मिश्र, मऊ से श्री कमलेश राय, प्रयागराज से श्री जयकृष्ण राय ‘तुषार’ एवं डाॅ. विनम्रसेन सिंह, बलरामपुर से श्री प्रकाश चन्द्र गिरि एवं लखनऊ से वरिष्ठ कवि श्री मधुकर अष्ठाना, श्री विनय वाजपेयी एवं श्री कुमार तरल का भी स्वागत एवं अभिनन्दन करते हुए उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान परिवार गौरवान्वित है। आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आज इस मंच से काव्य के सभी रसों की गंगा में हम सबको आनन्दित होने का अवसर प्राप्त होगा। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के माननीय कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ. सदानन्दप्रसाद गुप्त जी के प्रति भी हम कृतज्ञ हैं, जिनकी अध्यक्षता में आज यह आयोजन हो रहा है। कोरोना काल की विसंगति के मध्य हम यह आयोजन करने का साहस इस विश्वास के साथ कर रहे हैं कि आप सबके द्वारा सुरक्षात्मक उपाय करते हुए इस काव्य गोष्ठी का आनंद लिया जायेगा।
काव्य गोष्ठी में की अध्यक्षता श्री उदय प्रताप सिंह, पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा की गयी। स्थापना दिवस के अवसर आयोजित काष्ठ गोष्ठी में डाॅ. अनन्त मिश्र, गोरखपुर, श्री मधुकर अष्ठाना, लखनऊ, श्री कमलेश राय, मऊ, श्री जयकृष्ण राय तुषार, प्रयागराज, डाॅ. विनम्रसेन सिंह, प्रयागराज, श्री प्रकाशचन्द्र गिरि, बलरामपुर, श्री विनय वाजपेयी, लखनऊ एवं श्री कुमार तरल, लखनऊ ने कवियों का सस्वर पाठ किया।
डाॅ. विनम्रसेन सिंह ने कविता का पाठ करते हुए कहा - चिराग आज हर एक ओर जलाने वालो/ऐसा लगता नहीं कि तुम भी कोई कम होंगे/सुता था जितना भी सोचा जरा सा नम होंगे/न था मालूम कि तुम इतने बेशरम होंगे/बाते ऊँची है मगर जेहत बहुत छोटा है/जरूर तुम भी किसी तख़्त ये कायम होंगे।
कुमार तरल ने कविता का पाठ करते हुए कहा - गीत भी मौन थे इस मुये साल में/कितने स्वर सो गये काल के गाल में/आइये मिलके हमस ब करें कामना/सब खुशी से जिये अब नये साल में।
मधुकर अष्ठाना ने कविता का पाठ करते हुए कहा - जिस सूरज से हुआ प्रकाशित/पूरा भारत देश/वही बाँध सकता है/अग्निसुता के बिखरे केश।
डाॅ. कमलेश राय ने कविता का पाठ करते हुए कहा - वो अपने वास्ते कोई तराना ढूंढ लेता है/हमेशा अपने मकसरद का बहाना ढूंढ लेता है/बड़े अरमान से चारा चुगाती है/जिसे चिड़िया/वो बच्चा जब बड़ा होता ठिकाना ढूंढ लेता है।
डाॅ. प्रकाश चन्द्र गिरि ने कविता का पाठ करते हुए कहा - मेरा दिल है जैसे धरती/सब कुछ इसके अंदर है/पर्वत समतल, हरियाली बंजर/खाई और समंदर है/ऐसे ही कवि नहीं हुआ है/उसने पीड़ा झेली है/कभी अनल है कभी सजल है/इसीलिए मन उर्वर है।
श्री जयकृष्ण राय ‘तुषार’ ने कविता का पाठ करते हुए कहा - तहजीब और अदब के हैं किससे जहां तमाम/कितनी हसीन हैं ये मियां लखनऊ की शाम/नौशाद की मौसीकी और बेगम की गायकी/इसके बिना कहां हैं मुकम्मल यहां की शाम।
श्री विनय वाजपेयी ने कविता का पाठ करते हुए कहा - आती है आवाज हिमालय की चोेटी से/मत कर देना मेरा सौदा/घी चुपड़ी की रोटी से।
डाॅ. अमिता दुबे ने कविता पाठक करते हुए कहा - सब कुछ पहले सा हो जाए/ऐसा मन करता है/सूरज पश्चिम से उग आए ऐसा मन करता है।
डाॅ. अनन्त मिश्र ने कविता का पाठ करते हुए कहा - न नौ मन तेल होगा/न राधा नाचेगी खैर/मुहावरे में कभी नहीं नाचेंगी/जब भी मेरे गीतों में मोहन होगा/तब राधा जरूर नाचेंगी/मेरे गीतों के लिए नहीं/अपने मोहन के लिए/राधा जरूर नाचेगी।
श्री उदय प्रताप सिंह ने कविता का पाठ करते हुए कहा - मेरी सारी विपदाओं की/केवल यही कहानी है/लाभ अलाभ बुद्धि के बदले/बात हृदय की मानी है। उन्होंने आगे पढ़ा - मैं धन से निर्धन हूं/पर मन का राजा हूं/तुम जितना चाहो प्यार तुम्हें दे सकता हूं।
इस अवसर पर उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा युवा रचनाकारों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आयोजित कहानी, कविता एवं निबन्ध प्रतियोगिता 2020 में निम्नलिखित युवा रचनाकारों का चयन किया गया। पुरस्कार वितरण समारोह बाद में आयोजित किया जायेगा:-
कहानी प्रतियोगिता का परिणाम वर्ष 2020-21
क्र. स्थान नाम पुरस्कार धनराशि
1. प्रथम श्री कृष्ण कुमार ‘कनक’, फिरोजाबाद रु. 7,000=00
2. द्वितीय श्री राजेश कुमार, बरेली रु. 5,000=00
श्री कुशिक अग्रवाल, मेरठ रु. 5,000=00
3. तृतीय सुश्री अनुश्री ‘श्री’, गाजीपुर रु. 4,000=00
4. सांत्वना श्री गौरव शर्मा, प्रयागराज रु. 2,000=00
5. सांत्वना सुश्री रुद्राणी घोष, कानपुर रु. 2,000=00
कविता प्रतियोगिता का परिणाम वर्ष 2020-21
क्र. स्थान नाम पुरस्कार धनराशि
1. प्रथम सुश्री शिवांगी तिवारी, चित्राकूट रु. 7,000=00
2. द्वितीय श्री प्रखर पाण्डेय, हरदोई रु. 5,000=00
3. तृतीय श्री अर्पित मदनावत, हाथरस रु. 4,000=00
4. सांत्वना श्री प्रवीन कुमार पाण्डेय ‘प्रज्ञार्थ’, फिरोजाबाद रु. 2,000=00
5. सांत्वना सुश्री आराधना शुक्ला, कानपुर रु. 2,000=00
निबन्ध प्रतियोगिता का परिणाम वर्ष 2020-21
क्र. स्थान नाम पुरस्कार धनराशि
1. प्रथम सुश्री अंकिता श्रीवास्तव, कानपुर रु. 7,000=00
2. द्वितीय सुश्री सृष्टि पाण्डेय, प्रतापगढ़ रु. 5000=00
सुश्री काजल चैधरी, कानपुर नगर रु. 5000=00
सुश्री सुकर्णा कटियार, कानपुर नगर रु. 5000=00
3. तृतीय सुश्री अनुकृति पाण्डेय, लखनऊ रु. 4,000=00
श्री सुमित कुमार, पीलीभीत रु. 4,000=00
सुश्री मोनिका वर्मा, आगरा रु. 4,000=00
श्री ललित हरि मिश्रा, शाहजहाँपुर रु. 4,000=00
4.
सांत्वना सुश्री सुधांशु पाण्डेय, प्रतापगढ़ रु. 2,000=00
सुश्री श्वेता सोनकर, लखनऊ रु. 2,000=00
समारोह का संचालन डाॅ. अमिता दुबे, सम्पादक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान ने किया।
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