गोंडा। पंचायतों में आम लोगों के लिए बनाए गए सामुदायिक शौचालयों के संचालन का जिम्मा महिलाओं के हाथों में होगा। इससे पंचायतों की करीब एक हजार महिलाओं को रोजगार हासिल हो सकेगा। गांवों में बने स्वयं सहायता समूह की महिला सदस्य को शौचालय का केयर टेकर नियुक्त किया जाएगा। हर महीने पंचायत राज विभाग छह हजार रुपये मानदेय देगा। जिले के 1054 पंचायतों में से 1000 गावों में सामुदायिक शौचालयों का निर्माण हो रहा है। इसके अलावा पांच सौ के करीब गावों सामुदायिक शौचालयों का निर्माण पूरा हो गया है।

स्वयं सहायता समूह की एक हजार हजार महिलाओं को सामुदायिक शौचालयों के संचालन की जिम्मेदारी सौंप कर रोजगार से जोड़ा जा रहा है। इसके लिए उन्हें जिले की एक हजार ग्राम पंचायतों में बन रहे शौचालयों के देख-रेख की कमान सौंपी जाएगी। इसके बदले में सरकार की ओर से उन्हें छह हजार रुपये का मानदेय हर माह दिया जाएगा। पहले चरण में बन चुके शौचालयों में उन्हें काम देने की कार्रवाई हो रही है।
स्वच्छता अभियान के लिए चल रही है सामुदायिक शौचालय की मुहिम
स्वच्छता मुहिम को लेकर जिले में एक हजार ग्राम पंचायतों में शौचालय बनवाए जा रहे हैं। स्वच्छ भारत मिशन में एक सामुदायिक शौचालय के निर्माण पर तीन लाख रुपये दिए जा रहे हैं। कई जगह अधिक लागत के बेहतर मानक के बड़े सामुदायिक शौचालयों का निर्माण भी किया जा रहा है। इन शौचालयों में कार्य कर रही महिलाओं को साल में दो बार पीपीई किट, ग्लब्स और केमिकल आदि भी दिए जाएंगे।
महिलाओं को रोजगार देने की पहल
जिला पंचायत राज अधिकारी सभाजीत पांडेय ने बताया कि मार्च तक हर ग्राम पंचायत में शौचालयों का निर्माण पूरा हो जाए। पहले चरण में पूरे हो चुके पांच सौ के करीब शौचालयों में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार दिए जाने की कार्रवाई की जा रही है। एक हजार शौचालयों का निर्माण हो रहा है। जैसे-जैसे निर्माण पूरे होते जाएंगे, वैसे-वैसे स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। जिन शौचालयों का निर्माण पूरा हो चुका है, हम उनका थर्ड पार्टी वेरिफिकेशन भी करा रहे हैं। इसमें निर्माण की गुणवत्ता आदि की जांच की जाएगी।
मानदेय के साथ ही शौचालयों के रखरखाव के लिए मिलेगा बजट
ग्राम पंचायतों में हर शौचालय की रखरखाव के लिए नौ हजार रुपये देगी। सफाई कर्मचारी या केयर टेकर दिन में कम से कम दो बार सफाई करेगा। इसके अलावा बिजली, प्लंबिग, नल और टोटी की मरम्मत के लिए पांच सौ रुपये प्रति माह और साफ सफाई के लिए झाड़ू, ब्रश, वाइपर, स्पंज, कपड़े, पोछा, बाल्टी, मग आदि के लिए छह माह में एक बार 12 सौ रुपये दिए जाएंगे। निसंक्रामक सामग्री साबुन, वाशिंग पाउडर, एयर फ्रेशनर, ग्लब्स, हार्पिक, मास्क, दस्ताने और एप्रेन के लिए एक हजार रुपये प्रति माह दिए जाएंगे। यूटिलिटी चार्जेज के रूप में पानी, बिजली, सालिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए एक हजार रुपये प्रति माह और अन्य खर्चों के लिए तीन सौ रुपये प्रति माह दिए जाएंगे।
सामुदायिक शौचालयों का संचालन शहर की तर्ज पर कराया जाएगा। समूह की महिलाओं को जिम्मेदारी देकर उन्हें रोजगार दिया जाएगा। -शशांक त्रिपाठी, सीडीओ

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