प्रदेश में गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु निरन्तर कार्य किया जा रहा
प्रदेश की पंजीकृत 546 गोशालाओं व 4500 गो आश्रय स्थल में
लगभग छः लाख गोवंश का भरण-पोषण हो रहा
-उ0प्र0 गोसेवा आयोग के अध्यक्ष, श्याम नन्दन सिंह
लखनऊः 22 दिसम्बर, 2020
उ0प्र0 गोसेवा आयोग के अध्यक्ष श्री श्याम नन्दन सिंह ने आज यहां अवगत कराया कि प्रदेश की पंजीकृत 546 गोशालाओं व 4500 गो आश्रय स्थल में लगभग छः लाख गोवंश का भरण-पोषण कर उन्हें संरक्षित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में गोशालाओं एवं गो आश्रय स्थलों को आत्मनिर्भर तथा आर्थिक रूप से उन्नत बनाने के लिये गोबर से बनी जैविक खाद, गोबर से बने कंडे गोनाइल, पंचगव्य औषधियां, गोमय दीपक, मूर्तियां, राखी, अगरबत्ती, मच्छररोधी काॅयल इत्यादि का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही मा0 मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के अन्तर्गत लगभग 40000 परिवार लाभान्वित हुये हैं, जिसमें योजना के अन्तर्गत लगभग 70000 गोवंश को सुपुर्द किया गया है।
श्री श्याम नन्दन सिंह ने कहा कि प्रदेश में गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु निरन्तर कार्य किया जा रहा है। उ0प्र0 गो-वध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 11 जून, 2020 को लागू किया गया। जिसमें अवैध/क्रूरतापूर्ण परिवहन व गोवंश क्रूरता पर एक से सात वर्ष तक कारावास तथा एक से तीन लाख तक जुर्माना एवं अधिनियम के प्राविधानों का उल्लघन करने पर तीन वर्ष से दस वर्ष का कठोर कारावास तथा तीन लाख से दस लाख तक जुर्माना घोषित किया गया है। राज्य सरकार गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कटिबद्ध हैं
गोसेवा आयोग के अध्यक्ष श्री श्याम नन्दन सिंह ने बताया कि प्रदेश के 75 जनपदों में रू0-1.20 करोड़ प्रति गोवंश आश्रय स्थल की दर से 150 वृहद गोवंश आश्रय स्थलों की स्थापना की गयी है, जिनके प्रबंधन व जनपद में गोवंश के संरक्षण के लिये जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गो संरक्षण समितियों का गठन किया गया है। प्रदेश के समस्त नगर निकायों में कान्हा गोशालाओं की स्थापना की गयी है।
प्रदेश की पंजीकृत 546 गोशालाओं व 4500 गो आश्रय स्थल में
लगभग छः लाख गोवंश का भरण-पोषण हो रहा
-उ0प्र0 गोसेवा आयोग के अध्यक्ष, श्याम नन्दन सिंह
लखनऊः 22 दिसम्बर, 2020
उ0प्र0 गोसेवा आयोग के अध्यक्ष श्री श्याम नन्दन सिंह ने आज यहां अवगत कराया कि प्रदेश की पंजीकृत 546 गोशालाओं व 4500 गो आश्रय स्थल में लगभग छः लाख गोवंश का भरण-पोषण कर उन्हें संरक्षित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य में गोशालाओं एवं गो आश्रय स्थलों को आत्मनिर्भर तथा आर्थिक रूप से उन्नत बनाने के लिये गोबर से बनी जैविक खाद, गोबर से बने कंडे गोनाइल, पंचगव्य औषधियां, गोमय दीपक, मूर्तियां, राखी, अगरबत्ती, मच्छररोधी काॅयल इत्यादि का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही मा0 मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के अन्तर्गत लगभग 40000 परिवार लाभान्वित हुये हैं, जिसमें योजना के अन्तर्गत लगभग 70000 गोवंश को सुपुर्द किया गया है।
श्री श्याम नन्दन सिंह ने कहा कि प्रदेश में गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु निरन्तर कार्य किया जा रहा है। उ0प्र0 गो-वध निवारण (संशोधन) अध्यादेश, 11 जून, 2020 को लागू किया गया। जिसमें अवैध/क्रूरतापूर्ण परिवहन व गोवंश क्रूरता पर एक से सात वर्ष तक कारावास तथा एक से तीन लाख तक जुर्माना एवं अधिनियम के प्राविधानों का उल्लघन करने पर तीन वर्ष से दस वर्ष का कठोर कारावास तथा तीन लाख से दस लाख तक जुर्माना घोषित किया गया है। राज्य सरकार गोवंश के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए कटिबद्ध हैं
गोसेवा आयोग के अध्यक्ष श्री श्याम नन्दन सिंह ने बताया कि प्रदेश के 75 जनपदों में रू0-1.20 करोड़ प्रति गोवंश आश्रय स्थल की दर से 150 वृहद गोवंश आश्रय स्थलों की स्थापना की गयी है, जिनके प्रबंधन व जनपद में गोवंश के संरक्षण के लिये जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गो संरक्षण समितियों का गठन किया गया है। प्रदेश के समस्त नगर निकायों में कान्हा गोशालाओं की स्थापना की गयी है।
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