ग्रेटर नोएडा: ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में तैनात 15 कर्मचारियों एवं अधिकारियों की नौकरी की उलटी गिनती शुरू हो गई है। शासन ने इन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है कि क्यों न उन्हें बर्खास्त कर दिया जाए। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने जांच के बाद इन कर्मचारियों एवं अधिकारियों की सेवाएं समाप्त करने की शासन से संस्तुति की थी। ये भर्तियां बसपा शासनकाल में हुई थीं। जिनमें अपने को फायदा पहुंचाने के लिए योग्यता व नियमों की अनदेखी की गई थी।
बसपा शासन काल 2002-03 में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने चपरासी से लेकर प्रबंधक के पद पर 58 भर्तियां की गई थीं। इनमें जमकर धांधली की गई। पद के लिए शैक्षिक योग्यता की अनदेखी हुई। यही नहीं नियमों की अनदेखी करते हुए दूसरे राज्यों के जाति प्रमाण पर भर्ती में लाभ दिया गया। शिकायत होने पर इन भर्तियों की तत्कालीन सीईओ ब्रजेश कुमार ने जांच कराई थी। इसमें शिकायत सही मिलने पर उन्होंने भर्ती किए कर्मचारियों की बर्खास्तगी की सिफारिश की थी। इसके बाद आइएएस अधिकारी आरएस माथुर ने भी अपनी जांच रिपोर्ट में भर्तियों को अवैध करार दिया था। लेकिन कर्मचारियों एवं अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई। केंद्रीय सेवा नियमावली लागू होने के बाद कार्रवाई का अधिकार शासन के पास चला गया। प्राधिकरण की रिपोर्ट में की गई संस्तुति के आधार पर शासन ने पंद्रह कर्मचारियों एवं अधिकारियों के नोटिस जारी कर दिया है। चपरासी स्तर पर कार्रवाई पहले ही प्राधिकरण से हो चुकी है। नियम विरुद्ध भर्ती पाने वाले कुछ कर्मचारी पहले ही कोर्ट से स्थगन ले चुके हैं या नौकरी छोड़ चुके हैं
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