*बजरंग ब्रिगेड काशी के प्रदेश अध्यक्ष हिमांशु वर्मा के सरकार के विरुद्ध तीखे बोल*

  वाराणसी/
ऐसे तो बच्चों का भविष्य ही चौपट हो जाएगा। 
विश्वस्त सूत्रों की मानें तो प्राइवेट स्कूल संचालक खुलकर सरकार के विरोध में लामबन्द हो सकते हैं।दावा किया जा रहा है कि यह शिक्षा से एक जुड़े लगभग पचास लाख परिवारों का सवाल है।सभी का एक ही सवाल है कि जब मॉल, मंदिर, पिकनिक स्पॉट, बाजार सब खुल चुके हैं,तो सिर्फ 8वीं तक के स्कूल क्यों नहीं? क्या कोरोना सिर्फ शैक्षणिक संस्थानों तक ही सीमित है?लोगों का खुली जुबां से कहना है कि मामले में शासन हो चाहे प्रशासन,सभी जिम्मेदारों को अपनी मंशा साफ करनी चाहिए।स्कूल संचालकों का दावा है कि अकेले उत्तर प्रदेश में ही लगभग 1 लाख से ज्यादा प्राइवेट स्कूल हैं।सरकार इन सभी स्कूलों के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है।लोगों का दावा है कि इन दिनों रोज़गार और कारोबार पर असर से हर कोई परेशान हैं। पति-पत्नी हों या फिर भाई-बहन,सभी के रिश्तों में भी तेजी से तनाव आ रहा है,तनाव में मां-बाप और बच्चों के रिश्तों का समीकरण भी बिगड़ रहा हैं।बच्चों की शिकायत है, 'घर के खराब माहौल से बचने के लिए स्कूल ही इकलौती जगह थी। अब स्कूल के बिना ऐसा लग रहा है जैसे वे जेल में हैं। किसी से मिलना-जुलना नहीं हो पा रहा है।उनकी मेंटल हेल्थ संग पढ़ाई पर असर पड़ रहा है।परिवार में तनाव, छोटी सी जगह में बंध जाने और दोस्तों से बातचीत न हो पाने की समस्या संग खाने-पीने का सही इंतजाम न होने और अच्छी शिक्षा न मिल पाने से बच्चों के जीवन पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है। परिवार जिस सामाजिक-आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं, उसकी आंच बच्चों पर दुष्प्रभाव डाल रही है। इसका असर तमाम बच्चों पर ताउम्र रहेगा।कुछ बच्चे तो पढाई छूटने के बाद बाल मजदूरी के दलदल में फंस गए हैं।लोगों का दावा है कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर निर्भरता से बच्चों के सेहत पर भी बुरा असर पड़ रहा है।अभिभावकों के तनाव के चलते बच्चों को अब अपने ही परिवार में सुरक्षित माहौल नहीं मिल पा रहा हैं,बच्चों का कम्युनिकेशन स्किल सुधारने और मेंटल हेल्थ के लिए  दूसरे बच्चों से मेलजोल जरूरी होता है। वायरस के संक्रमण के डर से कई परिवारों ने बच्चों को घर में ही समेट रखा है। इससे उनकी फिजिकल एक्टिविटी पर असर पड़ रहा है। इससे सेहत के लिए समस्या तेजी से उतपन्न हो रही है।अभी ऐसा कोई संकेत नहीं दिख रहा है कि सरकारी अमला बच्चों के भविष्य पर मंडरा रहे इन खतरों पर ध्यान दे रहा है।लोगों का कहना है कि यही वह ग्रुप है जिससे देश का भविष्य तय होगा। क्या सरकारों और समाज को इनका बेहतर ढंग से खयाल नहीं रखना चाहिए

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