तहसील कॉलोनी में कर्मचारियों के लिए बने आवास बुरी तरह बदहाल हो चुके हैं। इन आवासों में रहना खतरे से खाली नहीं है लेकिन मुख्यालय पर चौबीसों घंटे रहने की विवशता के कारण इन्ही जर्जर कमरों में रहना पड़ रहा है। परिसर में न तो जल निकासी की ही पर्याप्त व्यवस्था है न साफ-सफाई ही नियमित रूप से होती है। पीछे की ओर चारों तरफ जंगली झाड़ी, कूड़ा व गंदा पानी फैला हुआ है। कालोनी मे अनुचर, लेखपाल, राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार के आवास बने हुए हैं। अस्सी के दशक में बने आवास पूरी तरह बदहाल हो गए हैं। कालोनी के निवासियों का कहना है कि दीवार व छत पूरी तरह जर्जर हैं। बरसात में छत से पानी टपकता रहता है। कालोनी में जल निकासी की कोई व्यवस्था न होने के कारण घरों के पीछे गंदा पानी जमा है। पूरी कालोनी के हैंडपंप खराब हैं। वायरिंग उखड़ चुकी है। झाड़ियां उगी हुई हैं जिनमें विषैले जीव जंतुओं का बसेरा है। सरकारी कर्मचारी होने के कारण अधिकारियों को सूचना दे पाना भी संभव नहीं हो पा रहा है।
तहसीलदार रोहित मौर्य का कहना है कि कॉलोनी में कर्मचारियों के आवास की स्थिति दयनीय है लेकिन इसके लिए अतिरिक्त बजट नहीं है। समय-समय पर अनुरक्षण के लिए प्राप्त होने वाली धनराशि से प्लास्टर व सफाई कराई जाती है।
असगर अली
उतरौला
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