उद्यान विभाग ने आलू की फसल को झुलसा रोग से
बचाने हेतु एडवाजरी जारी की

लखनऊ: दिनांक: 22 दिसम्बर, 2019
उत्तर प्रदेश के उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण निदेशक, डाॅ0 एस0बी0 शर्मा ने आलू की फसल को झुलसा रोग व कीट से बचाने हेतु एडवाजरी जारी करते हुये कहा है कि जिन किसानों ने अपनी आलू की फसल में अभी तक फफूंदनाशक दवा का छिड़काव नहीं किया है, वे अपनी फसल को झुलसा रोग से बचाव हेतु मैन्कोजेब/प्रोपीनेब/क्लोरोथेलोंनील युक्त फफूंदनाशक 2.0-2.5 कि0ग्रा0 प्रति 1000 ली0 पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। उन्होंने बताया कि जिन किसानों की फसल में बीमारी प्रकट हो चुकी है, वे साईमोक्सेनिल$मैन्कोजेब का 3.0 कि0ग्रा0 प्रति 1000 ली0 अथवा फेनोमिडोन$मैन्कोजेब का 3.0 कि0ग्रा0 प्रति 1000 ली0 पानी में प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
डाॅ0 शर्मा ने बताया कि इसके अतिरिक्त डाईमेथोमार्फ 1.0 कि0ग्रा0$मैन्कोजेब 2.0 कि0ग्रा0 (कुल मिश्रण 3.0 कि0ग्रा0) प्रति 1000 ली0 पानी में प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव कर अपनी फसल को इस रोग से बचा सकते हैं। उन्होंने बताया कि फफूंदनाशक को 10 दिन के अन्तराल पर दोहराया जा सकता है, लेकिन रोग की तीव्रता को देखते हुये इस अंतराल को घटाया या बढ़ाया जा सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि किसान एक ही फफूंदनाशक का बार-बार छिउ़काव न करें।
निदेशक, उद्यान ने बताया कि जब मौसम में 85 प्रतिशत से अधिक नमी आ जाये और लगातार तीन दिन तक कोहरा बना रहे और तापमान 5 डिग्री सेंटीग्रेड से कम हो, तो यह स्थिति झुलसा रोग के लिये अनुकूल होती है। उन्हांेने बताया कि वर्तमान में मौसम की स्थिति के कारण भविष्य में आलू की फसल में झुलसा रोग के आने की संभावना है। उन्होंने बताया कि इस मौसम के बाद भी पाला पड़ने की संभावना है, जिससे आलू की फसल को क्षति होगी।

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