उतरौला (बलरामपुर)बच्चे मुंह पाकर गरीब इमदाद पाकर अक्सर उनका मुरीद हो जाते हैं। यह कहावत निस्वार्थ भाव से समाज सेवा के जरिए गरीब, असहायों की मदद पहुंचाने वाले अब्दुल र‌ऊफ‌ उर्फ हाजी बाबा पर बिल्कुल सटीक बैठ रहा है।जो कि हमेशा से पाते आ रहे 
     ठंड बढ़ते ही कंबल के आस में जरुरत मंदों का  हुजूम हाजी बाबा के आवास पर  देखने को मिला। गरीब बेटियों की शादी से लेकर बच्चों की पढ़ाई और कड़ाके की ठंड में लोगों को कंबल बांटने के चलते लोग उन्हें गरीबों का मसीहा कहकर पुकारते हैं।
        उतरौला कस्बा से सटे लालगंज के निवासी अब्दुल र‌ऊफ‌ उर्फ हाजी बाबा समाजसेवा के लिए जाने जाते हैं।जो तमाम गरीब लड़कियों की शादी,गरीब बच्चों के पढ़ाई का खर्च से लेकर ठंड के मौसम में गरीब असहायों को कंबल वितरण का काम पिछले कई वर्षों से करते आ रहे हैं यही नहीं हाजी बाबा ने बाढ़ आपदा के दौरान भी बाढ़ पीड़ितों को खाद्य रसद सामग्री समेत अन्य मदद पहुंचाने में समाजसेवी संस्थाओं से कभी भी तनिक पीछे नहीं रहे। यही वजह है कि तबीयत नासाज होने के कारण मुंबई इलाज में मुब्तिला होने से अपने बीच न पाकर उनकेे स्वस्थ होने की दुआएं गरीबों के मुंह से अनायास निकल पड़ती है।हाजी बाबा ने बताया कि वह जिन्दगी किस काम की जो गरीब, असहायों के काम न आये। उन्होंने कहा कि वह हर साल दर्जनों गरीब लड़कियों की शादी का खर्च उठाते हैं और उनकी आर्थिक मदद भी करते हैं वहीं ठंड के मौसम में  हजारों निराश्रित परिवारों को कंबल वितरित करते हैं। इतना सबकुछ करने के बाद भी हाजी बाबा कहते हैं कि किसी की मदद करो तो ऐसे कि एक हाथ से दो तो दूसरे हाथ को पता न चले, यही वजह है कि हाजी बाबा गरीब असहायों के बीच खासे लोकप्रिय हैं और उन्हें एक मसीहा के तौर पर देख रहे हैं।

असगर अली 
उतरौला 

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