अंबेडकरनगर। जिले के सरकारी अस्पतालों से एंटी रैबीज इंजेक्शन का टोटा पड़ गया है। न तो जिला अस्पताल में इंजेक्शन है और न ही ज्यादातर सीएचसी व पीएचसी में। नतीजतन इंजेक्शन लगवाने के लिए मरीजों को दर-दर भटकना पड़ रहा है।
मंगलवार को भी टांडा, कटेहरी व नगपुर सीएचसी समेत तमाम पीएचसी पर पहुंचे मरीजों को निराश होकर लौटना पड़ा। इनमें से कई मरीज जिला अस्पताल तक पहुंचे, लेकिन यहां भी निराशा ही हाथ लगी।
सरकारी अस्पतालों में एंटी रैबीज इंजेक्शन की कमी की जानकारी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को भी है। उन्हें भी अधिकृत एजेंसी द्वारा आपूर्ति होने का इंतजार है। अधिकारियों के अनुसार दो-तीन दिन में स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है।
स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी की कोशिशों के बीच जिले में मरीजों को एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में न सिर्फ उनकी मुश्किल बढ़ रही है, वरन आर्थिक चपत भी लग रही है। हालात ये हैं कि जिला अस्पताल के साथ ही लगभग एक दर्जन सीएचसी व पीएचसी में एंटी रैबीज इंजेक्शन खत्म हो चुका है।
इंजेक्शन लगवाने के लिए पिछले दो दिन से मरीज जिला अस्पताल से लेकर सीएचसी तक पहुंच रहे हैं, लेकिन ज्यादातर को मायूस होकर लौटना पड़ रहा है। मौजूदा समय में जिला अस्पताल के अलावा सीएचसी टांडा, कटेहरी व नगपुर में एंटी रैबीज इंजेक्शन पूरी तरह से नदारद है। ज्यादातर पीएचसी का भी यही हाल है।
जिन सीएचसी में इंजेक्शन है भी, वहां इनकी मात्रा अत्यंत कम है। कहीं आठ इंजेक्शन हैं, तो कहीं 10। एंटी रैबीज इंजेक्शन की कमी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिला अस्पताल में सोमवार से ही एंटी रैबीज इंजेक्शन खत्म हो चुका है। और तो और जिले के स्टोर में मंगलवार को मात्र 40 इंजेक्शन उपलब्ध थे। इसमें से 14 इंजेक्शन संयुक्त सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अकबरपुर, जबकि 10 इंजेक्शन सीएचसी कटेहरी भेजे गए हैं।
राजेसुल्तानपुर प्रतिनिधि के अनुसार अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कम्हरिया व अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र कमालपुर में एंटी रैबीज इंजेक्शन का टोटा है। जहांगीरगंज प्रतिनिधि के अनुसार सीएचसी जहांगीरगंज में इंजेक्शन की उपलब्धता तो है, लेकिन संख्या अत्यंत कम है। आलापुर प्रतिनिधि के अनुसार सीएचसी रामनगर में मौजूदा समय में मात्र 14 इंजेक्शन ही रह गए हैं। भीटी प्रतिनिधि के अनुसार सीएचसी भीटी में मौजूदा समय में मात्र पांच इंजेक्शन ही शेष हैं।
जिला अस्पताल में मंगलवार को मिले टांडा के अहमद अली व हसनपुर के राजेंद्र ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि वे बड़ी उम्मीद के साथ इंजेक्शन लगवाने के लिए जिला अस्पताल पहुंचे थे। यहां पता चला कि इंजेक्शन खत्म हो चुके हैं। ऐसे में अब उन्हें निजी मेडिकल स्टोरों से अधिक दाम पर इंजेक्शन खरीदने को मजबूर होना पड़ेगा। जल्लापुर के आकाश व जाफरगंज के राजेश ने कहा कि इंजेक्शन न होने से उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ रहा है। वे सोमवार को भी आए थे, लेकिन इंजेक्शन नहीं लग सका था। कहा कि मरीजों के हित को देखते हुए जिम्मेदारों को ठोस कदम उठाने चाहिए।
बरियावन के अर्जुन अपने पुत्र अंश को लेकर जिला अस्पताल इंजेक्शन लगवाने पहुंचे थे। उन्हें भी मायूसी हाथ लगी। अर्जुन ने कहा कि कड़ाके की ठंड में वे बच्चे को लेकर आए, लेकिन अब मायूस होकर लौटना पड़ रहा है। अचलूपुर निवासी मनीराम को कुत्ते ने काटा था। मंगलवार को एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने जिला अस्पताल पहुंचा था। मायूस होकर लौटते समय मनीराम ने नाराजगी व्यक्त की। कहा कि अब उसे महंगे दाम पर इंजेक्शन खरीदने को मजबूर होना पड़ेगा। शहजादपुर की शिवांगी को भी मायूस होकर लौटना पड़ा।एंटी रैबीज इंजेक्शन का स्टॉक खत्म होने से टांडा में सर्वाधिक मुश्किलें हो रही हैं। यहां कुत्तों के अलावा बंदरों के काटने पर इस इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है। दरअसल टांडा में लंबे समय से बंदरों की अधिकता है। लगभग प्रतिदिन कोई न कोई व्यक्ति बंदर का शिकार होता रहता है। ऐसे में पीड़ित एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने के लिए सीएचसी टांडा का रुख करते हैं।
इसके बावजूद सीएचसी टांडा में लंबे समय से एंटी रैबीज इंजेक्शन का टोटा है। नतीजा यह है कि इंजेक्शन लगवाने के लिए उन्हें जिला अस्पताल तक की दौड़ लगानी पड़ती है। मंगलवार को टांडा से जिला अस्पताल इंजेक्शन लगवाने आए अहमद अली ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि सीएचसी टांडा में इंजेक्शन न होने की दशा में बड़ी उम्मीदों से जिला अस्पताल पहुंचे थे, लेकिन यहां भी मायूसी ही हाथ लगी।सीएमओ डॉ. अशोक कुमार का कहना है कि जिले में एंटी रैबीज इंजेक्शन की कमी है। इस संबंध में पत्र भेजकर विभाग को अवगत कराया गया है। शीघ्र ही जिले को एंटी रैबीज इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित हो जाएगी।

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