फाफामऊ पुल के पास शनिवार को हादसे का शिकार हुए रितेश और शशांक के परिवार में कोहराम मचा रहा। जिगर के टुकड़ों का पार्थिव शरीर पोस्टमार्टम के बाद रविवार को जब घर पहुंचा तो उनकी मां का कलेजा फट गया। उनकी आंखों से आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। सभी दहाड़ें मार कर रो रहे थे। मोहल्ले वाले और रिश्तेदार किसी तरह उन्हें सांत्वना देने की कोशिश कर रहे थे। ढाढ़स बंधाने वाले भी अपने आंसू नहीं थाम पा रहे थे। किसी को विश्वास नहीं हो रहा था कि उनके बीच का लाडला अब इस दुनिया में नहीं रहा।
फाफामऊ शांतिपुरम सेक्टर डी के रहने वाला छात्र रितेश सिंह स्कूटी से अपने साथी शशांक के साथ शनिवार शाम तेलियरगंज कोचिंग पढ़ने जा रहा था। फाफामऊ पुल के पास सामने से आ रही तेज रफ्तार बस ने दोनों छात्रों की जान ले ली थी। वारदात के बाद बस चालक गाड़ी लेकर भाग निकला था। घटना के बाद से ही उनके परिवार में कोहराम मचा रहा। रितेश के पिता वीरेंद्र सिंह पैरामिलिट्री फोर्स में जवान हैं। बेटे की मौत की सूचना पर देर रात वह लौटे। रविवार को पोस्टमार्टम के बाद जब बेटे का पार्थिव शरीर लेकर घर पहुंचे तो रितेश की मां किरण, बहन रितिका और भाई नितेश फफक पड़े। मां किरण बार-बार बेहोश हो जा रही थी। किसी तरह परिजन उन्हें संभालने की कोशिश कर रहे थे। घटना के बाद से पूरे इलाके में मातम छाया रहा। रितेश के छोटे भाई नितेश ने फाफामऊ घाट पर मुखाग्नि दी।
हादसे में मृतक शशांक दो बहनों में इकलौता भाई था। घटना के बाद उसके पिता राजेंद्र जायसवाल, मां उमा देवी और बहनें मोना और सोना शव देखकर अचेत हो जा रही थीं। इकलौता बेटा होने के कारण उनका चेहरा आंखों के सामने से हट नहीं रहा था। राजेन्द्र जायसवाल फाफामऊ के बारी गांव में परिवार के साथ रहते हैं।
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