थाना कोतवाली देहात अन्तर्गत ग्रामपंचायत सुभागपुर निवासी रूद्रनरायन पुत्र आदित्य प्रसाद एक गरीब किसान अपने आवासीय पट्टा की भूमि पर निर्मित आवास पर रह रहा था , उक्त आवास को आज दोपहर बारह बजे वर्तमान ग्राम प्रधान शैलकुमारी पाण्डेय , के पति विश्वनाथ उनके लड़के आदित्य, जयप्रकाश, सुनील पुत्र गंगा प्रसाद, सुनील पुत्र सुरेश, सुरेश कुमार, तिलकराम पुत्रगण रामविहारी और प्रधान के गुर्गे लगभग पच्चास लोगो ने 
बने पक्के मकान गिराकर निस्तानाबूत कर दिया वही रखे गृहस्थी के समान व छप्पर को जला दिया वहा खड़े लोग तमाशबीन बन कर रह गये,
इस बावत जब हल्का लेखपाल व राजस्व निरक्षक से पूछा गया तो उन्होंन बताया कि वह बंजर खाते की भूमि पर था इसलिए हमने अवैध निर्माण को गिरा दिया है, हमे उपजिलाधिकारी ने कहा था गिराने के लिए पीड़ित ने पूछा कि आदेश दिखाये कि हमारे घर को गिराने का तब उन्होंन कहा कि मौखिक आदेश है,
जब इसकी पुष्टि हेतु उप जिलाधिकारी करनैलगंज से वार्ता हुई तो उन्होंन किसी के घर या आवासीय पट्टे की भूमि खाली करने को नही कहा है, हल्का लेखपाल व राजस्व निरक्षक चांदपुर गलत मिथ्या आरोप लगा रहे, हमने केवल ग्राम समाज की भूमि पर हो रहे अवैध निर्माण को ही रोकने को कहा होगा न की किसी के आवास को फूकने या गिराने को, 
पुलिस भी आम आदमीयो की तरह मूक दर्शक बनकर रही गयी गरीब के घर के अंदर हल कर महिलाओ को मारा पीटा विरोध करने पर रूद्रनरायन के साथ उनके लडको भी मारा पीटा प्रधान के गुर्गे  घर को तब तक  तोडते रहे जबतक पूरा  घर गिर नही गया आवास को निस्तानाबूत कर दिया,
पुलिस ने पीड़ित की तहरीर ले ली है जांच कर आवश्यक कार्रवाई करने का अश्वासन दिया है,
पीड़ित परिवार का एक लडका अधिवक्ता लिपिक है जिसे पुलिस शान्ति व्यवस्था भंग की अंदेशे से पायेबन्द किया गया है 
जिसकी जानकारी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दीनानाथ त्रिपाठी, व महामंत्री मनोज कुमार सिंह को हुई तो थाने पहुंचकर मुंशी से उक्त प्रकरण पर पीड़ित परिवार से थाने पर वार्ता की आवश्यक कार्रवाई हेतु अपर पुलिस अधीक्षक से वार्ता की, 
साथ सी अधिवक्ताओ के चल रहे धरना-प्रदर्शन के समय पुलिस अधीक्षक कार्यालय पर मुंशी संघ के अध्यक्ष के साथ वार्ता करके पीड़ित मुंशी के परिवार को न्याय दिलाने का अश्वासन दिया, महामंत्री
मनोज कुमार सिंह ने बताया है हम अधिवक्ताओ के आन्दोलन मे मुंशी संघ का पूरा सहयोग रहा है हम भी हर संभव उनकी मदद करेंगे,

रिपोर्ट - अरविंद कुमार पांडेय 

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