शेरवां। विकास खंड जमालपुर में भी अब काला गेहूं की खेती शुरू हो गई है। प्रयोग के तौर पर भभौरा गांव निवासी किसान राजेश पटेल ने 12 विस्वा में काला गेहूं की खेती की है। पहली सिंचाई के बाद यूरिया और नाशक का छिड़काव कर दिया गया है। इस समय फसल लहलहा रही।

काला गेहूं की खेती आजकल आम गेहूं की खेती से चार गुना फायदेमंद है। पंजाब के बाद उत्तर प्रदेश के कई जिलों में किसान इसकी खेती की ओर बढ़ रहे हैं। बाजार में यह चार से छह हजार रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है। वैज्ञानिकों का दावा है कि काला गेहूं साधारण गेहूं से कहीं ज्यादा पौष्टिक होता है। यह 12 तरह के बीमारियों से लड़ने में फायदेमंद है। उप कृषि निदेशक अशोक उपाध्याय ने बताया कि नेशनल एग्री फूड बायो टेक्नॉलजी इंस्टीट्यूट नाबी मोहाली ने काला गेहूं तैयार किया है। इसका पेटेंट नाबी के ही नाम है। इसका नाम नाबी एमजी रखा गया है। यह कृषि वैज्ञानिक डॉ. मेनिका गर्ग की रिसर्च का परिणाम है। काला गेहूं नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट का खजाना है। यह अधिक एंथोसाएनिन की वजह से फलों, सब्जियों, अनाजों का रंग काला, नीला या बैंगनी हो जाता है। एंथुसाएनिन नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट भी है। इसी वजह से यह सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। नाबी ने काले के अलावा नीले व जामुनी रंग के गेहूं की किस्म भी विकसित की है। इसमें सामान्य गेहूं से अधिक पोषक तत्व होते हैं। सामान्य गेहूं में पिगमेंट की मात्रा पांच से 15 पीपीएम के बीच होती है। काला गेहूं में पिगमेंट की मात्रा 100 से 200 पीपीएम तक होती है। इसमें सामान्य गेहूं के मुकाबले 60 फीसदी आयरन ज्यादा होता है। जिंक की भी मात्रा कुछ ज्यादा होती है। दावा है कि इसके सेवन से कैंसर, शुगर, मोटापा, कोलेस्ट्राल, दिल की बीमारी आदि में फायदा होता है।

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