-:आयुष चिकित्सकों का भीषण अपमान:-

आज दिनांक 8/122/2020 के दैनिक भास्कर के पृष्ठ संख्या 2 भर एक ख़बर आई, पूरी ख़बर से आप भी रूबरू होंगे तो अच्छा रहेगा। पूरी ख़बर नीचे पढ़ें:-


   [आयुष चिकित्सक सर्जरी के लिए अयोग्य-डा संतोष।

    आई एम ए के संयुक्त सचिव डॉक्टर संतोष गुप्ता ने कहा- इससे आयुष चिकित्सकों को बढ़ावा मिलेगा व असली चिकित्सकों की बदनामी होगी।शरीर के अंदरूनी हिस्सों की जानकारी आयुष चिकित्सकों को नहीं है।इस अधिकार के तहत आयुष चिकित्सकों को जनरल सर्जरी, ई एन टी, नेत्र, हड्डी, डेंटल सहित अन्य सर्जरी करेंगे। यह फ़ैसला संस्थाओं में पिछले दरवाज़े से इंट्री का प्रयास है। उन्होंने आयुष चिकित्सकों को सर्जरी के लिए अयोग्य बताया है मौक़े पर आई एम ए सचिव डॉक्टर मृत्युंजय सिंह, संयुक्त सचिव डॉक्टर संतोष गुप्ता, डॉक्टर फ़िरोज़ अहमद, मिंटु अखौरी सिंह, डॉक्टर अशोक कुमार आदि मौजूद थे।

   आई एम ए ने शनिवार को साकची आई एम ए भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐलोपैथ चिकित्सकों ने मायोक्सपैथी का विरोध किया है, वहीं 11/12/2020 को शहर के सभी निजी-सरकारी अस्पतालों को बंद करने की घोषणा की है। मायोक्सपैथी के तहत आयूर्वेद, यूनानी व होमियोपैथी चिकित्सकों को सर्जरी करने का अधिकार दिया है, जो दुखद है। नेशनल मेडिकल काउंसिल ने आयुष चिकित्सकों को सभी तरह की सर्जरी करने का अधिकार दिया है। इससे ऐलोपैथी चिकित्सकों मेँ काफ़ी रोष है। इसके ख़िलाफ़ 11 दिसंबर को देश भर में ओपीडी, निजी क्लिनिक, पैथोलॉजी लैब, रेडियोलोजी सेंटर बंद रखने का निर्णय लिया गया है।सिर्फ एमरजेंसी सेवा कोविड केयर सेंटर खुले रहेंगे, ताकि मरीजों को किसी तरह की परेशानी नहीं उठाना पड़े।]


     ये ऐलोपैथिक चिकित्सक, ख़ुद को "तीसमार खां" बताने वाले दरअसल "हिप्पोक्रेट्स" की औलाद हैं।ये जो हिप्पोक्रेट्स था , उसका एक ही तर्क था-

 "अगर आपको कोई भी शारीरीक विकार हो गया है तो उसका कारण यह है कि आपका "रक्त दूषित" हो गया है।" इस तर्क के कारण हज़ारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। आपको बता दें कि अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति जार्ज वाशिंगटन भी इस हिप्पोक्रेट्स सिद्धांत के शिकार हुए और अपनी जान गंवाई। इशुनियश, क्लाउडियस इत्यादि हिप्पोक्रेट्स सिद्धांत के शिकार हुए।

   उसने तो सिर्फ "रक्त" को ही निकालने की बात कही थी, मगर आजकल के ये हिप्पोक्रेट्स की औलादों ने तो सारी हदें पार कर दी। बस, उनका एक ही मत है-"कुछ भी है, काटकर निकाल दो। किडनी, लीवर, अपेंडिक्स, बच्चादानी, घुटने,  सब कुछ काटकर निकाल दो। अरे इन मुर्खों के मुरख को कौन समझाए कि अगर ये सारे अंग हमारे शरीर में व्यर्थ ही हैं तो क्या भगवान ही बेवक़ूफ़ था जो फ़ालतू के इस तरह के अंग बनाये। 

   ये महानुभव ऐलोपैथिक चिकित्सक बतायें कि पिछले ढाई सौ साल के इतिहास में तुमने लोगों को, समाज को क्या दिया? सुन लो ऐलोपैथिक चिकित्सको ! तुम्हारे पास लोगों को, समाज को देने के लिए सिर्फ और सिर्फ एक ही चीज़ है,और वो चीज़ है-"दर्द"।इससे तुम सब अच्छी तरह सहमत हो, मगर हिम्मत नहीं है कि सार्वजनिक तौर पर यह बात स्वीकार कर सको, क्योंकि तुम्हारी पोल खुल जाएगी। अपना इतिहास पढ़ो, उसमें ढूंढो कि कोई एक भी डायबिटीज़, हाई बीपी, हार्टअटैक व ब्लाकेज इत्यादि का रोगी तुम्हारी अंग्रेज़ी दवा का सेवन करने के दस, बीस, पचास साल तक लगातार सेवन करके भी ठीक हुआ क्या?

   तुम ऐलोपैथिक चिकित्सकों को चैलेंज करता हूँ कि ऐसा एक भी सबूत दिखा दो। 

   इसे छोड़ो, सर्जरी की बात बताता हूं। हिन्दुस्तान का एक बादशाह था,उसका नाम "हैदर अली" था। बात 17575-80 ई. की है। उसके राज्य पर एक अंग्रेज़ "जेनरल कूट" हमेशा हमला किया करता था, लेकिन हर बार प्राजित हो जाता था। एकबार फिर उसने हैदर अली पर हमला किया और हार गया। गिरफ्तार हुआ और बादशाह के दरबार में पेश किया गया। वो उठा और अपनी तलवार से उसकी नाक काट दी,जबकि वो चाहते तो उसकी गर्दन उड़ा सकते थे, मगर ऐसा नहीं किया।एक घोड़ा दिया और कटी नाक उसके हाथ में थमाकर बोला कि भाग जा।नाक कटना बहुत बड़ी बात होती है। भागते-भागते एक गाँव से गुज़र रहा था तो एक आदमी ने उसे रोककर कटी नाक के बारे में पूछा तो उसे बताया कि पत्थर से कट गया, मगर उस देहाती ने सच बताया कि तुम्हारी नाक तलवार से कटी हुई है। मेरे गांव में एक आदमी है जो तुम्हारी नाक जोड़ देगा। जेनरल कूट उसके पास गया और मात्र तीन साढ़े तीन घंटे में उस नाई जाति के 21-22 साल के यूवक उसकी नाक जोड़ दी, उसी विधा को आज तुम माडर्न साइंस का दंभ भरने वालो प्लास्टिक सर्जरी या नैनो सर्जरी कहते हो जिसके लिए एक पैसा नहीं लिया। पंद्रह दिनों तक अपने घर में रखा और जाते हुए उसने आयूर्वेदिक दवा का लेप दिया और कहा कि तीन महीने तक इस लेप को लगाया करना। जेनरल कूट ने ये घटना अपनी डायरी में लिखी और ब्रिटिश संसद में सबको दिखाते हुए अपनी ये घटना सुनाई, जिसे देखकर कोई भी अंग्रेज़ मानने को तैयार नहीं था।फिर उसने अपने चंद डॉक्टर दोस्तों को भारत लेकर आया और यहां के विभिन्न स्थानों में घूमकर भारतीय शल्य चिकित्सक से सर्जरी सीखा।वापस जाकर इंग्लैंड में "फेलो आफ रोयाल सोसायटी" की  स्थापना की।और तुम ऐलोपैथिक चिकित्सको वहां से "एफ आर एस एच" की सर्टीफिकेट मंगवाकर अपने बोर्ड पर "एफ आर एस एच" दर्शाते हो और लोगों को भ्रमित करने का कार्य करते हो,धिक्कार है तुम और तुम्हारी काली करतूतों पर। हमारा देश सैंकड़ों साल तक अंग्रेजों की ग़ुलामी में रहा और हमारी संस्कृति, स्वास्थ्य, शिक्षा यानी सबकुछ बरबाद कर दिया, लूट कर सोने की चिड़िया कहलाने वाले भारत देश को कंगाल कर दिया।हमारे गुरुकुलों को तबाह कर दिया। और अपनी सुविधा के अनुसार ऐलोपैथिक दवा का चलन भारत में शुरू किया, बस यही तेरे ऐलोपैथिक चिकित्सा का इतिहास है। 

   और हां, जिस "एम बी बी एस" की डिग्री पर तुम इतराते हो ना, वो भी बकवास है। इसका फुल फार्म बताओगे - "बैचलर ऑफ मेडिसिन ऐंड बैचलर ऑफ सर्जरी"। लेकिन इसका शार्ट फार्म तो "बी एम बी एस" होना चाहिये। एक और डिग्री है तुम्हारी - "एम डी"। कोई इसका फुल फार्म पूछे तो तुम कहोगे - "डॉक्टर आफ मेडिसिन"। क्या ये सही है? असल में तो इसका फुल फार्म "मार्केटिंग आफ ड्रग्स" होना चाहिये। वाक़ई तुम ऐलोपैथिक चिकित्सक, किसी बीमारी का ईलाज नहीं करते, बल्कि "दवाओं की मार्केटिंग" ही करते हो, और ऐसी दवाएं लिखते हो जिसमें लंबा कमीशन मिलता हो।अपने दिल पर हाथ रखो और अंरात्मा की आवाज़ सुनो, डूब मरो तुम सब।

   रामायण तो पढ़े ही होगे। जब रावण से युद्ध हुआ जिसमें लक्ष्मण मुर्छित हो गए तो हनुमानजी ने कौनसा "ऐलोपैथिक औषधि" हिमालय पर्वत से लाए थे, बताओ ज़रा। मेरे कहने का सार यह है कि भारत में आयूर्वेद का इतिहास लाखों वर्ष पुराना है, इसे नकारा नहीं जा सकता।तुम्हारे कहने से सच्चाई थोड़े ही बदल जाएगी।वो तो भला हो अंग्रेज़ हुकूमत का जिसने अपने शासनकाल में  आयूर्वेद को बरबाद कर दिया।अंग्रेज़ तो चले गए मगर उसकी आत्मा यहां के नेताओं में समा गयी, जो अंग्रेज़ी और अंग्रेज़ियत को भारत में बढ़ावा देते चले गये।वरना तुम्हारी औक़ात आयूर्वेद और यूनानी के आगे कुछ भी नहीं है। 

   मैं चैलेंज करता हूँ। आजतक तुम लोग लीवर की बीमारी में आयूर्वेद ही इस्तेमाल करते हो। कोई एक भी डायबिटीज़, हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिजीज का पेशेंट ठीक हुआ हो तो बताओ?

    तुम्हें तो सिर्फ काटकर निकालना आता है क्योंकि लाखों रुपए मिलते हैं। और चाहते हो कि किसी की बीमारी कभी भी ठीक ही न हो और जीवन भर ऐलोपैथिक दवाओं का सेवन करते हुए तुम्हारे परमानेंट कस्टमर बने रहें, हर महीने तुम्हारे पास फीस देते रहें।अंजाम क्या होता है शुगर के मरीज़ों का- आंखों की रोशनी जाती है, किडनी फेल होती है या पैर कटवाना पड़ता है।

    उसी आयूर्वेद से यूनानी चिकित्सा पद्धति का उद्भव हुआ है। दोनों में भाषा और तरीकों के सिवाय कोई फर्क़ नहीं है।होम्योपैथिक के जनक डॉक्टर हैनिमन तो स्व्यं ही "एम बी बी एस" यानी ऐलोपैथिक चिकित्सक थे।


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1 टिप्पणियाँ

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  1. अस्सलाम अलैकुम व रहमतुल्लाह व बरकातोहु !

    एक अपील, एक गुज़ारिश
    यूनानी चिकित्सा पद्धति के मुतअल्लिक़ चंद बातें करना चाहता हूँ।आज हमारे मुल्क में यूनानी चिकित्सा पद्धति बरबादी के कगार पर है।जिसकी सिर्फ और सिर्फ एक ही वजह है।और वो वजह कोई और नहीं बल्कि ये यूनानी चिकित्सा पद्धति की डिग्री हासिल करने वाले (बी यू एम एस) ही इस प्राचीन पद्धति को बदनाम और बरबाद करने पर तुले हुए हैं।आज हिन्दुस्तान भर के तमाम यूनानी कालेजों से बी यू एम एस की डिग्री हासिल करने वाले अपनी नीजि क्लिनिक में ऐलोपैथिक दवाओं से ही ईलाज करते हैं। उन्हें यूनानी का ए बी सी डी भी समझ नहीं आता, और इस अमल पर उन्हें फख़्र महसूस होता है।
    इसलिए आप सभी संजीदा मिज़ाज लोगों से अपील करता हूँ कि यूनानी चिकित्सा पद्धति में थोड़ी दिलचस्पी पैदा कीजिए और हिकमत का पेशा इख़्तियार कीजिए।
    मैं ये दावा करता हूँ कि आपने थोड़ी सी भी संजीदगी दिखाई और मेरे रिसर्च बेस्ड आर्टिकल को समझकर पढ़ना शुरू करें, यूट्यूब पर मेरे वीडियो देखें, मेरी वेबसाइट पर जाएं तो मेडिकल साइंस की ऐसी-ऐसी राज़ की बातों के जानकार हो जाएंगी कि आपको अपने आप पर ताज्जुब होगा।
    इसके बाद जब किसी भी बीमारी के ईलाज केलिए आपको यूनानी दवा की ज़रूरत पड़ेगी तो उसके लिए मेरी ईजादकरदा यूनीक यूनानी दवा
    "HEALTH IN BOX®" हाज़िर है।
    HEALTH IN BOX® एक ऐसी दवा है जो किसी एक बीमारी की दवा नहीं है। लेकिन हर तरह की बड़ी से बड़ी लाईलाज बीमारी को हमेशा के लिए "रिवर्स" कर देती है। जबकि कोई हकीम, डाक्टर और वैध कहता है कि ज़िन्दगी भर दवाएं खाते रहना होगा।
    मेरी ईजादकरदा दवा "HEALTH IN BOX®" किसी भी बीमारी के "कारण" को ही हमेशा के लिए ख़त्म कर देता है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि हमारे शरीर में जितनी भी बीमारियां होती हैं उन सभी का सिर्फ और सिर्फ एक ही कारण होता है:-
    "ग्लूकोज़" और "इन्सुलिन" के बीच में तालमेल गड़बड़ हो जाने पर हमारे जिस्म के अंदर कोई भी बीमारी हो जाएगी। इस तालमेल की गड़बड़ी को ठीक करने के तरीक़े को UNIVERSAL LAW OF REBALANCING विधि से ठीक कर देने से "इन्सुलिन" और "ग्लुकोज़" का तालमेल ठीक हो जाता है।
    इस विधि और मेरी ईजादकरदा दवा "HEALTH IN BOX®" से कोई भी बीमारी जैसे:- डायबिटीज़, हाई बीपी, मोटापा, हार्ट फेल्योर, हार्ट अटैक, हार्ट ब्लाकेज, कोलैस्ट्रॉल, थायरॉइड, कैंसर, किडनी फेल्योर, डायलिसिस, आर्थराइटिस,आस्थमा, लीवर व अमाशय प्राब्लम्स, माइग्रेन, सेक्चुअल प्राब्लम्स और अन्य सभी प्रकार के रोग कुछ महीनों में ही सदा केलिए "रिवर्स" हो जाती हैं। अंग्रेज़ी दवाएं तो पहले ही दिन से बंद हो जाती हैं, जिसके बिना मरीज़ एक दिन तो क्या एक वक़्त भी नहीं रह सकता था।
    "HEALTH IN BOX®" से आप काफी अच्छी इनकम हासिल कर सकते हैं (20-30%)। ज़रूरत है तो बस ये कि थोड़ी मेहनत करें। मेहनत तो हर काम में है। आपको किसी डिग्री या सर्टिफिकेट की क़तई ज़रूरत नहीं है। मैं हर क़दम पर हर मुमकिन मदद करूँगा।
    इसलिए मैं तमाम (मुस्लिम, हिंदू, सिख, ईसाई यानी वो कोई भी किसी भी ज़ात, व मज़हब का हो) ऐसे बेरोज़गार लोगों से गुज़ारिश करता हूँ कि वो इस बाइज्ज़त और ईमानदारी वाला पेशा अपनाएं और लोगों की भलाई करेंगे तो अच्छी ख़ासी आमदनी होगी और वो दिल से दुआएँ देंगे।और साथ ही साथ यूनानी चिकित्सा पद्धति की तरक़्की भी होगी।
    आपका शुभचिंतक
    हकीम मो अबू रिज़वान
    बी यू एम एस,आनर्स(बी यू)
    यूनानी चिकित्सक
    विशेषज्ञ लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़
    यूनानी मेडिसींस रिसर्च सेंटर
    जमशेदपुर झारखंड
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