भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी की 97वीं जयन्ती

माननीय संस्कृति मंत्री ने किया तीन दिवसीय समारोह का शुभारम्भ
लखनऊ: 23 दिसम्बर, 2020
अटल जी की नाम आते ही एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व उभरकर सामने आता है। एक आदर्श चिन्तक के रूप में, सांसद के रूप में, कवि के रूप में, दार्शनिक के रूप में उनका व्यक्तित्व विराट है।  अटल जी एकमात्र ऐसे नेता हैं जिन्हें सभी अपना मानते हैं।
ये उद्गार मा0 राज्यमंत्री (स्वतन्त्र प्रभार), संस्कृति, पर्यटन, प्रोटोकाॅल एवं धर्मार्थ कार्य विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार डा. नीलकण्ठ तिवारी ने आज भारत रत्न अटल जी की 97वीं जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह के उद्घाटन के अवसर पर कहीं। संस्कृति विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी परिसर में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारम्भ किया। अटल जी से जुड़ी स्मृतियों को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि एक बार काशी के टाऊनहाल में अटल जी का भाषण होना था। तब हम लोग विद्यार्थी परिषद में काम करते थे। वहां हम लोगों ने देखा कि अन्य दलों के लोग भी उनका भाषण सुनने के लिए एकत्र हैं। अटल जी की कविताओं में कई रस और राष्ट्र की चिन्ता है।
सनातन काल से अक्षुण्ण है भारत का राष्ट्रभावरू डाॅ. नीलकंठ तिवारी
श्री अटल जयन्ती समारोह के प्रथम दिवस उ.प्र. जैन विद्या शोध संस्थान द्वारा आयोजित ‘राष्ट्रवाद एवं राष्ट्रधर्म’ विषयक वेबिनार की शुरुआत करते हुए माननीय संस्कृति मंत्री जी ने कहा कि सत्ता चाहें जिसकी भी रही हो, भारत में राष्ट्र का भाव सदैव जीवित रहा। केरल में जन्मे शंकराचार्य जी ने भारत के पूरे स्वरूप की जिस परिकल्पना को आकार दिया वही राष्ट्रभाव है। दीनदयाल जी ने इसे भारत की चित्ति कहा है। यह सनातन काल से अक्षुण्ण है।
माननीय संस्कृति मंत्री जी ने आॅनलाइन वेबिनार की शुरुआत श्री अटल जी के चित्र पर माल्यार्पण के साथ किया। इस अवसर पर वेबिनार के केन्द्रीय कक्ष में जुटे अतिथियों को उ.प्र. जैन विद्या शोध संस्थान के उपाध्यक्ष प्रो. अभय कुमार जैन ने सम्मानित किया। वेबिनार में गोरखपुर से पुष्पदंत जैन, प्रो. शिवशरण दास, आगरा से डा. राजीव जैन, संजय जैन, मैनपुरी से डा. शिवानी, कानपुर से डा. रंजय प्रताप सिंह, प्रयागराज से प्रो. योगेनद्र प्रताप सिंह, वाराणसी से प्रो. फूलचन्द्र प्रेमी, डा. इन्दू जैन, लखनऊ से प्रो. पवन अग्रवाल, डा. पत्रिका जैन, प्रो. सुधा जैन और अंजु रघुवंशी ने अपने विचार व्यक्त किये।
विश्वविद्यालय के छात्रों ने पढ़ीं श्री अटल जी के अन्दाज में कवितायें
समारोह में लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं द्वारा श्री अटल जी की कविताओं कविताओं का सस्वर पाठ किया गया। कुछ छात्रों ने उन्हीं के अन्दाज में कवितायें पढ़ीं। सुश्री ज्योत्सना सिंह ने मौत से ठन गयी, अक्षय प्रताप सिंह ने आओ फिर से दिया जलायें जैसी कवितायें प्रस्तुत कीं। इस काव्य पाठ में श्री जय सिंह, श्री शिवम पांडेय, श्री आदित्य पांडेय, श्री अनमोल मिश्र, सुश्री आंचल पांडेय, श्री द्वारिका नाथ पांडेय, सुश्री पिंकी मिश्रा, सुश्री सविता एवं श्री हरिशंकर ने प्रतिभाग किया। माननीय संस्कृति मंत्री जी ने सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किये।
चित्रांकन शिविररू 97 फीट के कैनवास पर उतरीं श्री अटल जी की भंगिमायें
श्री अटल जी की 97वीं जयन्ती के अवसर पर 97 फीट का कैनवास लगा। राज्य भर से आये 51 कलाकारों ने अटल जी की विभिन्न भाव मुद्राओं का चित्रांकन किया। उ0प्र0 राज्य ललित कला अकादमी की ओर से लगाई गई चित्रकला कार्यशाला का शुभारम्भ माननीय संस्कृति मंत्री जी द्वारा कैनवास पर हस्ताक्षर के साथ किया गया। उन्होंने सभी कलाकारों को अंगवस्त्र प्रदान कर सम्मानित भी किया। माननीय संस्कृति मंत्री जी द्वारा उ0प्र0 राज्य ललित कला अकादमी के अध्यक्ष श्री सीताराम कश्यप, उपाध्यक्ष श्री गिरीशचन्द्र मिश्र, संस्कृति विभाग के संयुक्त निदेशक श्री वाई. पी. सिंह के साथ शिविर का निरीक्षण किया गया। चित्रकारों में लखनऊ के परमात्मा प्रसाद श्रीवास्तव, राजेन्द्र करन, वाराणसी की डा. सरोज रानी, डा. सुनील विश्वकर्मा आदि प्रमुख रहे।
मूर्ति शिल्प शिविर में सजीव हुए श्री अटल जी
उ0प्र0 राज्य ललित कला अकादमी की ओर से आयोजित मूर्ति कला शिविर में क्ले माध्यम से मूर्ति सृजन किया गया। अटल जी की सजीव प्रतिमाओं ने दर्शकों का मन मोह लिया। इस शिविर में सुप्रसिद्ध मूर्तिकार श्री लालजीत अहीर, गोरखपुर के श्री सुशील गुप्ता, प्रयागराज के श्री नगीना रामरंजन, वाराणसी के श्री बद्री प्रसाद प्रजापति आदि ने मुर्तियां बनायीं। हरदोई के दिव्यांग मूर्तिकार श्री राजेश कुमार की कृति को लोगों ने खूब सराहा।
अभिलेखागार की प्रदर्शनीरू ताजी हुईं अटल जी की स्मृतियाँ
माननीय संस्कृति मंत्री ने उ.प्र. राजकीय अभिलेखागार द्वारा प्रदर्शित अटल जी से जुड़े महत्वपूर्ण समाचारों की कतरन, दुर्लभ छाया चित्र तथा उनके जीवन दर्शन पर केन्द्रित प्रदश्र्य सामग्री का अवलोकन किया। उन्होंने विजिटर बुक में अपने मन्तव्य भी दर्ज किये।
पुस्तक प्रदर्शनी में अटल जी की पुस्तकें
उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी परिसर में अटल जी से सम्बंधित पुस्तकों की प्रदर्शनी भी लगी है। वाणी प्रकाशन तथा राष्ट्रधर्म प्रकाशन द्वारा यहाँ स्टाल लगाये गये हैं जहां लोग उनकी पुस्तकें खरीद सकते हैं। स्टाल पर मेरी संसदीय यात्रा, मेरी इक्यावन कवितायें, न दैन्यं न पलायनं, नयी चुनौती नया अवसर, विचार बिन्दु, शक्ति से शान्ति, बिन्दु बिन्दु विचार, कुछ लेख कुछ भाषण, संकल्प काल, हमारे अटल जी, अटल जी की प्रेरक कहानियाँ, जननायक अटल जी, मैं अटल बिहारी वाजपेयी बोल रहा हूँ, सर्वप्रिय अटल जी, अटल जीवन गाथा आदि के साथ ही अंग्रेजी में सेलेक्टेड पोएम भी उपलब्ध हैं।
माननीय संस्कृति मंत्री ने किया दो पुस्तकों का लोकार्पण
अटल स्मृति समारोह के प्रथम दिवस माननीय संस्कृति मंत्री जी ने डा. सौरभ मालवीय की पुस्तक राष्ट्रवादी पत्रकारिता के शिखर पुरुष अटल बिहारी वाजपेयी तथा डा. देवेन्द्र शुक्ल की पुस्तक भारत रत्न महामना को लोकार्पण किया। दोनों पुस्तके नई दिल्ली के वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित हैं।
भारत माता के लाल तुम्हारी जय हो!
उ.प्र.संगीत नाटक अकादमी परिसर में बने मंच पर श्री श्रीपाल गौड़ के सांस्कृतिक दल ने अटल जी की रचनााओं व उन पर केन्द्रित गीतों की प्रस्तुति दी। गायिका शिप्रा चन्द्रा ने आओ फिर से दिया जलायें, मनाली मत जइयो तथा भारत माता के लाल तुम्हारी जय हो सुनाया। लोक गायक शिवलाल भारद्वाज ने जब तक धरती गगन और जमाना रहे, जब तक सूरज चांद रहेगा, अनादि व शिवलाल ने भी गीतों की प्रस्तुति दी। हारमोनियम पर लालधर वर्मा, ढोलक पर आशीष कुमार मिश्र ने संगत किया।

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