इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कोविड 19 ड्यूटी के कारण 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती की काउंसिलिंग में शामिल होने से वंचित रह गई महिला कांस्टेबल की काउंसिलिंग कराने का बेसिक शिक्षा विभाग को निर्देश दिया है। कोर्ट ने विभाग की इस दलील को नहीं माना कि काउंसलिंग हेतु आवेदन के लिए याची को किसी भौतिक प्रयास की आवश्यकता नहीं थी। अदालत ने मेनका गांधी बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस का हवाला देते हुए कहा कि याची समानता के आधार पर एक अवसर पाने की हकदार है।

फैजाबाद की कांस्टेबल सुनीता की विशेष अपील पर मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की पीठ ने यह निर्णय दिया। याची का पक्ष रख रहे अधिवक्ता बीडी निषाद का कहना था कि याची पुलिस विभाग में कांस्टेबल है और उसकी तैनाती वर्तमान में गोरखपुर में है। याची का चयन 69 हजार सहायक अध्यापक भर्ती के लिए हुआ है। काउंसलिंग के समय लॉक डाउन होने की वजह से उसकी कोविड-19 ड्यूटी लग गई जिसकी वजह से वह काउंसलिंग के लिए ऑन लाइन आवेदन नहीं कर सकी। उसने बाद में प्रत्यावेदन देकर काउंसलिंग कराने का अनुरोध किया। मगर विभाग ने अनुमति नहीं दी तो हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई। एकलपीठ ने याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी गई ऑन लाइन आवेदन के लिए किसी भौतिक प्रयास की आवश्यकता नहीं थी।

जबकि याची का कहना था कि उसके मूल दस्तावेज उसके गृहनगर फैजाबाद, अयोध्या में रखे थे जिनको जाकर लाना संभव नहीं था। काउंसलिंग अभी जारी है इसलिए याची को अवसर दिया जाना चाहिए।  कोर्ट ने याची को काउंसलिंग में शामिल करने और उसके आधार पर नियुक्ति देने का निर्देश दिया है।

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