उत्तर प्रदेश मे मार्च क़े आखिरी दिनों तक चुनाव कराने की लगभग तैयारी चल रही हैै ।
* 74 जिलों की 58656 ग्राम पंचायत भंग
*आज से ग्राम प्रधान के हाथाेे में नहीं रही पंचायत की कमान
लखनऊ./उत्तर प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव त्रिस्तरीय क़े परिणाम को 2022 के विधानसभा चुनाव से सीधा जोड़ कर देखा जा रहा है।
विदित हैं कि ग्राम प्रधानों का कार्यकाल विगत 25 दिसंबर की रात 12 बजे से ही खत्म हो गया हैै और पंचायत चुनाव को लेकर अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है । लेकिन इसे लेकर तैयारियां जोरों पर हैं।
सूत्रों की माने तो यूपी को चार हिस्सों में बांटकर चुनाव कराने की तैयारी है। हालांंकि इसे अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। मौजूदा ग्राम प्रधानों के कार्यकाल पूरे होने जाने के चलते ग्राम पंचायत के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार सहायक विकास अधिकारी को सौंप दिये गए हैं । विकास से लेकर गाँवों क़े संचालन मे अब पंचायत सचिव सहयोग करेंगे।
वहीं पंचायती राज विभाग 28 जनवरी से पांच फरवरी के बीच चुनाव के संबध में संभावित कार्यक्रम कराने पर विचार कर रहा है।
इसके बाद आयोग पंचायत चुनाव के लिए अधिसूचना जारी करेगा।
क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत और ग्राम पंचायत चुनाव एक साथ कराए जाएंगे।
आयोग क़े मंशानुरूप 31 मार्च से पहले हो चुनाव
यूपी के कुल 59,163 ग्राम पंचायतों के मौजूदा ग्राम प्रधानों का कार्यकाल 25 दिसंबर शुक्रवार को पूरा हो रहा है। 3 जनवरी, 2021 को जिला पंचायत अध्यक्ष जबकि 17 मार्च को क्षेत्र पंचायत अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो रहा है। ऐसे में प्रदेश में एक साथ ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सदस्य, 823 ब्लॉक के क्षेत्र पंचायत सदस्य और 75 जिले पंचायत के सदस्यों के 3200 पदों पर चुनाव कराए जाने हैं। राज्य सरकार की मंशा है कि 31 मार्च से पहले चुनाव कराते हुए पंचायतों का गठन करा लिया जाए। ताकि अप्रैल में होने वाली बोर्ड परीक्षाओं पर इसका असर न पड़े। इसके लिए फरवरी में अधिसूचना जारी की जा सकती है। इसी के साथ नगरीय सीमा के विस्तार से कम हुई ग्राम पंचायतें और क्षेत्र पंचायतों के पुनर्गठन के लिए परिसीमन का काम शुरू कर 15 जनवरी तक इसे पूरा करने की योजना है। जनवरी में ही चुनाव आरक्षण संबंधी कार्य भी पूरा करने की योजना बनाई गई है। आयोग ने 22 जनवरी तक मतदाताओं की सूची हर हाल में तैयार करने को कहा है।
प्रदेश की 58656 ग्राम पंचायत हुई भंग
उत्तर प्रदेश के एक जिले को छोड़कर बाकी सभी 74 जिलों की 58656 ग्राम पंचायतें रात 12 बजे से भंग हो गयीं हैं । सिर्फ गौतमबुद्ध नगर में ग्राम पंचायत का कार्यकाल चलता रहेगा। इसको लेकर आदेश जारी कर दिया गया है। अपर मुख्य सचिव पंचायतीराज मनोज कुमार सिंह ने ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति के लिए जिलाधिकारियों को नामित किया है। एडीओ से निचले स्तर के अधिकारी प्रशासक नहीं बनाए जा सकते। गौतमबुद्ध नगर में ग्राम प्रधानों का कार्यकाल न समाप्त करने का कारण है कि यहां की 88 पंचायतों का कार्यकाल अभी पूरा नहीं हुआ है। यहां मई 2016 में चुनाव हुए थे। यहां की ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 14 जून, 2021 को समाप्त हो जाएगा।
साथ ही गोंडा जिले की 10 ग्राम पंचायतों का भी कार्यकाल पूरा नहीं हुआ है।
एडीओ पंचायत संभालेंगे ग्राम पंचायत की कमान
ग्राम पंचायतों की कमान सहायक विकास अधिकारी पंचायत के हाथों में होगी। उनके पास ग्राम पंचायतों और उसके ग्राम प्रधानों और समितियों के समस्त अधिकार होंगे। उधर, जिला प्रशासन की ओर से प्रशासक नियुक्त करने की तैयारी की जा चुकी है लेकिन प्रधानों का संगठन शासन के अधिकारियों से मिलकर कार्यकाल बढ़वाने के प्रयास में लगा है। लेकिन पंचायती राज निदेशक की ओर से बुधवार को जारी पत्र में इस बात के साफ संकेत हैं कि कार्यकाल नहीं बढ़ेगा। निदेशक किंजल सिंह की ओर से जारी पत्र में 25 दिसंबर की रात 12 बजे से प्रधानों के वित्तीय अधिकार पर रोक लगाने को कहा गया है। पत्र में कहा गया है कि तय समय के बाद किसी भी तरह का वित्त या 15 वें वित्त का धन प्रधानों की ओर से जारी हुआ तो संबंधित सचिव, एडीओ पंचायत व जिला पंचायत राज अधिकारी जिम्मेदार होंगे।
उमेश चन्द्र तिवारी
हिन्दी संवाद न्यूज़
उत्तर प्रदेश
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