यह आदेश न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की एकल सदस्यीय पीठ ने सालिहा खान व अन्य अभ्यर्थियों की ओर से दाखिल याचिका पर दिया। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि किसी उत्तर पर जब आपत्ति उठाई जाती है तो इसे उस विषय के एक्सपर्ट के पास भेजा जाता है। यदि एक्सपर्ट सम्बंधित प्रश्न और उत्तर में कोई कमी नहीं पाता है तो यह न्यायालय सम्बंधित प्रश्न-उत्तर अथवा उत्तर पुस्तिका के शुद्धता का परीक्षण मात्र इसलिए नहीं कर सकता कि कुछ अभ्यर्थी सम्बंधित उत्तर से संतुष्ट नहीं हैं। न्यायालय ने कहा कि इस मामले में भी याचियों के आपत्तियों पर आईआईटी और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों ने विचार किया है व उत्तर पुस्तिका को सही पाया है।
उल्लेखनीय है कि याचिका में कहा गया था कि नीट की उत्तर पुस्तिका जारी करने के पश्चात 27 सितंबर को एक नोटिस जारी कर अभ्यर्थियों की आपत्तियां आमंत्रित की गई थीं। जिसके बाद याचियों ने दो प्रश्नों को लेकर अपनी आपत्तियां भेजीं। याचियों का दावा था कि बुकलेट न0 जी-4 के प्रश्न संख्या 19 और 148 के उत्तरों में गलती है। याचियों का कहना है कि प्रश्न संख्या 19 का सही उत्तर विकल्प संख्या 4 में दिया गया था जबकि उत्तर पुस्तिका में विकल्प संख्या 1 को सही उत्तर माना गया है। इसी प्रकार प्रश्न संख्या 148 का विकल्प संख्या 1 सही उत्तर है लेकिन उत्तर पुस्तिका में विकल्प संख्या 3 को सही उत्तर बताया गया है।
एक टिप्पणी भेजें
If you have any doubts, please let me know