अंबेडकरनगर : राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त मठ गोविद साहब पर इस वर्ष कोविड-19 के कारण मेला आयोजित होने के आसार नहीं हैं। आगामी 23 दिसंबर को गोविद दशमी है, लेकिन अभी तक मठ मंदिर व धर्मशालाओं का रंगरोगन नहीं हुआ है। गोविद सरोवर की सफाई भी नहीं हो सकी है और न ही पानी बदला गया है। दुकानदारों की आमदरफ्त बंद है। दुकान आवंटित होने वाली भूमि पर घास-फूस उगे हैं। चौतरफा गंदगी का साम्राज्य है।लगभग दो माह चलने वाले पूर्वांचल के सबसे बड़े मेले में करोड़ों का कारोबार होता है। पशुओं में भैंस, ऊंट, घोड़े, बकरी के अलावा लकड़ी के सामान की बड़ी-बड़ी दुकानें लगती हैं। मेले में विभिन्न प्रकार के पौधों की बिक्री के साथ मनोरंजन के साधन उपलब्ध होते हैं। इसी तरह ज्ञानवर्धक प्रतियोगिताएं व कवि सम्मेलन सहित दर्जनों प्रदर्शनी भी लगती हैं। यहां चढ़ने वाली खिचड़ी से मठ को लाखों रुपये की आय होती है।मेला नहीं लगने से निराशा : इस वर्ष मेला आयोजित न होने से इलाकाई लोग काफी मायूस हैं। मठ के आसपास चार किलोमीटर के सैकड़ों बाशिदों की आमदनी का जरिया मेला ही था। वह कंडा, हड़िया, लोहे के उपकरण, पशुचारा आदि बेचकर वर्षभर का खर्चा निकालते थे। इसे तैयार करने में वह महीनों पहले से जुट जाते थे। लेकिन अब उनके चेहरों पर मायूसी है। सैकड़ों हेक्टेयर लाल गन्ने की फसल उगाने वाले किसान भी चितित हैं। इन्हें अपनी उपज बेचने में काफी जलालत झेलनी पड़ेगी। मठ के आसपास सैकड़ों एकड़ भूमि को किसान किराए पर देते थे। इसमें सर्कस, दुकान व स्टैंड आदि लगाए जाते थे लेकिन इस वर्ष यहां घास-फूस उगी है। इससे किसान मायूस हैं। किसान विनय सिंह, देवेंद्र प्रताप सिंह, आलोक, रामसूरत आदि ने बताया कि मेला आयोजित न होने से हम लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा।आज बुलाई गई है बैठक : मेले को लेकर आज बुधवार को जिला पंचायत निरीक्षण भवन गोविद साहब में बैठक आहूत की गई है। उप जिलाधिकारी धीरेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि मेला आयोजन को लेकर बैठक में विचार विमर्श किया जाएगा। मठ गोविद साहब के अध्यक्ष भगेलूदास ने बताया कि इस वर्ष मेला आयोजित न होने से काफी मायूसी है। बैठक में मेला आयोजन की मांग की जाएगी।

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