1921 में स्थापित यूपी बोर्ड 100वें साल में सबसे महंगी परीक्षा कराएगा। कोरोना के कारण केंद्रों की संख्या डेढ़ गुना तक बढ़ने के कारण परीक्षा खर्च पिछले साल के तकरीबन 1.75 अरब रुपये की बजाय 200 करोड़ पार होने का अनुमान है। इस बार सोशल डिस्टेंसिंग को देखते हुए प्रत्येक केंद्र पर न्यूनतम 150 और अधिकतम 800 छात्र-छात्राओं का आवंटन होगा।
पिछले सालों में 1200 तक केंद्र बनते थे। प्रत्येक बच्चे को बैठने के लिए 20 वर्गफीट की बजाय 36 वर्गफीट की जगह दी जाएगी। ऐसे में केंद्रों की संख्या 2020 के 7783 से बढ़कर 14 हजार तक होने का अनुमान है। परीक्षा केंद्र बढ़ने के साथ केंद्र व्यवस्थापकों, कक्ष निरीक्षकों, पुलिस, मजिस्ट्रेट एवं अन्य सहयोगी स्टाफ की संख्या बढ़ेगी और उन्हें अच्छा-खासा मानदेय भी देना होगा। यही नहीं केंद्रों के निरीक्षण के लिए उड़नदस्ते की संख्या भी बढ़ानी होगी।
उनके मानदेय और गाड़ियों के पेट्रोल-डीजल पर होने वाले अतिरिक्त खर्च का बोझ बढ़ेगा। सूत्रों के अनुसार 2020 की बोर्ड परीक्षा का बजट तकरीबन 175 करोड़ रुपये था जो 2021 में 200 करोड़ के पार जा सकता है। हालांकि इसका अंदाजा तो परीक्षा के बाद ही लगेगा।
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