मुख्यमंत्री से माटी कला मेले में प्रतिभाग कर रहे शिल्पकारों एवं कारीगरों ने भेंट की
शिल्पकारों द्वारा उपहार स्वरूप प्रदान किये गये उत्कृष्ट उत्पाद को
मुख्यमंत्री ने क्रय करते हुए कारीगरों को 30,500 रु0 का भुगतान किया
मुख्यमंत्री ने क्रय करते हुए कारीगरों को 30,500 रु0 का भुगतान किया
यह सभी शिल्पकार उ0प्र0 माटी कला बोर्ड के तत्वावधान में आयोजित
माटी कला मेला में प्रतिभाग करने के लिए लखनऊ आये हैं
माटी कला मेला में प्रतिभाग करने के लिए लखनऊ आये हैं
गुरुवार तक इस मेले में 35 लाख 31 हजार रु0 की बिक्री
प्रदेश की परम्परागत माटी कला को प्रोत्साहित करने और
इससे जुड़े शिल्पकारों और कारीगरों के आर्थिक उन्नयन के उद्देश्य
से मुख्यमंत्री द्वारा माटी कला बोर्ड का गठन किया गया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से आज यहां उनके सरकारी आवास पर मिलने पहुंचे परम्परागत माटी कला के शिल्पकारों एवं कारीगरों को सुखद आश्चर्य हुआ, जब उन्होंने अपनी कलाकृतियां और उत्पाद मुख्यमंत्री जी को उपहार स्वरूप प्रदान किये। कारीगरों के उत्कृष्ट उत्पाद से प्रभावित मुख्यमंत्री जी ने इन्हें क्रय करते हुए शिल्पकारों को 30,500 रुपये की कुल धनराशि तत्काल प्रदान कर दी। मुख्यमंत्री जी ने कारीगरों के हुनर की प्रशंसा भी की।
यह सभी शिल्पकार उत्तर प्रदेश माटी कला बोर्ड के तत्वावधान में आयोजित माटी कला मेला में प्रतिभाग करने के लिए लखनऊ आये हुए हैं। मुख्यमंत्री जी से भेंट के अवसर पर बोर्ड के अध्यक्ष श्री धर्मवीर प्रजापति, अपर मुख्य सचिव खादी ग्रामोद्योग एवं सूचना श्री नवनीत सहगल भी उपस्थित थे।
बोर्ड के अध्यक्ष श्री धर्मवीर प्रजापति ने बताया कि प्रदेश की परम्परागत माटी कला को प्रोत्साहित करने और इससे जुड़े शिल्पकारों और कारीगरों के आर्थिक उन्नयन के उद्देश्य से मुख्यमंत्री जी द्वारा माटी कला बोर्ड का गठन किया गया है। माटी कला मेला में प्रतिभाग कर रहे शिल्पकारों को बोर्ड द्वारा दीयों की डाई, गणेश-लक्ष्मी प्रतिमाओं की डाई, कलर करने वाली कम्प्रेसर मशीन उपलब्ध करायी गयी। इन कारीगरों को इलेक्ट्रिक चाक पूर्व में ही प्रदान किया गया था। बुलन्दशहर, गोरखपुर, आजमगढ़, मीरजापुर, प्रयागराज, बाराबंकी, अयोध्या, वाराणसी, लखनऊ, कानपुर नगर, कानपुर देहात तथा अम्बेडकर नगर आदि जनपदों के इन कारीगरों द्वारा मेले में प्रतिभाग किया जा रहा है। गुरुवार तक इस मेले में 35 लाख 31 हजार रुपये की बिक्री हो चुकी है। मेले में आने वालों का मानना है कि मिट्टी की इतनी सुन्दर व कलात्मक कलाकृतियां उन लोगों ने इससे पहले नहीं देखीं। लोगों ने इस प्रकार का आयोजन कम से कम साल में दो बार करने की बात कही है।
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