गोंडा: नियम है कि बिना अनुमति के कोई आवासीय कॉलोनी न विकसित हो लेकिन, यहां पर सब कुछ कागजी है। सिविल लाइंस हो या जानकीनगर, बड़गांव हो या फिर अयोध्या रोड. हर ओर बोर्ड लगाकर प्लाटिग हो रही है। लोगों को बेधड़क प्लॉट बेचे जा रहे हैं। यह सब कुछ उस वक्त हो रहा है जब कॉलोनी विकसित करने से पहले ले आउट की स्वीकृति कराना आवश्यक है। इसके बाद भी जिम्मेदार अनजान है।
सिविल लाइंस में ही तीन से चार कॉलोनियां विकसित हो गई। किसी ने कॉलोनी का कोई नाम रखा तो किसी ने कोई। मकान बनवाने के लिए विनयमित क्षेत्र से नक्शा पास कराकर भवन तो बना दिए गए लेकिन, कॉलोनी मानकों में फेल है। विनियमित क्षेत्र के आंकड़ों के अनुसार शहर में एक मात्र भार्गव कॉलोनी का ले आउट स्वीकृत है। दरअसल, कॉलोनी की स्थापना के लिए कई मानक निर्धारित किए गए हैं। 30 फीट का रास्ता होना चाहिए। कॉलोनी में पार्क के साथ ही जल निकासी का भी प्रबंध होना चाहिए। विनियमित क्षेत्र के अवर अभियंता अनुपम का कहना है कि वह अभी बाहर है, वापस आने पर ही स्थिति के बारे में जानकारी दे सकेंगे।
समस्याओं से जूझ रहे लोग
- नव विकसित कॉलोनियों में रह रहे लोग मुश्किलों से जूझ रहे हैं। टामसन कॉलेज के पीछे कॉलोनी विकसित हो गई लेकिन, यहां पर जल निकासी से लोग परेशान है। कहने को तो आवास विकास कॉलोनी विकसित कर दी गई। यहां भी लोग बिजली, पानी व सड़क की समस्या से ग्रसित है।
जिम्मेदार के बोल
- नव विकसित कॉलोनियों के बारे में जानकारी की जा रही है। विनियमित क्षेत्र के अधिकारी से इसका सत्यापन कराया जाएगा। जहां भी नियमों की अनदेखी मिलेगी, कार्रवाई की जाएगी।
- वंदना त्रिवेदी, सिटी मजिस्ट्रेट
रिपोर्ट ------
शुभम गुप्ता
गोण्डा
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