मिर्जापुर। देव दीपावली को लेकर नगर में तैयारियां अंतिम दौर में हैं। कचहरी घाट के अलावा अन्य गंगा घाटों पर दीपदान किया जाएगा। दीपों से जगमगाते घाटों की छटा ऐसी होगी माना धरती पर आसमान उतर आया हो। स्वयंसेवी संगठनों और आयोजकों की ओर से रविवार को तैयारियों को अंतिम रूप प्रदान किया गया। विंध्याचल में भी प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी पक्काघाट पर दीपदान किया जाएगा।
नगर के कचहरी घाट पर रंगोली आदि सजाई जाएगी। वहीं मां गंगा की मूर्ति स्थापित कर पूजन अर्चन किया जाएगा। सांझ ढलते ही दीपक से पूरे घाट को सजाया जाएगा। हालांकि कोरोना महामारी को देखते हुए अधिकांश स्थानों पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम रद तो कर दिए गए हैं पर पारंपरिक दीपदान के साथ ही मां गंगा की आरती व पूजन किया जाएगा। लेकिन तैयारियों के बीच गंगा घाटों पर गंदगी के अंबार दिखा। नगर कचहरीघाट, पक्काघाट, बाबा घाट व आसपास गंगा घाटों की सीढ़ियों पर गंदगी पसरी है। स्वयं सेवी संगठनों और दीपदान में लगे आयोजकों ने गंगा घाटों के आसपास सफाई कराए जाने की मांग की है।
विंध्याचल: प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी विंध्याचल स्थित पक्काघाट पर भव्य दीपदान का आयोजन किया जाएगा। सोमवार को साढ़े छह बजे विंध्य विकास परिषद के तत्वावधान में आयोजित देव दीपावली के दौरान परिषद अध्यक्ष/ जिलाधिकारी सुशील पटेल की ओर से मां गंगा की भव्य महाआरती की जाएगी। यह जानकारी आरती प्रमुख संस्थापक रामानन्द तिवारी ने दी है।
अध्यात्मिक धर्मगुुुरु त्रियोगी मिठ्ठू मिश्र के अनुसार इस बार पूर्णिमा का मान 29 नवंबर को दोपहर 12.47 मिनट से शुरू हो गया। और 30 नवंबर को दोपहर 2.58 बजे तक रहेगा। उन्होंने कहा उदया तिथि की प्रधानता के अनुसार यह पर्व 30 नवंबर को स्नान, दान के साथ मनाया जाएगा।
शहीदों के नाम पर जलाएं जाएंगे 5100 दीप
चुनार। कार्तिक पूर्णिमा पर नयनागढ़ महोत्सव समिति व चुनार क्लब के तत्वाधान में बालूघाट व संतोषी माता मंदिर घाट पर दीपदान किया जाएगा। दीपदान के पूर्व संध्या पर समिति व क्लब के सदस्य पूरी तन्मयता से जुटे रहे। घाट पर होने वाले अन्य आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है। इस पर्व पर नयनागढ़ महोत्सव समिति की ओर से सायंकाल मां गंगा प्रतिमा के नगर भ्रमण के साथ बालूघाट पर 5100 दीपदान किए जाएंगे। जबकि चुनार क्लब के सदस्यों द्वारा संतोषी माता घाट पर 5100 दीप अमर शहीदों के नाम जलाया जाएगा।
बारह पूर्णिमा में सर्वश्रेष्ठ है कार्तिक पूर्णिमा
देव दीपावली में छिपा है आरोग्यता का मंत्र
- दुर्लभ संयोग से आज मनेगी
दुर्लभ संयोग: सोमवार को देव दीपावली
संवाद न्यूज एजेंसी
मिर्जापुर। दुर्लभ संयोग से सोमवार को देव दीपावली मनाई जाएगी। आध्यात्मिक धर्मगुरु त्रियोगी मिठ्ठू मिश्र ने बताया कि बारह पूर्णिमा में कार्तिक पूर्णिमा सर्वश्रेष्ठ है। क्योंकि इस दिन देवता भी धरती पार आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस बार कार्तिक पूर्णिमा सोमवार को पड़ने के कारण इसका विशेष महत्व है। सोमवार चंद्रमा का प्रतीक है। और चंद्रमा यश, वैभव, धन संपदा, सौंदर्यता और शांति का प्रतीक है। धर्मगुरु ने कहा आज के दिन चंद्रमा भी अपनी उच्च राशि वृष में रहेगा, जो कि बहुत ही शुभ दायक है। उन्होंने कहा इन सभी योगों के साथ ही यह एक दुर्लभ संयोग बन रहा है। जो कि इस देव दीपावली को मंगलकारी बनाने में सहायक होगा। धर्मगुरु ने कहा देव दीपावली का वैज्ञानिक महत्व भी है। इसमें हमारे आरोग्यता का मंत्र भी छिपा हुआ है। उन्होंने बताया कि कार्तिक माह में तापमान घटने लगता है जिसके कारण हमारे चारो ओर कुछ खतरनाक जीव पैदा होते हैं। जो कि भयानक बीमारियों का कारण बनते हैं। कहा कि ज्यादातर बीमारियां इन्हीं दिनों में होती हैं। ऐसी बीमारियों को भगाने तथा समाप्त कर देव दीपावली को माध्यम बनाकर कोने-कोने में दीया जलाया जाता है। जिसकी रोशनी और गर्माहट से तमाम कीड़े खत्म होते हैं और हमारा वातावरण शुद्घ होता है।
नगर के कचहरी घाट पर रंगोली आदि सजाई जाएगी। वहीं मां गंगा की मूर्ति स्थापित कर पूजन अर्चन किया जाएगा। सांझ ढलते ही दीपक से पूरे घाट को सजाया जाएगा। हालांकि कोरोना महामारी को देखते हुए अधिकांश स्थानों पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम रद तो कर दिए गए हैं पर पारंपरिक दीपदान के साथ ही मां गंगा की आरती व पूजन किया जाएगा। लेकिन तैयारियों के बीच गंगा घाटों पर गंदगी के अंबार दिखा। नगर कचहरीघाट, पक्काघाट, बाबा घाट व आसपास गंगा घाटों की सीढ़ियों पर गंदगी पसरी है। स्वयं सेवी संगठनों और दीपदान में लगे आयोजकों ने गंगा घाटों के आसपास सफाई कराए जाने की मांग की है।
विंध्याचल: प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी विंध्याचल स्थित पक्काघाट पर भव्य दीपदान का आयोजन किया जाएगा। सोमवार को साढ़े छह बजे विंध्य विकास परिषद के तत्वावधान में आयोजित देव दीपावली के दौरान परिषद अध्यक्ष/ जिलाधिकारी सुशील पटेल की ओर से मां गंगा की भव्य महाआरती की जाएगी। यह जानकारी आरती प्रमुख संस्थापक रामानन्द तिवारी ने दी है।
अध्यात्मिक धर्मगुुुरु त्रियोगी मिठ्ठू मिश्र के अनुसार इस बार पूर्णिमा का मान 29 नवंबर को दोपहर 12.47 मिनट से शुरू हो गया। और 30 नवंबर को दोपहर 2.58 बजे तक रहेगा। उन्होंने कहा उदया तिथि की प्रधानता के अनुसार यह पर्व 30 नवंबर को स्नान, दान के साथ मनाया जाएगा।
शहीदों के नाम पर जलाएं जाएंगे 5100 दीप
चुनार। कार्तिक पूर्णिमा पर नयनागढ़ महोत्सव समिति व चुनार क्लब के तत्वाधान में बालूघाट व संतोषी माता मंदिर घाट पर दीपदान किया जाएगा। दीपदान के पूर्व संध्या पर समिति व क्लब के सदस्य पूरी तन्मयता से जुटे रहे। घाट पर होने वाले अन्य आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है। इस पर्व पर नयनागढ़ महोत्सव समिति की ओर से सायंकाल मां गंगा प्रतिमा के नगर भ्रमण के साथ बालूघाट पर 5100 दीपदान किए जाएंगे। जबकि चुनार क्लब के सदस्यों द्वारा संतोषी माता घाट पर 5100 दीप अमर शहीदों के नाम जलाया जाएगा।
बारह पूर्णिमा में सर्वश्रेष्ठ है कार्तिक पूर्णिमा
देव दीपावली में छिपा है आरोग्यता का मंत्र
- दुर्लभ संयोग से आज मनेगी
दुर्लभ संयोग: सोमवार को देव दीपावली
संवाद न्यूज एजेंसी
मिर्जापुर। दुर्लभ संयोग से सोमवार को देव दीपावली मनाई जाएगी। आध्यात्मिक धर्मगुरु त्रियोगी मिठ्ठू मिश्र ने बताया कि बारह पूर्णिमा में कार्तिक पूर्णिमा सर्वश्रेष्ठ है। क्योंकि इस दिन देवता भी धरती पार आ जाते हैं। उन्होंने कहा कि इस बार कार्तिक पूर्णिमा सोमवार को पड़ने के कारण इसका विशेष महत्व है। सोमवार चंद्रमा का प्रतीक है। और चंद्रमा यश, वैभव, धन संपदा, सौंदर्यता और शांति का प्रतीक है। धर्मगुरु ने कहा आज के दिन चंद्रमा भी अपनी उच्च राशि वृष में रहेगा, जो कि बहुत ही शुभ दायक है। उन्होंने कहा इन सभी योगों के साथ ही यह एक दुर्लभ संयोग बन रहा है। जो कि इस देव दीपावली को मंगलकारी बनाने में सहायक होगा। धर्मगुरु ने कहा देव दीपावली का वैज्ञानिक महत्व भी है। इसमें हमारे आरोग्यता का मंत्र भी छिपा हुआ है। उन्होंने बताया कि कार्तिक माह में तापमान घटने लगता है जिसके कारण हमारे चारो ओर कुछ खतरनाक जीव पैदा होते हैं। जो कि भयानक बीमारियों का कारण बनते हैं। कहा कि ज्यादातर बीमारियां इन्हीं दिनों में होती हैं। ऐसी बीमारियों को भगाने तथा समाप्त कर देव दीपावली को माध्यम बनाकर कोने-कोने में दीया जलाया जाता है। जिसकी रोशनी और गर्माहट से तमाम कीड़े खत्म होते हैं और हमारा वातावरण शुद्घ होता है।
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