आयुर्वेदिक व यूनानी जैसी भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को मिल रहा संरक्षण ओर प्रोत्साहन

कोरोना काल में आयुष प्रणालियों का उपचार में उपयोग काफी लाभप्रद रहा

लखनऊ, दिनांक 11 नवम्बर 2020
उत्तर प्रदेश के आयुष विभाग प्राथमिकता के आधार पर आयुर्वेदिक एवं यूनानी जैसी प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों को विकसित करने के प्रयास के साथ-साथ उनका संरक्षण और संवर्द्धन किया जा रहा है। कोरोना काल में आयुष प्रणालियों का उपचार में उपयोग काफी लाभप्रद रहा है।
आयुष विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार आयुष विधाओं को प्रदेश के जन-जन तक पहुंचाने के उद्देश्य की पूर्ति हेतु आयुर्वेदिक व यूनानी पद्धतियों के सर्वांगीण विकास के लिए अनेक महत्वपूर्ण योजनाएं क्रियान्वित की जा रही, हंै। वर्तमान में इन विधाओं का एक उपयोगी तथा सुगठित तंत्र प्रदेश के सूदूर ग्रामीण अंचलों तक में विकसित हो चुका है। प्रदेश के विभिन्न जनपदों में वर्तमान 2104 आयुर्वेदिक, 254 यूनानी एवं 1576 होम्योपैथिक चिकित्सालयों के साथ 08 आयुर्वेदिक कालेज एवं उनसे संबद्ध 02 यूनानी कालेज एवं उससे संबद्ध चिकित्सालय तथा 09 होम्योपैथिक कालेज एवं उनसे संबद्ध चिकित्सालय स्थापित किये गये हैं।
प्रदेश में संचालित राजकीय एवं निजी आयुष महाविद्यालयों में शैक्षणिक सत्र के नियमन एवं प्रवेश में एकरूपता तथा योग एवं नेचुरोपैथी में उत्कृष्ट शोध को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रदेश के जनपद गोरखपुर में 64 एकड़ भूमि पर एक आयुष विश्वविद्यालय स्थापित किये जाने का निर्णय लिया गया है। आयुर्वेदिक एवं यूनानी चिकित्सालयों में प्रमाणित एवं गुणकारी औषधियों की आपूर्ति की व्यवस्था हेतु प्रदेश में दो राजकीय औषधि निर्माणशालाएं लखनऊ एवं पीलीभीत कार्यरत हैं जिनको सुदृढ़ करते हुए इसकी उत्पादन क्षमता में वृद्धि का जा रही है। उत्तर प्रदेश में आयुष विधाओं को और अधिक सुदृढ़ किये जाने हेतु राष्ट्रीय आयुष मिशन के अन्तर्गत योजनाओं का क्रियान्वयन किये जाने के लिए राज्य आयुष सोसाइटी का गठन किया गया है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में आयुष मिशन की विभिन्न योजनाओं के संचालनार्थ आयुर्वेद के लिये रु0 20500.00 लाख, यूनानी हेतु रु0 1500.00 लाख एवं होम्योपैथी हेतु रु0 4000.00 लाख, कुल रु0 26000.00 लाख की व्यवस्था की गयी है।

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