जनपद बलरामपुर में स्टैंडर्ड एजुकेशनल एंड वेलफेयर सोसायटी के द्वारा उर्दू दिवस एवं विश्व विख्यात कवि शायर अल्लामा इकबाल के जन्मदिवस पर प्रताप मैरिज हाल बर्तन बाजार चौक बलरामपुर में संस्था के संरक्षक इरफान पठान एवं अध्यक्ष रेहान अशरफ उत्साही एंव युवा समाजसेवी रवीन्द्र गुप्ता कमलापुरी करीम, पुनीत कश्यप,आदि के अथक प्रयासों से संपन्न हुआ इस मुशायरे की सरपरस्ती डॉक्टर तारिक़ अफजल सिद्दीकी अध्यक्षता पड़ोसी देश नेपाल से आए मेहमान शायर शाहिद आजाद एवं संचालन सुप्रसिद्ध शायर एंव कवि डॉ अफरोज तालिब ने की इस मुशायरे में मुख्य अतिथि के रूप में एसएससी ग्रुप के चेयरमैन धीरेंद्र प्रताप सिंह धीरू एंव बलरामपुर के सदर विधायक पलटू राम संयुक्त रुप में बलरामपुर नगर पालिका चेयरमैन प्रतिनिधि शाबान अली, मौलाना फैयाज अहमद मिस्बाही सुबोध श्रीवास्तव के रूप में उपस्थित हुए मुशायरे की शुरुआत करीमुल्लाह खान अशरफी ने कुरान शरीफ की आयत पढ़कर की उसके बाद बाहर से आए सभी मेहमान शायरों ने अपनी-अपनी रचनाएं प्रस्तुत की पड़ा जो वक़्त तो हिन्दुस्तान तेरे लिए गला कटाएँगे हम भी ज़ुबान देते हैं क़ासिम गोण्डवी है अंधेरा तुमको प्यारा तो बुझा दो ये चराग़
ये नहीं मुमकिन के हम दीपक जलाना छोड़ दें अज़्म गोण्डवी,,पिंहा जो तबस्सुम में है गम देख रहे हैं तुम देख ना पाओ गे जो हम देख रहे हैं डॉ अफरोज तालिब, क़ुर्बान हुई उसपे मेरी जान मुकम्मल लो कर लिया तस्कीन का सामान मुकम्मल गर आते रहे यूं ही खयालों मे वो मेरे हो जाएगा कुछ रोज़ मे दीवान मुकम्मल ,वसीम मजहर गोरखपुर
,हजारों खूबियां तो उनमें हैं मगर जाहिद कभी भी दिल में वो पासे वफा नहीं रखते ज़ाहिर आज़ाद झण्डा नगर नेपाल,,क्या ज़र्फ़ है तुम्हारा ये दिखला रहे हो तुम
थोड़ी शराब क्या मिली छलका रहे हो तुम शायद इसी को कहते हैं बीनाई ए शऊर अब हर तरहः से मुझको नज़र आ रहे तुम ईमान गोंडवी,मैं यूँ भी सबसे उम्मीदे नज़र नहीं करता है एक दर जो मुझे दर-बदर नहीं करता,वो अश्क जिससे ख़ुदा को भी रहम आ जाये किसी पे ज़र्रा बराबर असर नहीं करता आतिफ़ गोंडवी,मौसम-ए-हिज्र में वहशत का गगन बांटना है यानी हम इश्क़ मिज़ाजों में चुभन बांटना है और फिर जितने परिंदे थे सभी मारे गए बात बस इतनी थी आपस में चमन बांटना है एहतमाम सादिक़, जो गीत हो जायेगा रंगीन मेरी चाहत मेरी आवाज़ से आवाज़ मिला कर देखो,निगार अंजुम, गुलाबो संदल अबीरो अंबर कली कली की पलक पे होते ज़मीर अपना जो बेच देते तो आज हम भी फलक पे होते जमाल क़ुद्दूसी इटवई,तुम आसमाँ से जो तोड़ लाओ यह चाँद तारे तो हम तुम्हारे हमें क़सम है तुम्हारे सर की, यह शर्त हारे तो हम तुम्हारे ग़ुलाम जीलानी सह़र ,, आदि लोगों ने अपनी अपनी कविता पढ़ें,,जिसमें रवीन्द्र गुप्ता कमलापुरी युवा समाजसेवी बलरामपुर,शादाब खान,मोहम्मद इकबाल फहीम,पुनीत कश्यप करीम,आसिफ शाह,रेहान आलम, राज़दा खान,रेहाना खातून,अतीक़ुर्रहमान गुड्डू, शंकर लाल चौहान, कलीम,आदि काफी संख्या में लोग मौजूद रहे
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