राजापुर का सरकारी अस्पताल इन दिनों स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर चर्चा में बना हुआ है आलम यह है कि सरकारी अस्पताल में समय से कोई डॉक्टर और कर्मचारी नहीं पहुंचते हैं अस्पताल देर से खोलना वहां के लिए आम बात हो गई जहां एक और सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को चुस्त दुरुस्त बनाने के लिए करोड़ों करोड़ों रुपए खर्च कर रही है वही कुछ सरकारी कर्मचारी और अधिकारी सरकार की साख में बट्टा लगा रहे हैं डॉक्टरों की इस लापरवाही के चलते गरीब आम आदमी प्राइवेट अस्पतालों में दवा करवाने के लिए बाध्य है जहां पर एक साधारण से बुखार के लिए प्राइवेट अस्पताल हजारों का बिल बनाते हैं लेकिन इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि आम आदमी तो पैदा ही हुआ है धक्के खाने के लिए आखिर गरीब आम आदमी अपना इलाज कराए तो कहां एक तरफ जिम्मेदार अपने काम को सही से नहीं करते और दूसरी तरफ महगी दवाओं का बोझ
रिपोर्ट
संदीप द्विवेदी
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