अंबेडकरनगर। अकबरपुर तहसील से खतौनी की नकल हासिल करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। हर दिन बड़ी संख्या में किसान व ग्रामीण खतौनी के लिए तहसील मुख्यालय पहुंचते हैं, लेकिन ज्यादातर को मायूसी ही हाथ लगती है। कारण यह कि आए दिन कंप्यूटर में तकनीकी गड़बड़ी होती रहती है। गुरुवार को भी कंप्यूटर में तकनीकी गड़बड़ी के चलते खतौनी की नकल निकालने का कार्य प्रभावित रहा। नतीजा यह रहा कि दूरदराज से खतौनी के लिए आने वाले किसानों व ग्रामीणों को मायूस होकर लौटना पड़ा।
सबसे अधिक समस्या धान किसानों को हो रही है। समय पर खतौनी न मिलने से क्रय केंद्रों पर धान की बिक्री करने में मुश्किल खड़ी हो रही है। यदि अकबरपुर तहसील से खतौनी प्राप्त करना है तो इसके लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। कारण यह कि जिस कंप्यूटर से खतौनी की नकल निकाले जाने का कार्य किया जाता है, उसमें अक्सर तकनीकी खराबी होती रहती है। बीते लगभग चार माह से कंप्यूटर में तकनीकी गड़बड़ी हो रही है। इससे अक्सर खतौनी निकाले जाने का कार्य प्रभावित होता है।
नतीजा यह होता है कि अत्यंत आवश्यकता होने पर जरूरतमंदों को 50 रुपये खर्च कर जनसेवा केंद्र से खतौनी प्राप्त करने को मजबूर होना पड़ता है, जबकि तहसील से 20 रुपये में प्राप्त होती है। मौजूदा समय में धान खरीद का कार्य चल रहा है। धान बिक्री के लिए किसानों को खतौनी की आवश्यकता होती है। ऐसे में प्रतिदिन बड़ी संख्या में धान किसान खतौनी के लिए तहसील पहुंच रहे हैं। यह अलग बात है कि तकनीकी गड़बड़ी के चलते ज्यादातर को मायूस होकर वापस लौटना पड़ता है।
गुरुवार को भी कंप्यूटर में तकनीकी गड़बड़ी हो गई। सुबह कुछ देर के लिए कंप्यूटर चला, जिससे कुछ आवेदकों की ही खतौनी निकल सकी। इसके बाद अपराह्न तक गड़बड़ी दूर नहीं हो सकी, जिससे खतौनी के लिए आने वाले किसानों व ग्रामीणों को मायूस होकर लौटना पड़ा। बेवाना निवासी रामफेर व राजेंद्र ने कहा कि धान बिक्री के लिए खतौनी की जरूरत है।
तीन दिन से खतौनी के लिए तहसील का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन मायूसी ही हाथ लग रही है। लोरपुर के राधेश्याम व सिझौली के आरिफ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि सुचारु रूप से खतौनी निकल सके, इसके लिए जिम्मेदारों द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। नतीजा यह है कि इसका खामियाजा आवेदकों को भुगतना पड़ रहा है।

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