प्रदेश में कुक्कुट उत्पादों से निवेश लाने पर, हो रहा है रोजगार का सृजन

प्रदेश में कुक्कुट उत्पादों से निवेश लाने पर हो रहे है रोजगार सृजित

उत्तर प्रदेश जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा प्रदेश है एवं प्रदेश में चहुविकास की अपार सम्भावनायें मौजूद हैं। विकास की इन्हीं सम्भावनाओं को उन्नति के अवसर में बदलने का कार्य मा0 मुख्यमंत्री जी के कुशल दिशा-निर्देशन में राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा है। कृषि के साथ ही प्रदेश में पशुधन विकास के क्षेत्र में विभिन्न कार्यक्रमों से गरीब पशुपालकों, निर्बल वर्ग, भूमिहीन श्रमिकों की आजीविका तथा आर्थिक उन्नयन सुनिश्चित होेने के साथ ही कुपोषण भी दूर हो रहा है। पशुधन के सर्वागीण विकास, स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने एवं प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने हेतु प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न लाभकारी योजनायें संचालित की है। जिसका लाभ पशुपालकों को मिल रहा है।
प्रदेश के लोगों को भोजन में पोषक तत्व (प्रोटीन) पूर्ति हेतु अण्डा एवं कुक्कुट मांस का उत्पादन करने एवं स्वरोजगार सृजित करने के उद्देश्य से कुक्कुट विकास कार्यक्रमों को उद्यमिता विकास की तरह स्थापित किया जा रहा है। प्रदेश में लगभग 2.00 करोड़ अण्डे प्रतिदिन अन्य प्रदेशों से आते हैं। इसी प्रकार लगभग 2.50 करोड़ ब्रायलर चूजें प्रतिमाह अन्य प्रदेशों से आते हेैं। राज्य सरकार द्वारा प्रदेश को अण्डा एवं ब्रायलर चूजा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखते हुए कुक्कुट पालको को सुविधायें दे रही है।
प्रदेश को अण्डों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने एवं मध्यम वर्गीय कुक्कुट उद्यमियों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से कामर्शियल लेयर फार्म एवं ब्रायलर पैरेन्ट फार्म की अवस्थापना योजनाओं को मार्च-2022 तक किये जाने की स्वीकृति उ0प्र0 कुक्कुट विकास नीति-2013 के तहत प्रदान की गयी है। कुक्कुट विकास नीति के माध्यम से 90.00 लाख अतिरिक्त पक्षी क्षमता के कामर्शियल लेयर फार्म स्थापित किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
कुक्कुट विकास नीति के अन्तर्गत माह सितम्बर-2020 तक कामर्शियल लेयर्स फार्म (30000 पक्षी क्षमता प्रति इकाई) की 355 इकाईयाॅं एवं कामर्शियल लेयर फार्म (10000 पक्षी क्षमता प्रति इकाई) की 311 इकाईयाॅं स्थापित की गयी हैं, जिनसे प्रदेश में लगभग 96.56 लाख अण्डा प्रतिदिन उत्पादित हो रहा है एवं स्थापित 38 ब्रायलर पैरेन्ट फार्म (10000 पक्षी क्षमता प्रति इकाई) की इकाईयों से 40.80 लाख अतिरिक्त ब्रायलर चूजे प्रतिमाह उत्पादित हो रहे हैं। प्रदेश में कुक्कुट विकास नीति से 89900 व्यक्तियों को स्वरोजगार प्राप्त हुआ है एवं 1055.34 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। इससे प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद की बढोत्तरी में सहयोग हो रहा है।
प्रदेश सरकार कामर्शियल लेयर फार्म योजना के तहत 30000 पक्षी क्षमता की एक इकाई पर योजना की कुल लागत रू0 180.00 लाख बैंक ऋण के रूप में रू 126.00 लाख तथा मार्जिन मनी के रूप में रू0 54.00 लाख आर्थिक सहायता देती है। इसी प्रकार 10000 पक्षी क्षमता की इकाई पर कुल 70.00 लाख रूपये की लागत रू. 49.00 लाख बैंक ऋण के रूप में तथा रू0 21.00 लाख मार्जिन मनी के रूप में हैं, जबकि 10000 ब्रायलर पैरेन्ट पक्षी की इकाई की कुल लागत रू0 206.50 लाख रू0 145.00 लाख की धनराशि बैंक ऋण के रूप में तथा रू0 61.50 लाख मार्जिन मनी के रूप दिया जाता है। प्रदेश सरकार उद्यमियों को प्रोत्साहित करने हेतु योजनान्तर्गत इकाई स्थापना हेतु 30000 कामर्शियल लेयर प्रति इकाई, 10000 कामर्शियल लेयर प्रति इकाई एवं 10000 ब्रायलर पैरेन्ट प्रति इकाई हेतु क्रमशः एक इकाई पर 3 एकड़, 1 एकड़ एवं 6 एकड़ भूमि क्रय पर स्टैम्प डयूटी में शत-प्रतिशत की छूट एवं मण्डी टैक्स में छूट जैसी सुविधायें भी देती हैं।
कामर्शियल लेयर फार्म एवं ब्रायलर पैरेन्ट फार्म योजना के अन्तर्गत प्रदेश में  
96.56 लाख अण्डों का प्रतिदिन अतिरिक्त उत्पादन किया जा रहा है। इसके साथ ही 30000 कामर्शियल लेयर कुक्कुट इकाई योजना के तहत 414 तथा 10000 कामर्शियल लेयर कुक्कुट इकाई के तहत 328 इकाईयों के लिए बैंक ऋण स्वीकृत हो गये हैं, इनमें से क्रमशः 355 एवं 311 इकाईयाॅं क्रियाशील हो चुकी हैं। इन इकाईयों से प्रदेश में अण्डा उत्पादन में और अधिक वृद्धि रही है। इसके अतिरिक्त 10000 ब्रायलर पैरेन्ट योजनान्तर्गत 39 इकाईयों के बैंक ऋण स्वीकृत हो चुके हैं, जिनमें 38 इकाईयाॅं क्रियाशील हो चुकी है, जिनसे अतिरिक्त रूप से 40.80 लाख चूजे प्रतिमाह उत्पादित हो रहे हेैं।
इसके अलावा प्रदेश सरकार द्वारा बैकयार्ड पोल्ट्री योजना भी अनुसूचित जाति के लाभार्थियों के लिए कुक्कुट पालन व्यवसाय अपनाने हेतु संचालित की जा रही हैं। बैकयार्ड कुक्कुट योजना का मूल उद्देश्य निर्धन व्यक्तियों को भोजन में पोषण तत्व (प्रोटीन) पूर्ति हेतु अण्डा एवं कुक्कुट मांस का उत्पादन करना तथा स्वरोजगार सृजित करना है। इस योजना में अनुसूचित जाति व जनजाति के लाभार्थियों को प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। एक इकाई में लाभार्थी को 50 चूजों की आपूर्ति की जाती है, जिसके अन्तर्गत रू0 3000/- प्रति इकाई निर्धारित है, जो पूर्णतया अनुदानित है। इस योजना में प्रत्येक लाभार्थी को 50 चूजों के अतिरिक्त कुक्कट आहार, औषधि, छप्पर आदि व्यवस्था की सुविधा भी दी जाती है।
प्रदेश सरकार की कामर्शियल लेयर फार्म एवं ब्रायलर पैरेन्ट फार्मिगं योजना व बैकयार्ड पोल्ट्री योजना के द्वारा उत्तर प्रदेश अण्डा उत्पादन के क्षेत्र में और ब्रायलर चूजों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है। इसके माध्यम से ब्रायलर उत्पादन को अधिक लाभकारी बनाने के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन हो रहा है। कृषि उत्पादन हेतु जैविक खाद की उपलब्धता को बढ़ावा मिल रहा है और खाद पदार्थो में प्रोटीन की उपलब्धता सुनिश्चित हो रही है।

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