*नई दिल्ली: भाई-बहन के अटूट प्रेम विश्वास एवं स्नेह के बंधन के पावन पर्व पर बहन भाई की गाथा*
बड़े होकर भाई-बहन कितने दूर हो जाते हैं इतने व्यस्त हैं सभी कि मिलने से भी मजबूर हो जाते हैं
------ एक दिन भी जिनके बिना नहीं रह सकते थे हम सब ज़िन्दगी में अपनी मसरूफ हो जाते हैं
------ छोटी-छोटी बात बताये बिना हम रह नहीं पाते थे अब बड़ी-बड़ी मुश्किलों से
हम अकेले जूझते जाते हैं
----- ऐसा भी नहीं
कि उनकी एहमियत नहीं है कोई पर अपनी तकलीफें
जाने क्यूँ उनसे छिपा जाते हैं
------ रिश्ते नए ज़िन्दगी से जुड़ते चले जाते हैं और बचपन के ये रिश्ते कहीं दूर हो जाते हैं
------ खेल-खेल में रूठना-मनाना रोज़-रोज़ की बात थी
अब छोटी सी भी गलत फहमी से
दिलों को दूर कर जाते हैं
----- सब अपनी उलझनों में उलझ कर रह जाते हैं
कैसे बताए उन्हें हम
वो हमें कितना याद आते हैं
------ वो जिन्हें एक पल भी हम भूल नहीं पाते हैं बड़े होकर वो भाई-बहन हमसे दूर हो जाते हैं ------
*सिर्फ बीवी बच्चे ही आपका परिवार नहीं है, भाई बहन भी है, जो इनसे पहले से आपके साथ थे - हैं और रहेंगे।*
*राष्ट्रीय उपाध्यक्ष I C T B T *ए शर्मा* दिल्ली*
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