ग्रेटर नोएडा वेस्ट के चिपियाना बुजुर्ग गांव में बना भैरव बाबा के मंदिर प्रांगण में बनी कुत्ते की प्रतिमा काफी लंबे समय से लोगों की आस्था का केंद्र बनी हुई है। मान्यता है कि कुत्ते के काटने के बाद यदि मंदिर प्रांगण के समीप बने तालाब नहा लिया जाए, तो कुत्ते के काटने का असर कम हो जाता है। इस मंदिर की लोकप्रियता का आलम यह है कि कुत्ते की प्रतिमा पर लोग दूर दराज से आकर प्रसाद चढ़ाते हैं। बताया जाता है कि इलाके के रहने वाले लक्खा बंजारे नाम के शख्स ने अपने कुत्ते को मरने के बाद यहां दफनाया था। कुत्ते की कब्र पर बाद में ग्रामीणों ने मंदिर का निर्माण करा दिया, जहां दूर दराज से श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता है।
आस्था का केंद्र है लक्खा बंजारे का कुत्ता
चिपियाना गांव में भैरव मंदिर के पास स्थित इस कुत्ते की समाधि की भी कहानी बेहद रोचक है। कुत्ते की समाधि के पास एक तालाब बना है। मान्यता है कि तालाब में नहाने से कुत्ते के काटने का असर खत्म हो जाता है। प्रत्येक शनिवार को यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। यहां दूर दराज से लोग अपनी मुराद लेकर आते हैं। आज भी मान्यता है कि कुत्ता काटने के बाद यहां मंदिर प्रांगण के समीप बने तालाब में नहा लेने से रैबीज का असर कम हो जाता है। मंदिर के बाहर भी एक हौदी बनी है। तालाब में नहीं नहाने वाले हौदी में जाकर जरूर नहाते हैं। यहां नहाने से भी कुत्ते के काटने का असर कम हो जाता है। वहीं, डॉक्टर ऐसी किसी मान्यता नहीं मानते हैं। उनका कहना है कि कुत्ते के काटने पर रैबीज का टीका जरूर लगवाएं।पढ़िये- कुत्ते की समाधि के पीछे की रोचक कहानी
कुत्ते के पीछे एक रोचक कहानी है। ग्रामीण बताते हैं कि करीब सवा सौ साल पहले लक्खा नाम के बंजारे ने ही कुत्ते की समाधि बनवाई थी। कहानी के पीछे दंत कथा है कि बंजारे के पास एक कुत्ता था। बंजारे ने एक सेठ से कुछ कर्ज उधार लिया था। समय पर कर्ज नहीं चुका पाने के कारण उसने अपना कुत्ता सेठ के पास गिरवी रख दिया। कुछ दिन बाद सेठ के घर चोरी हुई। इस दौरान कुत्ता बदमाशों पर न तो भोंका और न ही अपने सेठ को जगाया। सुबह सेठ को जब चोरी होने का पता लगा तो उसे कुत्ते पर गुस्सा आ गया। कुछ देर बाद ही कुत्ता अपने सेठ की धोती पकड़कर उस स्थान पर ले गया, जहां लुटेरों ने चुराया गया सामान दबाया था। चोरी का माल मिलने पर सेठ खुश हो गया। उसने कुत्ते को इनाम के रूप में मुक्त कर लक्खा के पास वापस भेज दिया। ग्रामीण बताते हैं कि जैसे ही कुत्ता लक्खा बंजारे के पास पहुंचा तो उसने सोचा कि कुत्ते ने सेठ को दिए उसके वचन को तोड़ दिया है। उसने गुस्से में अपने कुत्ते को गोली मार दी। जब उसे वास्तिवकता का पता चला तो उसे बहुत पछतावा हुआ। उसने पश्चाताप के तौर पर भैरव बाबा के मंदिर में कुत्ते की समाधि बनवा दी।
सच मानी जाती है कुत्ते की मौत की कहानी
कुत्ते का इतिहास पुराना है। यहां शनिवार व रविवार को भारी तादाद में श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है। दूर दराज से मंदिर प्रांगण में आकर श्रद्धालु कुत्ते की प्रतिमा पर प्रसाद चढ़ाते हैं। यतीश शर्मा (निवासी चिपियाना बुजुर्ग) की मानें तो कुत्ते की समाधि के पीछे जो रोचक कहानी है वह बिल्कुल सत्य है। वह बताते हैं कि कुत्ते को मारने के बाद लक्खा बंजारे को बेहद पछतावा भी हुआ था। लोग श्रद्धाभाव से काफी संख्या में यहां पहुंचकर पूजा करते हैं।
प्रसाद चढ़ाने के साथ ठीक हो जाते हैं मरीज
वहीं, अंबा प्रसाद शर्मा (निवासी चिपियाना बुजुर्ग) का कहना है कि रैबीज के मरीज यहां प्रसाद चढ़ाते ही ठीक हो जाते है। भैरव बाबा के मंदिर में ही कुत्ते की समाधि बनी है। तालाब अथवा मंदिर प्रागण के बाहर बनी हौदी में नहाने से कुत्ते के काटने का असर समाप्त हो जाताा है। इसके बाद कुत्ते की समाधि पर प्रसाद चढ़ाया जाता है।
हिन्दी संवाद के लिए श्री अभिषेक शर्मा की रिपोर्ट
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