28:- "DISEASE FREE WORLD"
      "डायलिसिस"
    चिंतन का समय है.........कि...........जब सभी बीमारियों की वजह GLUCOSE और INSULIN का आपसी तालमेल गड़बड़ होना ही है।तो फिर क्या वजह है कि सभी बीमारियों केलिए "एक ही दवा" काफि क्यों नहीं? इस MECHANISM को समझना जरूरी है।मेरा मतलब है कि GLUCOSE और INSULIN के बीच जो असामान्य स्थिति हमारे शरीर के भीतर उत्पन्न हो चुकी है, जिसके कारण कोई "रोग" सामने आया है।"रोग"के पीछे न पड़कर, "रोग" के "कारण" यानी "जड़" को दुरुस्त कर देने भर से ही कोई भी ईन्सान अपनी बड़ी से बड़ी बीमारी से कुछ दिनों या महीनों में छुटकारा पा सकता है।
   DIALYSIS में अस्पताल का खर्च मात्र 250/- से 350/- ₹ तक आता है।लेकिन आपसे एक दिन की DIALYSIS के लिए 2500/- से 4500/- तक वसूला जाता है,वो भी बड़े प्यार से परमानेंट कस्टमर बनाकर।दिन तारीख भी निर्धारित कर दी जाती है,सप्ताह में दो तीन दिन।
  आपका जो DIALYSIS  हो रहा होता है,उस DIALYSIS  तक आपको पहुंचाया गया है DIABETES  की दवा खिला खिला कर।DIALYSIS शुरु होने पर बचा खुचा किडनी भी बिल्कुल बेकार हो जाता है।इसे आप एक उदाहरण से समझिए- आजतक आप काम धंधा करके मेहनत से कमा रहे हों और कल कोई आपसे कहदे कि आपको काम धंधा नहीं करना,न ही कहीं जाने की ज़रुरत है।हर माह आपको पूरी पूरी रक़म घर बैठे मिल जाया करेगी।कुछ महीने या साल के बाद आप एक अपाहिज ईन्सान बनकर रह जाएंगे।DIALYSIS के बाद आपकी किडनी का यही हाल कराया जाता है।अब जबकि किडनी का काम मशीन करने लगा तो किडनी को आराम मिल गया।तभी तो इतनी पाबंदी से DIALYSIS कराते रहने केलिये कहा जाता है।
  आज से सौ साल का ही इतिहास उठाकर देखिए कि कोई एक DIABETES  का मरीज़ अंग्रेज़ी दवा का सेवन करते हुये दस,बीस या पचीस बरस के बाद भी सेहतमंद हो गया क्या,या उसने दवा लेना बिल्कुल बंद कर दिया क्या।ऐसा आजतक हुआ ही नहीं।
   तो फिर ये DIALYSIS क्यों,और जब DIABETES  का ईलाज चल रहा हो,वो भी लगातार। DIABETES की ऐलोपैथिक ईलाज का नतीजा कहिए या अंजाम - "किडनी फेल"।
   दरहक़ीक़त ईशवर ने हम इन्सानों को नेचुरल चीज़ों से बनाया है।हमारे रोग को नेचुरल चीज़ें ही ठीक कर सकती हैं।केमीकल केलिए मानव शरीर COMPATIBLE नहीं है।अंग्रेज़ी दवाएं CHEMICAL होती हैं जो हमारे शरीर में "आतंकवादी" की तरह तोड़ फोड़ करते हुए आक्रामक और हिंसक तरीक़े से घुसता है।जिसके कारण कई प्रकार के दुषप्रभाव और दुषपरिणाम हमें झेलने पड़ते हैं।इसे ही "SIDE EFFECTS" कहते हैं।
   सबसे अहम सवाल ये है कि अंग्रेज़ी दवा की आयु है ही कितनी?तो,उसके पहले भी जब ईन्सान बीमार पड़ता ही था,और ईलाज भी होता था,और केवल जड़ी बूटियों से ही होता था,जो नेचुरल चीज़ें हैं।
   तो फिर अब और समय मत गंवायें,और जितना जल्द मुमकिन हो अंग्रेज़ी दवाओं को बाय बाय कहदें।
   वैसे आपकी जानकारी केलिए बता दूं कि DIABETES का ईलाज जब शुरू होता है और दवा लेना आरम्भ करते हैं तो कुछ महीने या कुछ साल बाद तोहफे के तौर पर CHOLESTEROL और HIGH BLOOD  PRESSURE की दवा मिल ही जाती है। DIABETES की अंग्रेज़ी दवा के सेवन का परिणाम यही सामने आता है कि 50℅ रोगी का किडनी फेल हो जाता है।20% से 25% रोगियों की आंखों की रौशनी चली जाती है,यानि अंधा हो जाता है।और 15℅ से 20% रोगियों का पैर काटना पड़ जाता है।
   आप सोचिए,ये कैसा ईलाज है।कैसी अंधेर नगरी है।हमारे समाज में तो डाक्टरों को भगवान का दर्जा प्राप्त है।लेकिन ये कौन सा रूप है उनका कि "मर्ज़ बढ़ता गया जूं जूं दवा की"।
   मेरा मानना है कि जब DIABETES का ईलाज करते करते मरीज़ की किडनी फेल हो जाती है,आंखों की रौशनी चली जाती है या पैर काटने की नौबत आ जाती है तो फिर ऐसे ईलाज का क्या मतलब।किसी भी बीमारी के ईलाज का मतलब तो यही होना चाहिए कि दवा खाएं और बीमारी बिल्कुल ठीक,न कि जीवन भर दवा खाते रहें।
   असल में बात ऐसी है कि कुछ लोगों को आपके बीमार रहने से फायदा है।ये सारा मामला केवल कारोबार और उससे होने वाले मुनाफे से जूड़ा है।अब जबकि आपकी बीमारी कुछ लोगों केलिए कारोबार बन जाए तो वो क्यों ऐसा चाहेंगे कि आप ईलाज कराओ और स्वस्थ हो जाओ।
   अव्वल तो ये कि सबसे बड़ी सच्चाई आपसे छुपाई गयी है-"DIABETES और HIGH BLOOD PRESSURE अपने आप में कोई बीमारी है ही नहीं।ये किसी बीमारी का केवल "लक्षण" भर है।दूसरी बात ये कि किसी भी डाक्टर ,हकीम वैध को किसी भी बीमारी का "कारण" ही नहीं पता तो ईलाज कैसे करेंगे।यहां तो अंधेरे में ही तीर चलाई जाती है,"लगा तो तीर,नहीं तो तुक्का"।
नोट:- इस पोस्ट को पढ़ने के बाद अपना विचार अवश्य व्यक्त करें, मुझे अच्छा लगेगा| साथ ही आगे अपने सर्किल में ज़रुर शेयर करें |      
   * सारी बिमारियों की सिर्फ और सिर्फ एक ही "वजह" है_ "GLUCOSE और INSULIN का IMBALANCE होना।"    
   * मेरे पास दवा केवल "एक" ही है जो पावडर की शक्ल में है| 4 - 4 ग्राम सुबह-शाम काढ़ा बनाकर पीना है|
  NAME OF MEDICINE:- HEALTH IN BOX®
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