देश में आज हर सेक्टर को आत्मनिर्भर होने की बात हो रही है। लेकिन एक पत्रकारिता और पत्रकार ही है जो हमेशा से आत्मनिर्भर रहा है।
महाराष्ट्र में रिपब्लिक टीवी के पत्रकार अर्नब गोस्वामी को जिस प्रकार से राजनीतिक द्वंद में उन्हें अरेस्ट किया गया है। यह समूचे पत्रकारिता के ऊपर अघोषित इमरजेंसी थोपने जैसा है।
कल को यह दृश्य देश के कई राज्यों व शहरों में देखने को मिलेगा जहां की सत्ताधारी पार्टी मीडिया संस्थानों को टार्गेट भी करेंगी और पत्रकारों को भी। ऐसे में पत्रकारों की कलम को सत्ता के पावर से दबाए जाने के कृत्य और इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए उस समय काल की इमरजेंसी के उस बीते दौर की व्यथाओं को स्मरण कर हमे आज अपनी कलम को और धार देना होगा।
ऐसे में कल साढ़े 12 बजे कलेक्ट्रेट में समस्त पत्रकार बंधुओं से आग्रह है कि वह समय से पहुंचकर अपनी और अपने साथी पत्रकारों व पत्रकारिता जो कि लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है और संविधान का एक मात्र शीशा है जिसके सामने कोइ खड़ा हो वह देखा जा सकता है और जोनिसपर चोट करता है कांच के टूटने की आवाज सबको सुनाई देती है। आज वक़्त है इसकी पहरेदारी का एक जिमेदार पत्रकार का जो अवसर हम सभी को प्राप्त हो रहा है।
शुभम् गुप्ता गोण्डा
जय हिंद।
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