बोये पेड बबूल का तो आम कहा से होय

दुनिया मे दो प्रकार के लोग होते है । एक होते है ज्ञानी पुरूष और दूसरे महाज्ञानी पुरूष  । ज्ञानी पुरूष के पास हर चीज का ज्ञान होता है लेकिन उनके पास कुछ अवगुण भी होते है जैसे वो कभी झूठ,छल या कपट का सहारा नही लेते और अपना जीवन परोपकार के लिए  लगा देते है । दूसरे होते है महाज्ञानी । इनकी विशेषता यह है कि इनमे ज्ञान तो होता है लेकिन इस ज्ञान के साथ साथ इनमे अहंकार,झूठ,छल और कपट भी प्रचूर  मात्रा मे कूट कूट कर मौजूद रहता है।  और ऐसे वयकति चाहे कितना भी बडा गलत काम कर ले कितना भी बडा पाप कर ले।  ऐसे लोग अपने गलत कार्य  के लिए येन केन प्रकार तर्क  कुतर्क  करके अपने द्वारा किये गये हर कार्य  को गलत ठहराने का प्रयास करते है । यहा तक कि अगर वो लोग कोई हत्या जैसा कृत्य या पाप भी कर देते है ,किसी का पैसा भी मार लेते है तो भी वो अपनी दलीलों के दम पर उसे सही ठहराने की कोशिश करते रहते है । नीति कहती है कि फलदार वृक्ष  ही झुका रहता है जबकि सूखा और बिना फल का वृक्ष हमेशा तना रहता है । इसलिए जिसके पास कुछ भी नही है जो खाली है वही ढोल पीटकर सारे शहर मे अपनी बढाई करता रहता है । पाप की अभी तक दूसरी कोई परिभाषा नही है । पाप हमेशा पाप ही रहता है और जिस प्रकार गाय का एक छोटा बछडा हजारो लाखों गायों के बीच मे अपनी जन्म  देने वाली मां (गौ  माता ) को देख लेता है उसी प्रकार कर्म  भी आपको पकड ही लेते है । लेकिन जब प्रकृति हमारे कर्मो  का हमको फल देती है तो हम उस समय प्रकृति की ही आलोचना करते रहते है । उस समय महाज्ञानी (यहा पर झूठ बोलने वाले,अहंकारी ,छल,कपट करने वाले वयकति को आज के समय मे महाज्ञानी कहा गया है । ) लोग अपनी गलती स्वीकार न करते हुए इसका दोषारोपण भी भगवान को ही दे देते है ।
ऐसे लोगो के लिए  एक ही वाक्य है ।
*बोये पेड बबूल का तो आम कहा से होय* 
बाकि आप सब समझदार है। 
जय जय गुरुदेव। 
जय जय सियाराम।
हेमन्त कुमार शर्मा ।

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