अंबेडकर नगर

जनपद मुख्यालय पर जलालपुर बसखारी हाईवे बाईपास मार्ग के किनारे शंकर मौर्य रेंजर के देखरेख में बनाए जा रहे घटिया किस्म के पीले ईंट और बालू के प्रयोग से घेरा बनाने का कार्य चल रहा है। यह कार्य विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से किया जा रहा है।

जबकि प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में पौधरोपण का कार्य किया जाता है परंतु पौधो की सही देखभाल न  होने और पर्याप्त पानी ना मिलने के कारण सभी पौधे सूख कर मृत हो गए।

यह एक मामला है जो आसपास के जागरूक लोगो के कारण सामने आ गए, लेकिन ऐसे कई स्थानों पर वन विभाग द्वारा पौधा रोपण के लिए पौधे लाए गए हैं और देखरेख के अभाव में पौधे मृत हो गए है। जानकारी के अनुसार वन विभाग द्वारा ये पौधे क्रय किए जाते हैं, जिनकी राशि का भुगतान सीधे संबंधित विभाग के खाते में किया जाता है।

जंगल कटते रहे हैं, वन उजड़ते रहे हैं, पौधरोपण होता रहा फिर भी पेड़ों की संख्या में लगातार गिरावट दर्ज हो रही है। वहीं पेड़ों को उजड़ने से सुरक्षित रखने के लिए वन विभाग को सामाजिक वानिकी विभाग में बदल दिया गया। फिर भी पेड़ों की अंधाधुंध कटाई जारी है ।

सामाजिक वानिकी विभाग के आंकड़ों को सच माना जाए तो जितना विभाग ने जितना पौधरोपण कराया अगर उतना धरातल पर भी होता तो यह जनपद, वनों का जनपद कहलाता।

विभाग प्रतिवर्ष लाखों पौधे लगाते हैं।

यह सिलसिला सालाें से चला आ रहा है। लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही हैं। मुख्य मार्गों के किनारे लगाए जाने वाले 20 फीसदी फलदार वृक्ष भी अब नजर नहीं आते। वन विभाग हर साल ग्राम समाज की भूमि पर, नहरों की पटरियों पर, रेलवे की भूमि पर, सड़क किनारे सरकारी भूमि पर, स्कूलों आदि जगहों पर पौधरोपण का कार्यक्रम करता है।

लाखों की संख्या में वृक्ष लगाए जाते हैं। कागजों में वही इलाका भी दर्ज होता है, जहां वृक्ष लगाए जाते हैं। लेकिन कुछ ही दिनों बाद वृक्षारोपण का वह इलाका वृक्ष विहीन हो जाता है। लगाए गए वृक्ष क्यों गायब हो जाते हैं ? इसका जवाब वन विभाग नहीं दे पा रहा है।

 वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण महज कागजों में सब कार्य खानापूर्ति कर पूरा कर दिया जाता है। जिले के आला हकीम की नजर इस विभाग पर क्यों नहीं पड़ रही है कब तक भ्रष्टाचार की आग में जलता रहेगा वन विभाग।

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