मिर्जापुर। जिले के युवाओं की कौशल विकास योजना ने जिंदगी बदल दी। योग्यतानुसार नि:शुल्क प्रशिक्षण प्राप्त कर युवाओं ने अपने भविष्य को संवारा। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना से प्रतिवर्ष सैकड़ों को रोजगार मिला तो बड़ी संख्या में लोगों ने अपना रोजगार भी शुरू किया। वर्ष 2013 में शुरू हुई इस योजना से जिले में अब तक लगभग 18 सौ युवाओं को रोजगार मिल चुका है। हालांकि कोविड- 19 के चलते इस वर्ष युवाओं को इस योजना का अपेक्षाकृत लाभ नहीं मिल सका है।
जिले के नोडल अधिकारी आइटीआइ के प्रधानाचार्य बीके प्रसाद ने बताया कि सरकार की यह योजना थी कि बहुत से ऐसे युवा हैं जो काम तो जानते हैं लेकिन उनके पास उस कार्य का कोई प्रमाणपत्र नहीं होता है। इसलिए सरकार के निर्देशानुसार काम चाहने वाले युवाओं को उनके काम वाले क्षेत्र में प्रशिक्षित कर उनको प्रमाणपत्र दिया जाए ताकि वे अपना रोजगार कर सकें अथवा उनको नौकरी मिल सके। जब इस योजना की शुरूआत हुई तो बड़ी संख्या में युवाओं ने आवेदन किया। उनका चयन किया गया। उनके क्षेत्र में उनकी रूचि को देखकर विशेषज्ञों के द्वारा उनको प्रशिक्षित किया गया। उनको प्रमाणपत्र दिया गया और नौकरी ढूंढने में उनकी सहायता की गई। इसका नतीजा यह हुआ कि इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर, मशीनिस्ट, फीटर आदि क्षेत्रों में तो लोग आए ही। साथ ही सिलाई कढ़ाई, बैंकिंग व एकाउंटेंसी जैसे क्षेत्रों में भी प्रशिक्षार्थी आगे आए। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि जिन लोगों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। वे आज नौकरी कर रहे हैं। यदि नौकरी नहीं कर रहे हैं तो अपना रोजगार कर रहे हैं।
प्रशिक्षण के बाद मिली स्कूल में नौकरी
मैनें स्नातक कर लिया था और खाली बैठी थी। उसी समय समाचार पत्र में कौशल विकास योजना के बारे में पता चला कि सदर तहसील में पंजीकरण हो रहा है। वहां जाकर पंजीकरण कराया और बैंकिंग एंड एकाउंटिंग में सदर तहसील में ही प्रशिक्षण प्राप्त किया। उसके बाद मुझे संस्था के ही प्रयासों से एक विद्यालय में साढ़े नौ हजार रुपये की नौकरी मिल गई। अब मैं आराम से जीवन यापन कर रही हूं।
- रिया मिश्रा,
मैं रावर्ट्सगंज के डा. राम मनोहर लोहिया समग्र ग्राम-तरावॉ की रहने वाली हॅू। मेरे पिता जी एक किसान हैं। हमारी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। इण्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद मैं घर पर खाली बैठा करती थी। एक दिन हमारे गॉव में इस योजना के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया। योजना की जानकारी पूर्ण करने के पश्चात मैंने अपने इच्छित सेक्टर (हास्पिटलिटी) कोर्स में ‘इन्फ्लाइट एयरवेज ट्रेनिंग प्राइवेट लिमिटेड में प्रशिक्षण लिया। उसके बाद मुझे एरिका ग्रुप के बाबतपुर, वाराणसी में फ्रन्ट ऑफिस रिसेप्सनिस्ट की नौकरी मिली। मेरा मासिक वेतन आठ हजार रुपये प्रतिमाह है।
- विद्योत्तमा पांडेय
इनसेट
कौशल विकास की कहानी
वर्ष प्रशिक्षित कार्य प्राप्त हुआ
2016- 17 738 352
2017- 18 1692 324
2018- 19 2144 949
2019- 20 591 191
2020- 21 1152 69
जिले के नोडल अधिकारी आइटीआइ के प्रधानाचार्य बीके प्रसाद ने बताया कि सरकार की यह योजना थी कि बहुत से ऐसे युवा हैं जो काम तो जानते हैं लेकिन उनके पास उस कार्य का कोई प्रमाणपत्र नहीं होता है। इसलिए सरकार के निर्देशानुसार काम चाहने वाले युवाओं को उनके काम वाले क्षेत्र में प्रशिक्षित कर उनको प्रमाणपत्र दिया जाए ताकि वे अपना रोजगार कर सकें अथवा उनको नौकरी मिल सके। जब इस योजना की शुरूआत हुई तो बड़ी संख्या में युवाओं ने आवेदन किया। उनका चयन किया गया। उनके क्षेत्र में उनकी रूचि को देखकर विशेषज्ञों के द्वारा उनको प्रशिक्षित किया गया। उनको प्रमाणपत्र दिया गया और नौकरी ढूंढने में उनकी सहायता की गई। इसका नतीजा यह हुआ कि इलेक्ट्रिशियन, प्लंबर, मशीनिस्ट, फीटर आदि क्षेत्रों में तो लोग आए ही। साथ ही सिलाई कढ़ाई, बैंकिंग व एकाउंटेंसी जैसे क्षेत्रों में भी प्रशिक्षार्थी आगे आए। इसमें सबसे बड़ी बात यह है कि जिन लोगों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। वे आज नौकरी कर रहे हैं। यदि नौकरी नहीं कर रहे हैं तो अपना रोजगार कर रहे हैं।
प्रशिक्षण के बाद मिली स्कूल में नौकरी
मैनें स्नातक कर लिया था और खाली बैठी थी। उसी समय समाचार पत्र में कौशल विकास योजना के बारे में पता चला कि सदर तहसील में पंजीकरण हो रहा है। वहां जाकर पंजीकरण कराया और बैंकिंग एंड एकाउंटिंग में सदर तहसील में ही प्रशिक्षण प्राप्त किया। उसके बाद मुझे संस्था के ही प्रयासों से एक विद्यालय में साढ़े नौ हजार रुपये की नौकरी मिल गई। अब मैं आराम से जीवन यापन कर रही हूं।
- रिया मिश्रा,
मैं रावर्ट्सगंज के डा. राम मनोहर लोहिया समग्र ग्राम-तरावॉ की रहने वाली हॅू। मेरे पिता जी एक किसान हैं। हमारी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। इण्टरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद मैं घर पर खाली बैठा करती थी। एक दिन हमारे गॉव में इस योजना के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया। योजना की जानकारी पूर्ण करने के पश्चात मैंने अपने इच्छित सेक्टर (हास्पिटलिटी) कोर्स में ‘इन्फ्लाइट एयरवेज ट्रेनिंग प्राइवेट लिमिटेड में प्रशिक्षण लिया। उसके बाद मुझे एरिका ग्रुप के बाबतपुर, वाराणसी में फ्रन्ट ऑफिस रिसेप्सनिस्ट की नौकरी मिली। मेरा मासिक वेतन आठ हजार रुपये प्रतिमाह है।
- विद्योत्तमा पांडेय
इनसेट
कौशल विकास की कहानी
वर्ष प्रशिक्षित कार्य प्राप्त हुआ
2016- 17 738 352
2017- 18 1692 324
2018- 19 2144 949
2019- 20 591 191
2020- 21 1152 69
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