96:- "DISEASE FREE WORLD"
"हृदय रोग" - एक बहुत बड़ी साज़िश !
"इन्सान वही सुनना चाहता है जो वह सुनना पसंद करता है,बाक़ी बातों को वह अनसुना कर देता है।"
ठीक वैसे ही जैसे सैंकड़ों वर्षों तक कहा जाता था कि, " सुर्य पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है।" जब कॉपरनिकस ने 1543 ई में "DE REVOLUTIONIBUS ORBIUM COELESTIUM" प्रकाशित किया,और कहा कि- "पृथ्वी सुर्य के चारों ओर चक्कर काटती है।" तो उन पर चारों ओर से व्यंग बाण छोड़े गये। उनका तर्क तात्कालिक दृष्टिकोणों के आधार पर रद्द कर दिया गया। उन्हें बहुत से लोगों के कोप का शिकार होना पड़ा। उनके सारे तर्क खोखले क़रार दिए गये। बाद में उसी जानकारी को पूरी दुनिया स्वीकार कर चुकी है। यह सर्वविदित हो चुका है कि पृथ्वी सुरज के चारों ओर गर्दिश करती है।
उसी तरह कुछ सच्चाई है जिसे हम स्वीकार नहीं कर पाते। उसे भी हमारे समाज (मुनाफा कमाने की इच्छा रखने वालों) द्वारा नामंज़ूर करने की कोशिश की जाती है।
हमारे देश में मरीजों का शोषण हमेशा होता रहा है। कई बार बीमारी का ऐसा रूप पेश किया जाता है कि आप डर के मारे सही निर्णय नहीं कर सकते। खास कर लाइफ स्टाइल डीजीज (LIFESTYLE DISEASE) जैसे:- मधुमेह,हृदय रोग, रक्तचाप, दमा, कॉलेस्ट्रॉल आदि का।
हमें ह्रदय रोगों की चिकित्सा में एक अहम बदलाव की ज़रुरत है,जो बिना चीर-फाड़ के की जाने वाली चिकित्सा की ओर ले जाती हो।
अगर आप अपनी रोज़ ली जाने वाली डायबिटीज की दवा, हाई बीपी या कालेस्ट्रौल कम करने की दवा लेने वाले हैं, या फिर इन्सुलिन का इंजेक्शन लेने वाले हैं। या डाक्टर के चैम्बर में हैं और ऐन्जियोग्राफी, ऐन्जियो प्लास्टी या बाईपास सर्जरी के लिए किसी फार्म पर हस्ताक्षर करने ही जा रहे हैं तो ज़रा रुकिए !
और अपना कीमती समय और व्यस्तता के बावजूद इस लेख को शुरू से अंत तक अनमने अटपटे ढंग से ही एक बार पढ़ने के आप जरूर मनन करेंगे । आप उस "इंडस्ट्री" की आप के मन में बनाई गई आदर-भाव, और इज़्ज़त की तस्वीर निगाह से बिल्कुल नहीं देख पाएंगे। आपको एहसास होगा कि आप की मौजूदा सेहत एक ऐसे "मकड़ जाल" में फंस गई है जिसे "कल इन्डस्ट्री" ने सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने "मुनाफे" के लिए फैला रखा है।
ह्रदय रोग विशेषज्ञ व सर्जन, इंटरवेंशनल कार्डियो लॉजिस्ट (जो ऐन्जीयोग्राफी करके स्टेंट लगाते हैं), विगत कई वर्षों से मुनाफा कमाने के लिए ह्रदय रोगियों का …...।
ये एक ऐसा "कड़वा सच" है जिससे आप इनकार नहीं कर सकते। वो ये नहीं बताते कि "ह्रदय रोग" कैसे होता है या "ब्लाकेज" रोकने के उपाय क्या हैं, या रोग की गंभीरता को कम करने या उसको खत्म करने के लिए क्या कुछ कर सकते हैं ? उनके पास जाने वाले इन "बदनसीब रोगियों के दिल का तो ऑपरेशन ही कर देते हैं या उन्हें एंटी अन्जाइनल मेडीसीन पर डाल देते हैं। शायद यही वजह है कि "दिल की बिमारियों" और "हार्ट अटैक" से मरने वालों की संख्या में दिन-प्रतिदिन बढ़ोतरी ही हो रही है। हालांकि,आज हर शहर में जगह-जगह हार्ट हास्पिटल" भी बन रहे हैं। लेकिन हालत यह है कि आज पूरी दुनिया में ह्रदय रोग से मरने वाले ज्यादातर भारतीय ही होते हैं। अंदाज़ा लगा सकते हैं कि हमारे देश में मरीजों की चिकित्सा का संयंत्र कितना नीचे गिर गया है।
हर साल मार्च के महीने में (27 - 29 मार्च या 17 - 19 मार्च) 3 दिवसीय सम्मेलन कैलिफोर्निया शहर में आयोजित किया जाता है। इस सम्मेलन में दुनिया भर के "ह्रदय रोग विशेषज्ञ" हिस्सा लेते हैं। उनकी मौज-मस्ती,सैर सपाटा,शापिंग इत्यादि का सारा व्यय फार्मास्युटिकल कंपनियां करती है।
ज़रा सोचिए,इन ह्रदय रोग विशेषज्ञों की क्या जरूरत रह गयी?
डायबिटीज़ रोगी का भी तकरीबन यही हाल है। डायबिटीज़ के मरीज़ नियमित दवा खाने और इन्सुलिन का इंजेक्शन लेने के बावजूद ठीक नहीं हो सकते हैं।
ज़रा ग़ौर किजिए,ऐसी दवा-इलाज का क्या फ़ायदा?
"ब्लाकेज के कारणों के बारे में मरीजों को जानकारी की कमी ही उन मुनाफाखोर के लिए वरदान साबित हुआ है।"
यही एकमात्र रहस्य है। लोग "हार्ट अटैक" या "मौत" की फ़िक्र करते हैं। आम आदमी को यह नहीं पता कि थोड़ी सी सावधानी, जानकारी उन्हें हो तो हार्ट अटैक,ब्लाकेज की वृद्धि को रोका जा सकता है, लेकिन ये बताने वाला कोई नहीं,डॉक्टर साहब भी नहीं बताते। इसके ठीक उल्टा, जब मरीज़ "हार्ट अस्पताल" में सर्जन के पास पहुंचता है तो "इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट" और "हार्ट सर्जन" (जो बाईपास सर्जरी करते हैं), उनके सामने एक ख़ौफनाक और डरावनी तस्वीर पेश करते हैं कि, "बस उन्हें एक ही मिनट में हार्ट अटैक होने वाला है। इसी ख़ौफ की वजह से कई मरीज़ और उनके रिशतेदार हार्ट सर्जरी की इजाज़त दे देते हैं।"
फिर क्या, आपकी ज़िन्दगी भर की सारी जमा पूंजी उन नाम-निहाद डाक्टरों की झोली में चली जाती है, या यूं कहिए कि, "50 साल की कमाई सिर्फ 50 दिन के भीतर आप गंवा देते हैं।"आम तौर पर "कल माफिया" इसी तरह काम करता है।
आप सभी इस बात को जानते हैं कि प्रायः हर क्लिनिक का अपना दवाखाना होता है। आप अमुक साहब का दवा अमुक औषधालय से ही खरीदने को मजबूर कर दिये जाते हैं अन्यथा आपका इलाज बंद। आखिर ऐसा क्यों? सिर्फ मुनाफे के लिए।
एक चैलेंज:- मैंने एक ही यूनानी दवा बनाई है जिसका नाम HEALTH IN BOX® है। इस एक दवा से सभी लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ सदा के लिए REVERSE हो जाती हैं। क्योंकि सारी बीमारियां सिर्फ और सिर्फ एक ही कारण से होती हैं। और वो कारण है:-"ग्लूकोज़" और "इन्सुलिन" का "इम्बैलेंस" होना।" तो सिर्फ इस "इम्बैलेंस" को "रिबैलेंस" कर देने भर से ही कोई भी बीमारी सदा केलिए रिवर्स हो जाती है। (इस विधि को "यूनिवर्सल ला आफ रीबैलेंसिंग" कहा जाता है।) यानी हर वो बीमारी जिसमें डॉक्टर फ़ेल हो जाते हैं और आपको ऐलोपैथिक दवा ज़िन्दगी भर खाने को बता दिया करते हैं, ठीक उसके उलट मेरी दवा HEALTH IN BOX® का सेवन शुरू करते ही सबसे पहले तो बरसों से आपकी ज़िंदगी का हिस्सा बनी ऐलोपैथिक दवा बंद हो जाएगी और मेरी इस दवा को चार, छः या नौ महीने प्रयोग करने के बाद बंद करके स्वस्थ जीवन जीने के क़ाबिल हो जाएंगे।
आपको बता दूं कि लाइफस्टाइल डीज़ीज़ेज़ जैसे OBESITY, HIGH BP, DIABETES, ASTHMA, CHOLESTEROL, THYROID, HEART PROBLEM, CANCER, LIVER & ABDOMINAL PROBLEM, MIGRAINE, PSORIASIS, SINUSITIS, ARTHRITIS, OSTEOARTHRITIS, OSTEOPOROSIS वग़ैरह लाईलाज बीमारियों से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाता है।
इस दवा की पैकिंग एक महीना केलिए 240 ग्राम होती है जिसकी क़ीमत मात्र ₹ 3000/- है। हिन्दुस्तान में हर जगह स्पीड पोस्ट से ये दवा भेजी जाती है।
HAKEEM MD ABU RIZWAN
BUMS,hons.(BU)
UNANI PHYSICIAN
Spl in LIFESTYLE DISEASES
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