उतरौला (बलरामपुर)

लगभग 92 वर्ष पूर्व सन 1928 के करीब राजा उतरौला मुमताज अली खां ने गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करते हुए नगर में भगवान शिव का प्रसिद्ध दुख हरण नाथ मंदिर व एक पोखरा का निर्माण कराया था। जो धार्मिक आस्था व एकता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। मुस्लिम राजा द्वारा कराए गए इस कार्य को हिन्दू मुस्लिम एकता का जीता जागता मिशाल भी कहा जाता है। वर्षों से हिन्दू धर्म के लोग मंदिर पर मन्नतें मानते है। मन्नतें पूरी होने पर सच्चे मन से भगवान शिव का दर्शन करने आते है। मंदिर परिसर में बने पोखरे की मान्यता के अनुसार लोग एवं छठ पूजा के दौरान महिलाएं स्नान, ध्यान कर पूजा आदि करती है। धार्मिक आस्था एवं मान्यताओं के केंद्र पर पिछले दो महीने से मोहल्ला आर्यनगर में पोखरे के बगल से गये नगरपालिका की नाली टूटी है और उसका गंदा पानी, कचरा पोखरे जा रहा है जो पोखरे के पवित्र जल को दूषित कर रहा है। पोखरे के जल में रहने वाले चलिए जीव, जंतु की मृत्यु हो रही है। आस्था के केंद्र पर नगर पालिका द्वारा हो रही लापरवाही से हिन्दू जनमानस काफी आहत व आक्रोशित हैं।
                      आस्था के केंद्र पर व्याप्त समस्या से नाराज सोमवार को हिंदू युवा वाहिनी तहसील प्रभारी दीपक चौधरी के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने उप जिलाधिकारी उतरौला अरुण कुमार गौड़ को ज्ञापन सौंपा।
कहा की आगामी बीस नवम्बर को छठ पूजन के दिन महिलाएं पोखरे के पवित्र जल से स्नान कर छठ पूजा करेंगी।
आस्थाओं को ध्यान में रखते हुए छठ पूजा से पूर्व टूटी नाली का मरम्मत एवं पोखरे में भरे पानी की साफ सफाई कराए जाने की मांग की है। 
इस दौरान विनीश गुप्ता, राम प्रकाश गुप्ता, अजय पटवा, प्रहलाद सोनी,प्रखर गुप्ता, मारुति नन्दन गुप्ता आदि मौजूद रहे। 

असगर अली
 उतरौला 

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